वायलिन से निकली राग सरस्वती एवं मिश्रा बन्धु के मुख से निकले राग ने सभी को मंत्रमुग्ध किया
उदयपुर 30 मार्च 2019, महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर आयोजित किये जा रहे तीन दिवसीय 57 वें अखिल भारतीय महाराणा कुम्भा संगीत समारोह के दूसरे दिन आज प्रथम चरण में दिल्ली घराने के ख्यातनाम वायलिन वादक असगर हुसैन एवं द्वितीय चरण में दिल्ली के ही पण्डित राजन साजन मिश्र शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। प्रथम चरण से पूर्व कुम्भा रत्न अवार्ड -2018 से सम्मानित उदीयमान कलाकार नीरज मिस्त्री तबला वादन की एकल प्रस्तुति
उदयपुर 30 मार्च 2019, महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर आयोजित किये जा रहे तीन दिवसीय 57 वें अखिल भारतीय महाराणा कुम्भा संगीत समारोह के दूसरे दिन आज प्रथम चरण में दिल्ली घराने के ख्यातनाम वायलिन वादक असगर हुसैन एवं द्वितीय चरण में दिल्ली के ही पण्डित राजन साजन मिश्र शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। प्रथम चरण से पूर्व कुम्भा रत्न अवार्ड -2018 से सम्मानित उदीयमान कलाकार नीरज मिस्त्री तबला वादन की एकल प्रस्तुति देकर सभी का दिल जीत लिया।
दिल्ली घराने के ख्यातनाम वायलिन वादक असगर हुसैन ने अपने वायॅलिन वादन की शुरूआत राग सरस्वती में विलम्बित बंदिश से की, जो 11 मात्रा में निबद्ध (चार ताल की सवारी) थी। उस्ताद असगर हुसैन ने मध्य लय एवं दु्रत लय में तीन ताल की बंदिश की। उस्ताद असगर हुसैन ने सरस्वती राग में गायकी व तंत्रकारी का सुन्दर समावेश देखने को मिला। जिसमें दिल्ली घराने की गायकी शैली की तानें और विभिन्न प्रकार की गमक का मिश्रण देखने को मिला, साथ ही विभिन्न प्रकार की लयकारियां एवं छन्दकारियों के साथ सुन्दर तिपाहियों का अन्दाज उस्ताद असगर हुसैन ने वाॅयलिन वादन में बहुत ही खुबसूरती से दर्शाया।
उस्ताद असगर हुसैन ने अपनी दिल्ली घराने की खुद की शैली को पेश किया। इनके साथ तबले पर फर्रूखाबाद घराने के उस्ताद अख्तर हसन ने खूबसूरत संगत की अपनी कला का शानदार प्रदर्शन किया जिस पर दर्शकों ने तालियों की दाद के साथ उनका भरपूर स्वागत किया। इन्होंने विशेष रूप से झालें में तबले की ना-धिन-धिन-ना को पेश किया जिसकी वाॅयलिन के साथ बेजोड़ प्रस्तुति रही।
उस्ताद असगर हुसैन ने अपने कार्यक्रम का समापन राग पहाड़ी में ठुमरी में बोल ..सैंया गये परदेस… के साथ पेश कर के की। यह दिल्ली घराने की प्रसिद्ध ठुमरी है जिसे अपने घराने की गायन शैली में पेश किया। उस्ताद असगर हुसैन ने वाॅयलिन के मूल रूप वेस्टर्न में ठुमरी को खूबसूरती के साथ पेश किया।
आज प्रसिद् वायलिन वादक उस्ताद असगर हुसैन को मुरली नारायण माथुर पुरस्कार डाॅ. यशवन्तसिंह कोठारी, डाॅ. प्रेम भण्डारी, रमेश चौधरी, डाॅ. अरूण बोर्दिया, डाॅ. प्रदीप कुमावत, दिनेश माथुर, मुकेश माथुर, सुशील दशोरा ने स्मृतिचिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम की शुरूआत में नीरज मिस्त्री ने तबले पर चौ ताल, एक ताल एवं जप ताल की प्रस्तुति दे कर सभी को मोहित कर दिया।
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द्वितीय चरण में दिल्ली के पं.राजन-साजन मिश्रा की शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति ने सभी को आनन्दित कर दिया। मिश्रा बन्धु के मुख से कार्यक्रम की शुरूआत राग कौंसी कान्हड़ा में बिलम्बित एक ताल बोल राजन के राजा श्री रामचन्द्र… निकले तो सभी उसी में खो गये। इसके बाद इन्होंने दु्रत तीन ताल में बोल दामोदर हरी नाम…. के शब्द निकले तो सभी श्रोताओं ने उन शब्दों का आनन्द लिया। इनके साथ हारमोनियम पर सुमित मिश्रा, तबले पर अभिषेक मिश्रा, तानपुरे पर सदाशिव गौतम व डिम्पी सुहालका ने संगत की। आज के समारोह के मुख्य अतिथि रोटरी के पूर्व प्रान्तपाल रमेश चौधरी, विशिष्ठ अतिथि डाॅ.अरूण बोर्दिया थे जबकि अध्यक्षता शिक्षाविद् डाॅ. प्रदीप कुमावत ने की। प्रारम्भ में संस्था के मानद सचिव डाॅ. यशन्त कोठारी ने संस्था की कार्यशैली एवं गतिविधियों की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन डाॅ.लोकेश जैन उर्वशी सिंघवी ने किया।
रविवार को होगी ओडिसी एवं कत्थक की प्रस्तुति- समारोह के तीसरे एवं अंतिम दिन रविवार 31 मार्च को गुड़गांव की वनी माधव एण्ड पार्टी ओडिसी नृत्य प्रस्तुत करेगी एवं उसके पश्चात दिल्ली की कत्थक रत्न शम्भुवी शुक्ला मिश्र एण्ड पार्टी कत्थक नृत्य की प्रस्तुति देगी। इसी दिन प्रथम चरण में कुम्भा रत्न अवार्ड-2018 से सम्मानित उदीयमान कलाकार अर्पिता भारद्वाज एवं उनका दल कत्थक नृत्य की प्रस्तुती देगें।
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