हाल हमारा पूछने आयें घबराये-घबराये लोग


हाल हमारा पूछने आयें घबराये-घबराये लोग

ग़ज़ल एकेडमी उदयपुर, अंतर्राष्ट्रीय महिला उर्दू लेखिकाओं के ट्रस्ट “बनात“ और महाराणा प्रताप कृषि एवम तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा शहर में पहली बार आज सुरजपोल बाहर स्थित राजस्थान एग्रीकल्चर कॉलेज के सभागार में ऑल इंडिया मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर की महिला शायरात ने भाग लेकर अपने कलाम एवं गज़लें पेश की।

 

हाल हमारा पूछने आयें घबराये-घबराये लोग

ग़ज़ल एकेडमी उदयपुर, अंतर्राष्ट्रीय महिला उर्दू लेखिकाओं के ट्रस्ट “बनात“ और महाराणा प्रताप कृषि एवम तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा शहर में पहली बार आज सुरजपोल बाहर स्थित राजस्थान एग्रीकल्चर कॉलेज के सभागार में ऑल इंडिया मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर की महिला शायरात ने भाग लेकर अपने कलाम एवं गज़लें पेश की।

अलीगढ़ की शायरात आसिफ इजहार अली ने अपना कलाम पेश करते हुए कहा कि हाल हमारा पूछने आयें घबराये-घबराये लोग,उनसे दुखड़े क्या क्या रोते,दुख तो हमारें उसके थे…, बनात की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं शायरात दिल्ली की निगा़र अजीम ने अपने कलाम में कहा ’दिल की निगाह में कैद है,चाहत की बुलबुले, वो मौसमे बहार के मंजूर नहीं रहें..’, दिल्ली की शायरात सफीना ने ’यहीं राह में मिली थी कैसी अज़ब परी थी, वह रंग उसका सोना वह सोन सी परी थी.., ’’अगले जनम मोहे बिटियां ही दीजों..’नज्म पर श्रोताओं ने तालियों की भरपूर दाद दी।

निज़ामत कर रही शायरात दिल्ली की अज़रा नकवी ने कलाम पेश करते हुए ’वह अपने मन की स्याही से रोशन दिन को वे नूर करें, हम काली रातों में ख्वाबों के दरीचे खोलते है..’, कोलकाता की शायरात शहनाज़ रहमत ने ’गुमनाम रास्तें पे खां थी मैं मुस्तकिल, चादर पे मेरी देखियें, गर्दे सफर का रंग…’, पूना की शमशाद जलील शाह ने ’गुलाबों सी तुम्हरी याद हर जानिब महकती है, तुम्हारी जुस्तजू मैं अब हवा रास्ता भटकती है, जहाँ भर में हजारों बोलिया मीठी बहुत लेकिन मेरी उर्दु ज़बा उन में नगीने सी चमकती है…’, पटना की सुरैया ज़बीं ने ’तू मेरी जुस्त का सहारा था, मुश्किलों में संवारा था…’, को खूब वाह-वाही मिली। सहारनपुर की तलत सिरोहा ने हम जब उर्दु में बात करते है तो लफ्ज़ो से एक महक आती है…,है ये उर्दु जहाँ मां, गोद में ले के हमें गीत गुनगुनाती…

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शायरात नईमा जाफरी ने ’तुझे सलाम है मेरा ऐ मेरे राजस्थान, वह तेरे बाग , तेरे महल वो तेरे स्थान…’, तबस्सुम नाडकर तेरी हस्ती, तेरा वजूद, तू पहिचान है मेरी मां, मेरी जिन्दगी की खुशी तुझ पे कुरबां मेरी मां..’, हैदराबाद की रफिया नौशीन ने अपनी नज्म को तरन्नुम में पेश करते हुए ’लड़के को तो देते ज्ञान, लड़की से क्यूं हो अंजान, आगे बढ़ने दो इनको,दोनों की हो एक पहिचान.. ’, उदयपुर की शायरात जौहरा खान ने ’मौसमे गुल का भरोसा ही नहीं कब लौटे, घर के गुलदान को कांटोसे सजाया जाएं..’ को खूब पसन्द किया गया। शायरात रज़िया हैदर खान ने ’आना मुझ को भी खींची जा रही थी, पलट कर उसने देखा भी नही था..’ने वाहवाही लूटी।

हाल हमारा पूछने आयें घबराये-घबराये लोग

इस अवसर पर मुशायरे में खास मेहमान मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जे पी शर्मा, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रो. उमा शंकर शर्मा, एग्रीकल्चर कालेज के डीन अरुणाभ जोशी और बनात की सदर निगार अज़ीम, गज़ल एकेडमी के संरक्षक, अध्यक्ष कंचनसिंह हिरण, अंतरराष्ट्रीय महिला उर्दू लेखिकाओं के ट्रस्ट “बनात“ की सदस्य डाॅ. सरवत खान सहित अनक गण्मान्य नगारिक मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ.पामिल मोदी ने किया और अंत में आभार डाॅ.इकबाल सागर ने ज्ञापित किया। प्रारम्भ में ग़ज़ल एकेडमी के सचिव डॉ देवेंद्र सिंह हिरण ने एकेडमी द्वारा अब तक किये गये कार्येा की जानकारी दी।

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