उदयपुर के ये 3 युवा जो दे रहे है देश-भर में राजनीति को एक नया पेशेवर आयाम

उदयपुर के ये 3 युवा जो दे रहे है देश-भर में राजनीति को एक नया पेशेवर आयाम

तीन नौजवान जो अभी अपने ट्वेन्टिस में होने के बावजूद राज्य-दर-राज्य भारतीय राजनीतिक कैम्पेन को नयी परिभाषा दे रहे है। यह तिकड़ी (दिग्गज मोगरा, दिव्य वलवानी, अनिरुद्ध पुरोहित) उदयपुर के ही रहने वाले है जिन्होंने शुरुआत की थी 2013 के अन्ना हज़ारे आंदोलन में वोलनटीरिंग के साथ और आज चुनाव अभियान के क्षेत्र में अपना सिक्का मनवा चुके है। इस तिकड़ी ने नरेंद्र मोदी 2014 कैम्पेन में नए दौर के चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर के नेत्रतव में विस्तार से काम करने के बाद अपनी ही कन्सल्टिंग फ़र्म शुरू की और तत्पश्चात इन्होंने इस क्षेत्र में बड़े से बड़े नामी से नामी नेताओं के साथ नज़दीक से काम किया और आज तक किसी भी चुनाव में हार नहीं देखी ।

 
उदयपुर के ये 3 युवा जो दे रहे है देश-भर में राजनीति को एक नया पेशेवर आयाम अभी तक 1 राष्ट्रीय चुनाव और 6 राज्य चुनावों में दे चुके है उच्च कोटि के नेताओं के साथ महतवपूर्ण योगदान

तीन नौजवान जो अभी अपने ट्वेन्टिस में होने के बावजूद राज्य-दर-राज्य भारतीय राजनीतिक कैम्पेन को नयी परिभाषा दे रहे है। यह तिकड़ी (दिग्गज मोगरा, दिव्य वलवानी, अनिरुद्ध पुरोहित) उदयपुर के ही रहने वाले है जिन्होंने शुरुआत की थी 2013 के अन्ना हज़ारे आंदोलन में वोलनटीरिंग के साथ और आज चुनाव अभियान के क्षेत्र में अपना सिक्का मनवा चुके है। इस तिकड़ी ने नरेंद्र मोदी 2014 कैम्पेन में नए दौर के चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर के नेत्रतव में विस्तार से काम करने के बाद अपनी ही कन्सल्टिंग फ़र्म शुरू की और तत्पश्चात इन्होंने इस क्षेत्र में बड़े से बड़े नामी से नामी नेताओं के साथ नज़दीक से काम किया और आज तक किसी भी चुनाव में हार नहीं देखी ।

2014 चुनाव के बाद इन्होंने प्रशांत किशोर के साथ ही काम करते हुए भारतीय इतिहास के कुछ सबसे महतवपूर्ण चुनावों में बड़ी भूमिका निभाई जैसे 2015 में बिहार में नीतीश कुमार और 2016 में पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए।

उसके बाद प्रशांत से मतभेदों के चलते इन्होंने अपनी ख़ुद की संस्था शुरू करने का फ़ैसला किया और 2017 में गुजरात चुनाव में मुख्यमंत्री विजय रूपानी की निजी कैम्पेन टीम की तरह काम किया। पटेल आंदोलन का गढ़ कहे जाने वाले राजकोट में 8 में से 6 सीट पर जीत दिलवायी साथ ही साथ राजकोट-पश्चिम से विजय रूपानी को 50,000 से ज़्यादा वोटों से जीत दिलवाकर इतिहास रच दिया। इसके लिए वहाँ बनायी गयी 18 पेशेवर युवाओं की टीम ने सबसे पहले वहाँ चल रहे केम्पेन स्लोगन ‘राजकोट विजय भव’ को बदलकर ‘राजकोट का बेटा, गुजरात का नेता’ किया जिससे आम जनता भावनात्मक तरीक़े से इससे अपने आप को जोड़ पाए, फिर इस संदेश को फैलाने के लिए आक्रामक सोशल मीडिया, नुक्कड़ नाटक, डोर -टू -डोर, मोबाइल एसएमएस एवं रिकॉर्डेड संदेश, अथवा का सहारा लिया गया ।

इस तिकड़ी को इसके बाद कर्नाटक चुनाव के लिए अभी हाल ही में चर्चित हुए डीके शिवकुमार से बुलावा आया जहाँ इन्होंने उनके साथ मिलकर 24x 7 चलने वाला वार-रूम स्थापित किया, जिसमें 8 लोग ऑफ़िस में एवं 29 लोग ज़मीन पे काम कर रहे थे और बूथ स्तर तक की ज़मीनी हक़ीक़त को रियल टाइम में मुहैया कराने का काम करवाया। इसके चलते डीके शिवकुमा को चुनाव परिणाम आने से पहले ही आंतरिक रिपोर्ट दे दी गयी थी जिसमें कौनसी सीट जीती जाएगी, कौन निर्दलीय जीतेगा इस तरह की महतवपूर्ण जानकारी थी। जिसके चलते ही जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन में डीके शिवकुमार ने सबसे पहले तत्परता दिखाते हुए करवाई की और यह गठजोड़ बन पाया ।

दिग्गज मोगरा: गुलाब बाग़ रोड निवासी दिग्गज मोगरा सेंट पॉल स्कूल से पढ़े है तथा पेशे से इंजीनियर है और इस तिकड़ी के सबसे पुराने सदस्य है जो प्रशांत किशोर के साथ शुरुआत से थे एवं उनके काफ़ी नज़दीकी रह चुके है। इसके अलावा हाल ही में उदयपुर के लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ द्वारा विश्व कीर्तिमान स्थापित करने वाली मुहिम वस्त्रदान में भी इनकी महतवपूर्ण भूमिका थी।

दिव्य वलवानी: फ़तेहपुरा निवासी दिव्य ने द स्टडी से स्कूलिंग की उसके बाद लंदन की प्रतिष्ठित शेफ़्फ़िल्ड यूनिवर्सिटी से पलिटिकल मैनज्मेंट में डिग्री हासिल की और राजनीतिक शोध एवं डेटा के जानकार है

अनिरुद्ध पुरोहित: सेक्टर 14 निवासी अनिरुद्ध ने आलोक स्कूल से अपनी पढ़ाई की उसके बाद दिल्ली विश्वविधलय से स्नातक किया और सोशल मीडिया क्षेत्र में ओरकूट के दिनो से जुड़े हुए है ।

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