नन्ही बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को शीघ्र फांसी की सज़ा दी जाए
“आज छोटी-छोटी बच्चियों के साथ रोजाना कुछ पाशविक दरिंदों के द्वारा दुष्कर्म के बर्बर कुकृत्यों ने इस सभ्य और सुसंस्कृत समाज में भयंकर दहशत पैदा कर दी है और नन्ही बच्चियां अपने ही घरों में या आस पड़ोस के वासियों की शिकार बन रही हैं। हर तरफ मातम सा पसरा है बच्चियों के घर से निकलने में ख़तरा है। इसीलिए समय रहते सब मिलकर नहीं चेते तो ऐसे दुष्कर्मियों के हौसले बढ़ते जाएंगे और यह देश दुष्कर्मियों का देश कहलाएगा । जरूरत इस बात की है कि फास्ट ट्रैक अदालतों के द्वारा स्वीकृत दुष्कर्मियों को फांसी दे दी जाए।“ यह विचार यहां रश्मि का सोपान की द्वितीय बैठक में कच्ची उम्र की बच्चियों के साथ हो रहे निरंतर दुष्कर्मों के मामले और सामाजिक जिम्मेदारी विषय पर भारत विकास परिषद के प्रांती
“आज छोटी-छोटी बच्चियों के साथ रोजाना कुछ पाशविक दरिंदों के द्वारा दुष्कर्म के बर्बर कुकृत्यों ने इस सभ्य और सुसंस्कृत समाज में भयंकर दहशत पैदा कर दी है और नन्ही बच्चियां अपने ही घरों में या आस पड़ोस के वासियों की शिकार बन रही हैं। हर तरफ मातम सा पसरा है बच्चियों के घर से निकलने में ख़तरा है। इसीलिए समय रहते सब मिलकर नहीं चेते तो ऐसे दुष्कर्मियों के हौसले बढ़ते जाएंगे और यह देश दुष्कर्मियों का देश कहलाएगा । जरूरत इस बात की है कि फास्ट ट्रैक अदालतों के द्वारा स्वीकृत दुष्कर्मियों को फांसी दे दी जाए।“ यह विचार यहां रश्मि का सोपान की द्वितीय बैठक में कच्ची उम्र की बच्चियों के साथ हो रहे निरंतर दुष्कर्मों के मामले और सामाजिक जिम्मेदारी विषय पर भारत विकास परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष और उपभोक्ता अधिकार संगठन की अध्यक्ष “श्रीमती राजश्री गांधी “ने बतौर मुख्य अतिथि रखे।
बैठक में अध्यक्षता कर रहीं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समिति की संभागीय अध्यक्ष श्रीमती ललिता वर्मा ने कहा कि वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनैतिकता और क्रूर हिंसा का वातावरण बन चुका है, जिस से मुक्ति पाने के लिए विद्यालय स्तर से ही बेटियों के प्रति सम्मान व सुरक्षा का भाव बेटों में भरने की ज़रूरत है। जिसमें अभिभावकों के अध्यापकों के साथ विशेषतः मां की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। पत्रकार डॉ. शकुंतला सरूपरिया ने इस विषय पर कहा कि“ वर्तमान में सामुहिक सुरक्षा का एक मजबूत छाता तमाम आधी आबादी पर रखा जाना आवश्यक है, ताकि ऐसे हादसे जन्म ही ना ले सकें। माताएं या घर का कोई भी सदस्य नन्ही बच्चियों पर पल- पल सुरक्षा की नज़र रखते हुए घर बाहर उन्हें एक पल के लिए भी अकेला ना छोड़ें । क्योंकि अगर तूफ़ान है तो हर एक घर में दरवाजे खिड़कियां बंद कर लेना ज़रूरी होता है । कुछ ऐसे ही सामूहिक इंतजामात से इन अपराधों में तत्काल कमी लाई जा सकती है।
श्रीमती शकुंतला सोनी ने कहा कि समाज में इतनी बड़ी संख्या में ऐसे दरिंदों का क्रूर रूप में आना बच्चियों के लिए बेहद खतरनाक सिद्ध हो रहा है ऐसे दुष्कर्मियों को कड़ी से कड़ी सज़ा देना जरूरी है। इस गोष्ठी में श्रीमती हंसा रविंद्र ,डॉ. मुद्रिका जोशी, लता वर्मा, सविता गुप्ता, प्रीति पुरोहित, वीना गौड़ ने भी एक स्वर में कहा कि ऐसे दुष्कर्मियों पर “ फांसी के कानून “ को प्रभावी रुप से लागू किया जाना चाहिए। संरक्षिका प्रेमप्यारी भटनागर ने भी विचार रखे।
सरुपरिया अध्यक्ष, पोरवाल महासचिव
रश्मिका सोपान की द्वितीय बैठक में सर्वसम्मति से डॉ. शकुंतला सरूपरिया को अध्यक्ष एवं अधिवक्ता मनीला पोरवाल को महासचिव के पद पर मनोनीत किया गया। बैठक में आगामी 18 अगस्त को स्थानीय विद्यालयों में आयोजित की जाने वाली “टीवी धारावाहिक व फिल्मों में महिलाओं की बिगड़ती छवि“ विषयक भाषण प्रतियोगिता एवं “ हमारा प्यारा परिवार“ विषय पर चित्रकला प्रतियोगिता की तैयारियों की जानकारी सविता गुप्ता व हंसा रविन्द्र द्वारा दी गई। धन्यवाद की रस्म श्रीमती वीना गौड़ ने अदा की।
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