दो बूंद एल्कोहाॅल से बचाई जिंदगी

दो बूंद एल्कोहाॅल से बचाई जिंदगी

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के कार्डियोलोजिस्ट डाॅ रमेश पटेल एवं डाॅ डैनी कुमार ने जन्मजात हृदय रोग, हाइपरट्रोफिक कार्डियो मायोपैथी से ग्रसित 52 वर्षीय पुरुष रोगी को बिना चीर फाड़ के मिनीमली इन्वेसिव एल्कोहाॅल सेप्टल एबलेशन प्रक्रिया द्वारा दो बूंद एल्कोहाॅल से नया जीवन प्रदान किया। इस प्रक्रिया द्वारा इलाज संभाग में सिर्फ गीतांजली हाॅस्पिटल में ही संभव हो रहे है। अभी तक डाॅ रमेश पटेल व उनकी टीम ने पाँच से अधिक मरीजों का इस पद्धति से इलाज किया है जो पूर्णतः स्वस्थ है।

 
दो बूंद एल्कोहाॅल से बचाई जिंदगी

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के कार्डियोलोजिस्ट डाॅ रमेश पटेल एवं डाॅ डैनी कुमार ने जन्मजात हृदय रोग, हाइपरट्रोफिक कार्डियो मायोपैथी से ग्रसित 52 वर्षीय पुरुष रोगी को बिना चीर फाड़ के मिनीमली इन्वेसिव एल्कोहाॅल सेप्टल एबलेशन प्रक्रिया द्वारा दो बूंद एल्कोहाॅल से नया जीवन प्रदान किया। इस प्रक्रिया द्वारा इलाज संभाग में सिर्फ गीतांजली हाॅस्पिटल में ही संभव हो रहे है। अभी तक डाॅ रमेश पटेल व उनकी टीम ने पाँच से अधिक मरीजों का इस पद्धति से इलाज किया है जो पूर्णतः स्वस्थ है।

बांसवाड़ा जिला निवासी राम चन्द्र परमार (उम्र 52 वर्ष) पिछले एक महीने से बार-बार बेहोश हो रहे थे। रक्तचाप के कम या अधिक होने पर उन्हें चक्कर भी आ रहे थे। इसी क्रम के चलते उन्होंने गीतांजली हाॅस्पिटल में कार्डियोलोजिस्ट डाॅ रमेश पटेल से परामर्श लिया। डाॅ पटेल द्वारा की गई ईकोकार्डियोग्राफी की जांच से पता चला कि रोगी की हृदय की मांसपेशियां असामान्य रुप से मोटी हो रही थी। इस बीमारी को हाइपरट्रोफिक आॅब्स्ट्रकटिव कार्डियो मायोपैथी कहते है। इसमें हृदय से शरीर में रक्त प्रवाह एकदम रुक जाता है जिससे मरीज बेहोश हो जाता है या अचानक हृदय की गति बढ़ने से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। यह बीमारी आमतौर पर अनुवांशिक होती है।

इस बीमारी का इलाज कैथ लेब में नियंत्रित स्थिति में एल्कोहाॅल की मदद से हृदय की नस को बंद कर बारिक पद्धति द्वारा छोटा हृदयघात दिया गया जिससे असामान्य रुप से मोटी हो रही मांसपेशी सिकुड़ या गल जाए। यह हृदयघात पूरी तरह से दोनों डाॅक्टरों के नियंत्रण में था। यह इलाज बगैर किसी चीर फाड़ के किया गया जिसमें केवल 40 मिनट का समय लगा। इस प्रक्रिया के बाद रोगी पूर्णतः स्वस्थ है।

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