वन विभाग नींद में है और वन क्षेत्र माछला मगरा की कटाई

वन विभाग नींद में है और वन क्षेत्र माछला मगरा की कटाई

माछला मगरा पहाड़ी को काटे बिना भी पेयजल टंकी का निर्माण हो सकता है। टंकी कंही और भी बनाई जा सकती है। पहाड़ी को काटने का विरोध करने व सही सुझाव देने को राजकार्य में बाधा मानना गलत है। यह आक्रोश रविवार को आयोजित झील-हिल संवाद में उभरा। झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि प्रशासन ने आदेश जारी किया है कि माछला मगरा वन क्षेत्र में पेयजल टैंक के निर्माण में किसी ने भी हस्तक्षेप किया तो उसे राजकार्य में बाधा माना जायेगा। मेहता ने कहा कि यह आदेश संविधान के विरुद्ध होकर अलोकतांत्रिक है।<

 
वन विभाग नींद में है और वन क्षेत्र माछला मगरा की कटाई प्रशासन का तुगलकी आदेश – हस्तक्षेप किया तो राजकार्य में बाधा का होगा मुकदमा – प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

माछला मगरा पहाड़ी को काटे बिना भी पेयजल टंकी का निर्माण हो सकता है। टंकी कंही और भी बनाई जा सकती है। पहाड़ी को काटने का विरोध करने व सही सुझाव देने को राजकार्य में बाधा मानना गलत है। यह आक्रोश रविवार को आयोजित झील-हिल संवाद में उभरा। झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि प्रशासन ने आदेश जारी किया है कि माछला मगरा वन क्षेत्र में पेयजल टैंक के निर्माण में किसी ने भी हस्तक्षेप किया तो उसे राजकार्य में बाधा माना जायेगा। मेहता ने कहा कि यह आदेश संविधान के विरुद्ध होकर अलोकतांत्रिक है।

मेहता ने कहा कि मेवाड़ वन अधिनियम 1942 के तहत माछला मगरा संरक्षित वन है। देश आजाद होने के बाद वर्ष 1980 में वन संरक्षण अधिनियम आया। इस अधिनियम के आने के बाद राज्य सरकार इसको नॉन फारेस्ट घोषित नही कर सकती थी, लेकिन अधिनियम आने के 4 वर्ष पश्चात 1984 में राज्य सरकार ने इसके बड़े क्षेत्र को नॉन फॉरेस्ट घोषित कर दिया, जो गलत था। एक सौ बारह बीघा भूमि जलदाय विभाग को टंकी व कार्यालय बनाने के लिए आवंटित कर दी गई।

मेहता ने कहा कि विगत माह इस वन हिस्से की पहाड़ी को काट दिया गया है। वन विभाग जिसकी जिम्मेदारी है कि वो वनों की रक्षा करे, उसने भी आंख पर पट्टी बांध ली। और पहाड़ के एक बड़े हिस्से को समतल करने का कार्य हो गया। इधर जिला प्रशासन ने उक्त नियम विरूद्ध हो रहे कार्य पर किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को राजकार्य में बाधा घोषित कर दिया है। मेहता ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिख उनसे हस्तक्षेप का आग्रह किया है।

Download the UT Android App for more news and updates from Udaipur

झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पेयजल टंकी बनाने व कार्यालय बिल्डिंग के लिए पहाड़ी को काटना नासमझी है। बिना पहाड़ को काटे भी टंकी बनाई जा सकती थी। माछला मगरा एक जलग्रहण क्षेत्र व ऐतिहासिक धरोहर है, उसे इस प्रकार काटना जल प्रवाह व्यवस्था को भी नुकसान पंहुचायेगा।

गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि जब प्रशासन खुद ही पहाड़िया काटेगा तो वो भू माफिया को कैसे रोक पायेगा। माछला मगरा की कटाई पूरे मेवाड़ की पहाड़ियों की कटाई का रास्ता खोल रही है । इसके परिणाम भयावह होंगे। कुशल रावल, दिगम्बर सिंह, द्रुपद सिंह ने कहा कि जिस पहाड़ी हिस्से को धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए था, उसे धाराशाही किया जा रहा है।

श्रमदान : संवाद से पूर्व झील श्रमदान में खरपतवार व अन्य कचरे को हटाया गया। श्रमदान में मानव सिंह, लेबनान देश के करीम, रामलाल गहलोत, कुल दीपक पालीवाल, कृष्ण कोठारी, दिगम्बर सिंह, कुशल रावल, द्रुपद सिंह, तेज शंकर पालीवाल, नंद किशोर शर्मा, डॉ अनिल मेहता ने भाग लिया

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal