दो दिवसीय नागरिकता और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न


दो दिवसीय नागरिकता और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न

भारतीय सांस्कृतिक निधि (इंटेक) उदयपुर चैप्टर एवं महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय नागरिकता और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न हुई।
 
दो दिवसीय नागरिकता और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न
कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एम एल कालरा, भूगर्भ के पूर्व प्रोफेसर पुष्पेंद्र सिंह राणावत, कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मधुसूदन शर्मा, इंटेक विरासत शिक्षा नई दिल्ली की प्रमुख निदेशक पूर्णिमा दत्ता, इंटेक नई दिल्ली की प्रतिनिधि शिखा रावत ने  भी नागरिकता एवं विरासत विषय पर अपनी वार्ताएं दी।

उदयपुर, 28 फरवरी 2020 । भारतीय सांस्कृतिक निधि (इंटेक) उदयपुर चैप्टर एवं महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय नागरिकता और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न हुई। प्रारंभ में उदयपुर चैप्टर के संयोजक बी पी भटनागर ने इंटेक की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। सह संयोजक गौरव सिंघवी ने अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

कार्यशाला समापन समारोह के मुख्य अतिथि विद्या भवन सोसाइटी के अध्यक्ष एवं इंटेक उदयपुर चैप्टर के संस्थापक अजय मेहता ने कहा कि देश में वोट के अधिकार के साथ सभी को समानता का अधिकार दिया गया। लेकिन नागरिकता और मानवीय समानता पर ध्यान नहीं दिया गया।सरकारें केवल विकास कार्य तक ही सीमित रही, जिससे देश में मानवीय मूल्यों का ह्रास हो रहा है।

उन्होंने कहा कि देलवाड़ा में देवीगढ़ का किला आधुनिक बना दिया गया, लेकिन देलवाड़ा कस्बे का विकास नहीं हुआ। देलवाड़ा में विभिन्न समाज के 5 हजार लोग रहते हैं। सेवा मंदिर ने देलवाड़ा में 15 साल पहले नागरिक विकास मंच बनाया। इस मंच से समाज के लोगों को जोड़ा गया।देलवाड़ा के नागरिकों की सहभागिता से कस्बे में  90% शौचालय बनाए गए। आदिवासी बस्ती को नल योजना से जोड़ा गया। सभी समाज की महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा गया। कस्बे में युवा मंच बनाकर रचनात्मक गतिविधियां प्रारंभ की गई। देलवाड़ा कस्बे का विकास देखकर बहुत बाद में पंचायत इन विकास कार्यों में सम्मिलित हुई। देश में एक कौम से दूसरी कौम में दूरियां पैदा की जा रही है।अतः सभी समाजों को आपस में जोड़ने की आवश्यकता है।

समापन कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए पूर्व मुख्य वन संरक्षक एवं इंटेक राष्ट्रीय विरासत के प्रमुख सलाहकार एस के वर्मा ने कहा कि प्राकृतिक धरोहर को बचाने के लिए लोगों को शिक्षित करने की महती आवश्यकता है। लोग जंगल जला देते हैं जिससे बड़े पैमाने पर पेड़ पौधे जानवर जल जाते हैं। मानव द्वारा प्राकृतिक संपदा के साथ छेड़छाड़ करने से वन्य जीवों के रहने, खाने एवं पीने के पानी का संकट हो गया है। इसलिए वन्यजीव शहरों में आने लगे हैं।उन्होंने दादा, दादी, नानी द्वारा दिए गए संस्कारों से सभी तरह की धरोहर को बचाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने मेवाड़ क्षेत्र की पुरातन, प्राकृतिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक धरोहर को बचाने का सभी प्रतिभागियों को संकल्प दिलाया।

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के पूर्व कार्यक्रम अधिकारी विलास जानवे ने कहा कि पहले महिलाएं एकत्रित होकर गेहूं साफ करती थी। शादी ब्याह के  मौके पर सभी मिलकर काम अपने हाथ से करते थे। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत है। हम लोकगीतों के माध्यम से विरासत बचाने का कार्य कर सकते हैं।उन्होंने माईम द्वारा प्रतिभागियों को स्वच्छता का संदेश दिया।

कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एम एल कालरा, भूगर्भ के पूर्व प्रोफेसर पुष्पेंद्र सिंह राणावत, कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मधुसूदन शर्मा, इंटेक विरासत शिक्षा नई दिल्ली की प्रमुख निदेशक पूर्णिमा दत्ता, इंटेक नई दिल्ली की प्रतिनिधि शिखा रावत ने  भी नागरिकता एवं विरासत विषय पर अपनी वार्ताएं दी।
      

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal