विद्या भवन में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न
व्यक्ति की अच्छाइयों को प्रोत्साहित किया जाए तो समस्याओं का समाधान तुरंत होगा। वर्तमान में हिंसा, अशांति का प्रमुख कारण शोषण, असंतोष एवं असहिष्णुता है। शांति व्यावहारिकता से आएगी इसके लिए गांधी के अहिंसा के उपकरण को इस्तेमाल करना होगा।
उदयपुर। व्यक्ति की अच्छाइयों को प्रोत्साहित किया जाए तो समस्याओं का समाधान तुरंत होगा। वर्तमान में हिंसा, अशांति का प्रमुख कारण शोषण, असंतोष एवं असहिष्णुता है। शांति व्यावहारिकता से आएगी इसके लिए गांधी के अहिंसा के उपकरण को इस्तेमाल करना होगा।
यह बातें यहां विद्या भवन गोविन्दराम सेकसरिया शिक्षक महाविद्यालय में आयोजित ‘‘गांधी दर्शनः समकालीन विश्व में प्रासंगिकता‘‘ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में उभर कर आई। संगोष्ठी के निष्कर्ष के रूप में यह सिफारिश की गई कि यदि युवा पीढ़ी गांधी को करीब से समझना चाहते हैं तो उनके हिंद स्वराज को जरूर पढ़ना चाहिए।
संगोष्ठी में यह बात भी निकल कर आई कि यदि हमें सुधार करना है वर्तमान चुनौतियों से निपटना है तो गांधी के विचारों को जनआंदोलन के रूप में अपनाना होगा तथा इसे अभ्यास में लाना होगा। यह बात भी आई कि समस्या का समाधान आरोपित नहीं बल्कि स्वअनुशासित होना चाहिए। समाज में समानता लानी है तो सहशिक्षा को प्रधानता देनी चाहिए यह एक-दूसरे के प्रति संवेदनशीलता के लिए जरूरी कदम होगा। गांधी के विचारों को विद्यालय की कक्षा तथा प्रार्थना सभा में चर्चा के लिए जगह मिलनी चाहिए ताकि उनके विचार व्यवहार में आ सके और विद्यार्थियों में परिवर्तन आ सके।
शिक्षाविद् प्रो. ए.बी. फाटक की अध्यक्षता में खुला सत्र हुआ जिसमें संभागियों ने संगोष्ठी के दौरान बनी समझ को सभी के सामने प्रस्तुत किया। इससे पूर्व सुबह के तकनीकी सत्र में संभागिनों ने अपने पत्र वाचन किए। तकनीकी सत्र का संचालन जनार्दन राय नागर विश्व विद्यालय की पूर्व वाईस चांसलर प्रो. दिव्य प्रभा नागर, लोकमान्य तिलक शिक्षक महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. शशि चित्तौड़ा, शिक्षाविद् प्रो. हेमलता तलेसरा, शिक्षाविद् प्रो. ए.बी. फाटक, शिक्षाविद् प्रो. डी.एन. दानी, केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के डाॅ. दिनेश चहाल, निंबार्क शिक्षक महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डाॅ. सुरेन्द्र द्विवेदी ने किया।
दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन समारोह के मुख्य अतिथि मोहनलाल सुखाड़िया विश्व विद्यालय की कला संकाय की अधिष्ठाता प्रो. साधाना कोठारी थीं। विशिष्ट अतिथि जनार्दन राय नागर विश्व विद्यालय की पूर्व वाईस चांसलर प्रो. दिव्य प्रभा नागर थी। अध्यक्षता विद्या भवन सोसायटी के अध्यक्ष अजय एस. मेहता ने की। संगोष्ठी में 200 संभागियों ने भाग लिया।
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