नुक्कड नाटक “गुणगान” करते हुए दिया सेना मे भर्ती होने और देश में शांति, भाईचारे का संदेश

नुक्कड नाटक “गुणगान” करते हुए दिया सेना मे भर्ती होने और देश में शांति, भाईचारे का संदेश

नाट्यांश सोसाइटी ऑफ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स द्वारा विभिन्न मुद्दो को ध्यान मे रखते हुए गत शनिवार और रविवार को नुक्कड नाटक “गुणगान’’ का मंचन किया गया। विगत 2 दिनों मे इस नुक्कड़ नाटक का छठां और सातवाँ मंचन क्रमशः पिछोला पाल एवं फतेहसागर पाल पर किए गए।

 

नुक्कड नाटक “गुणगान” करते हुए दिया सेना मे भर्ती होने और देश में शांति, भाईचारे का संदेश

उदयपुर। नाट्यांश सोसाइटी ऑफ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स द्वारा विभिन्न मुद्दो को ध्यान मे रखते हुए गत शनिवार और रविवार को नुक्कड नाटक “गुणगान’’ का मंचन किया गया। विगत 2 दिनों मे इस नुक्कड़ नाटक का छठां और सातवाँ मंचन क्रमशः पिछोला पाल एवं फतेहसागर पाल पर किए गए।

नाटक के माध्यम से कलाकारों ने सबसे पहले दिखाया कि किसी भी तरह की घटना, जैसे की सैनिको पर हमला हो जाने पर किस तरफ से देश के नागरिक तुरंत अपने अपने मोबाइल से सोशियल मीडिया द्वारा उसका पोस्टमार्टम करने लगते है, फिर घर बैठे-बैठे ही उसी घटना के पक्ष या विपक्ष में लगातार पोस्ट शेयर करते रहते है , और बिना सत्यता जाने ही आगे प्रेषित कर देते है।

दूसरे दृश्य मे कलाकारों ने देश मे हाल ही मे लगातार हो रहे रंगो पर धर्मनीति को विस्तार से बताया की किस तरह से विभिन्न धर्म के लोग रंगो के मतलब जाने बिना ही, रंगो के पीछे भी लड़ने लग जाते है और अपना हक़ जताने लग जाते है, जो एक बड़ी लड़ाई का रूप ले सकती है। पर वास्तविकता मे सही से जानने की कोशिश करें तो सभी रंगो के हर धर्म मे समान ही अर्थ और मान्यताएं होती है। नाटक के कलाकारों ने दर्शको को समझाया की रंगो पर लड़ने से अच्छा होगा उनके पीछे का अर्थ समझ कर वास्तविक जीवन मे उतारने का प्रयास करें।

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नाटक के अंत मे कलाकारों ने दर्शको से निवेदन किया की भारतीय सेना के जवानो के शहीद होने पर, मोबाइल पर श्रद्धांजलि देने से अच्छा है कि उनके परिवारों से मिलें, उनके हक़ के लिए लड़ें, प्राकृतिक आपदाओं मे सेना के साथ जनसहयोग करें और सेना मे भर्ती होने हेतु प्रयास करें। रंगो पर धर्मनीति को बंद कर देश को भाईचारे, शांति और उन्नति की और पहुँचाने का प्रयत्न करें। जब देश से समस्त बुराइयाँ खत्म हो जाएगी तब ही इसका गुणगान करने का वास्तविक अर्थ निकलेगा।

नाटक के संयोजक मोहम्मद रिज़वान मन्सुरी ने बताया कि नाटक का लेखन और निर्देशन अशफाक़ नूर खान पठान ने किया। कलाकारों में ईशा जैन, अगस्त्य हार्दिक नागदा, राघव गुर्जरगौड़, जतिन सोलंकी, दिशा सक्सेना, चक्षु सिंह रूपावत, राहुल सोलंकी, महेश जोशी, पीयूष गुरुनानी, सलोनी पटेल, कौशिक परमार, दीना राम, ईश्वर पारीक, शक्ति सिंह, करण ठक्कर, गोपाल कृष्ण एवं निहाल साहू नें अभिनय किया। साथ ही रेखा सीसोदिया और नाइल शेख का भी सहयोग प्राप्त हुआ।

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