यह दुनिया ‘पागलखाना’ है, जहाँ सबको एक दिन आना है

यह दुनिया ‘पागलखाना’ है, जहाँ सबको एक दिन आना है

नाट्यांश सोसाइटी ऑफ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स और भारतीय लोक कला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में छठे राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव अल्फाज 2018 की चौथी और आखिरी सं

 

यह दुनिया ‘पागलखाना’ है, जहाँ सबको एक दिन आना है

नाट्यांश सोसाइटी ऑफ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स और भारतीय लोक कला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में छठे राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव अल्फाज 2018 की चौथी और आखिरी संध्या पर टीम नाट्यांश के कलाकारों ने नाटक ‘पागलखाना’ का मंचन किया। पिछले छः वर्षो से पुर्णतया नारी शक्ति के विषय पर केन्द्रित राजस्थान का एक मात्र नाट्य महोत्सव अल्फ़ाज़, इस वर्ष भारतीय लोक कला मंडल के संस्थापक पद्मश्री देवीलाल सामर की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें समर्पित है।

कार्यक्रम की शुरूआत में मंच के बाहर खुले प्रांगण में नाट्यांश के कलाकार अमित श्रीमाली ने स्व लिखित नाटक ‘पलायन’ के कुछ दृश्य प्रस्तुत कर के दर्शको का मनोरंजन किया। यह कहानी एक गाँव से शहर आये एक मजदुर की है जो शहरी रंगढंग से परेशान हो कर फिर से गाँव लौटना चाहता है, परन्तु हालात उसे ऐसा नही करने देते।

अल्फाज़ 2018 के चौथे और आखिरी दिन पर अशोक कुमार ‘अंचल’ द्वारा लिखित नाटक ‘पागलखाना’ का मंचन हुआ। इस नाटक में कलाकारों ने समाज के मुख्य स्तंभ नेता, व्यापारी, मीडिया, प्रशासन और आम जनता को पागलों से तुलना करते हुए प्रस्तुत किया गया है। नाटक में महिला किरदार सुरसतिया सभी किरदारों के दिमाग में होने वाले विभिन्न विचारों का केंद्र बनती है और सभी पागल उसके आस पास ही अपनी इच्छाओ को प्रकट करते है। ये सभी पागल हमारे समाज के हर तबके के लोगो को दर्शाते है। पहला पागल नेता सत्ता और शक्ति को; दूसरा पागल उद्योगपति पैसे को; तीसरा पागल गायक क्रांति और शोषण के खिलाफ विद्रोह को; चौथा पागल पत्रकार प्रजातंत्र को प्रदर्शित करता है।

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नाटक में दरबान जो की पागल नहीं है बल्कि पागलखाने का रक्षक है वो सभी की आवाज़ को दबाने का प्रयत्न करता है और लालच में आकर सत्ता और शक्ति के साथ मिल जाता है। नाटक में यह चार पागल समाज के वो चार स्तम्भ है जिनसे समाज और देश की प्रगति टिकी है। मगर जब यही स्तम्भ देश को आगे बढ़ने की जगह खुद को आगे बढ़ाते है तब जनता का मौन रहना उचित है।

इन्ही स्तंभों के द्वारा सुरसतिया, पागलखाने की एकमात्र महिला पात्र और सफाई कर्मचारी, का भी शोषण किया जाता है और उसका बलात्कार कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। निर्देशक अशफ़ाक नूर खान ने अपनी कल्पनानुसार दो नए किरदार पगली राधा (एक किन्नर) और मुखबीर (जो सभी घटनाओ का एक मूक गवाह है।) को शामिल किया है। यह पागल हमारी समाज में उन लोगो को चित्रित करते है जो सब कुछ देखकर और जानकार भी अनदेखा करते है और अनजान बने रहते है। दरअसल ये लोग समाज के मूक दर्शक जो सिर्फ स्वयं को ही बचाने चाहते है।

यह दुनिया ‘पागलखाना’ है, जहाँ सबको एक दिन आना है

प्रस्तुति प्रबन्धक मोहम्मद रिजवान ने बताया कि उदयपुर के नाट्यांश सोसाइटी ऑफ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स की प्रस्तुति पागलखाना में मंच पर इंद्र सिंह सिसोदिया, चक्षु सिंह रूपावत, नेहा पुरोहित, अगस्त्य हार्दिक नागदा, मोहन शिवतारे, महेश जोशी, धर्मेंद्र टिलावत, राघव गुर्जरगौड़, मनिषा शर्मा ने अपने अभिनय कौशल के दम पर दर्शकां का मन मोह लिया। मंच पार्श्व में रूप सज्जा – पलक कायस्थ, वेशभूषा – नेहा पुरोहित, मंच व्यवस्था – हार्दिक नागदा, मंच सामग्री – मनिशा शर्मा, मंच सहायक – अक्षय गुर्जर, राहुल सोलंकी, हरीश प्रजापत, संगीत निर्देशन – हेमंत आमेटा, मोहन शिवतारे, प्रस्तुति संयोजक – मोहम्मद रिज़वान, सह निर्देशक – राघव गुर्जरगौड़, महेश जोशी में सहयोग दिया। इस नाटक में प्रकाश व्यवस्था और संचालन जयपुर से आये हमारे सहयोगी कलाकार शहजोर अली ने किया। नाटक की परिकल्पना और निर्देशन अशफ़ाक़ नुर खान द्वारा किया गया।

नाटक समाप्ति के बाद आई. आई. एम. वाराणसी के प्रोफेसर श्री अरूण जैन, वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. लईक हुसैन, वरिष्ठ रंगकर्मी दिपक जोशी और नाट्यांश के कार्यक्रम संयोजक रेखा सिसोदिया और मोहम्मद रिजवान ने सभी कलाकारों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सभी का उत्साहवर्धन किया।

चार दिवसिय इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अशफाक नुर खान, रेखा सिसोदिया, योगिता सिसोदिया, अशफ़ाक़ नुर ख़ान, मोहम्मद रिज़वान, अब्दुल मुबीन खान, अरूण जैन, ऋषभ यादव, प्रणव दवे, हेमंत आमेटा, अगस्त्य हार्दिक नागदा, कुलश्रेष्ठ सिंह, रतन सेठिया, अशोक जैन, हसन पालीवाला, रिया चौधरी, सृष्ठि पुरोहित, शिवानी सोनी, तनुजा सनाढ्य, जतिन भारवानी, कुमद द्विवेदी, प्रविण चौधरी, भवानी शंकर कुमावत, भीष्म प्रताप, जितेन्द्र औदिच्य, अंकित जोशी, कन्हैया सुथार, नयन कौठारी, प्रणव दाधिच और आकांक्षा द्विवेदी का भी सहयोग प्राप्त हुआ। इस नाटक की प्रस्तुति के साथ ही नाट्यांश संस्थान द्वारा आयोजित छठा राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव अल्फाज 2018 का समापन हुआ। इस अवसर पर नाट्यांश संस्थान के संस्थापक और सचिव अमित श्रीमाली ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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