कृषि उत्पादन एवं आय को बढ़ाने के लिए नवाचारों का प्रयोग आवश्यक


कृषि उत्पादन एवं आय को बढ़ाने के लिए नवाचारों का प्रयोग आवश्यक

एमपीयूएटी के संघटक राजस्थान कृषि महाविद्यालय में बदलते परिदृष्य में सस्य विज्ञान हस्तक्षेपों के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करने के विषय पर इण्डियन सोसायटी आॅफ एग्रोनोमी (आईएसए), नई दिल्ली की तीन दिवसीय 21 वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन विभिन्न सत्रों जैसे-बदलते परिदृश्य के तहत् सतत संसाधन उपयोग और कृषि आय के लिए विविधीकरण, विभिन्न कृषि पारिस्थितिक तंत्र और संसाधन के लिए समन्वित फसल प्रणाली (आईएफएस) और समन्वित फसल प्रबन्धन (आईसीएम) संरक्षण कृषि और जलवायु प्रतिरोधक क्षमतापूर्ण सस्य विज्ञान, कार्बनिक, परिशुद्धता और संविदात्मक खेती, फार्म मशीनीकरण, कटाई उपरान्त फसल प्रबंधन, प्रसंस्करण, मूल्य वृद्धि तथा सस्य विज्ञान शिक्षा, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और आय उत्पन्न करने वाली नीतियों का समर्थन आदि पर शोध-पत्रों का वाचन किया गया साथ ही विभिन्न कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समानान्तर सत्रों में पोस्टर के माध्यम से शोध-पत्रों का प्रदर्शन किया गया।

 

कृषि उत्पादन एवं आय को बढ़ाने के लिए नवाचारों का प्रयोग आवश्यक

एमपीयूएटी के संघटक राजस्थान कृषि महाविद्यालय में बदलते परिदृष्य में सस्य विज्ञान हस्तक्षेपों के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करने के विषय पर इण्डियन सोसायटी आॅफ एग्रोनोमी (आईएसए), नई दिल्ली की तीन दिवसीय 21 वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन विभिन्न सत्रों जैसे-बदलते परिदृश्य के तहत् सतत संसाधन उपयोग और कृषि आय के लिए विविधीकरण, विभिन्न कृषि पारिस्थितिक तंत्र और संसाधन के लिए समन्वित फसल प्रणाली (आईएफएस) और समन्वित फसल प्रबन्धन (आईसीएम) संरक्षण कृषि और जलवायु प्रतिरोधक क्षमतापूर्ण सस्य विज्ञान, कार्बनिक, परिशुद्धता और संविदात्मक खेती, फार्म मशीनीकरण, कटाई उपरान्त फसल प्रबंधन, प्रसंस्करण, मूल्य वृद्धि तथा सस्य विज्ञान शिक्षा, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और आय उत्पन्न करने वाली नीतियों का समर्थन आदि पर शोध-पत्रों का वाचन किया गया साथ ही विभिन्न कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समानान्तर सत्रों में पोस्टर के माध्यम से शोध-पत्रों का प्रदर्शन किया गया।

डॉ अभय व्यास, अध्यक्ष, आईएसए, नई दिल्ली ने बताया कि संगोष्ठी के दूसरे दिन डाॅ. पी के घोष, राष्ट्रीय समन्वयक, राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी), आईसीएआर, नई दिल्ली ने फसल विविधीकरण और टिकाऊ तीव्रता के माध्यम से मिट्टी कार्बन प्रबंधन, डाॅ. एस वी आंगडी, प्रोफेसर, न्यू मेक्सिको स्टेट विश्वविद्यालय, युएसए ने संयुक्त राज्य अमेरिका के अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में फसल विविधीकरण के लिए टिकाऊ मिट्टी और जल संसाधनों का उपयोग, डाॅ. बी. गंगवार, पूर्वनिदेशक, आईआईएफएसआर, मोदीपुरम, उत्तर प्रदेश ने बदलती जलवायु के तहत कृषि आय को दोगुना करने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली के दृष्टिकोण, डाॅं. एन. रविशंकर, परियोजना समन्वयक, आईआईएफएसआर, मोदीपुरम, उत्तर प्रदेश, डाॅं. एन.एस. राठौड़, उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा), भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली ने मशीनीकरण एवं द्वितीयक कृषि, डाॅं. अरविन्द कुमार, कुलपति, रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय (आरएबी सीएयू) झाॅंसी (उत्तर प्रदेश) ने बदलते पर्यावरण के परिदृश्य में फसल उत्पादन एवं कृषि आय को बढ़ाने के लिए सस्य विज्ञान में नवाचारों के प्रयोग पर व्याख्यान दिये ।

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स्थानीय आयोजन सचिव डाॅ. वीरेन्द्र नेपालिया ने बताया कि समापन समारोह के मुख्य अतिथि डाॅ. एस. एल. मेहता, भूतपूर्व कुलपति, एमपीयूएटी, उदयपुर तथा समारोह की अध्यक्षता डाॅ. ए. के. सिंह, उपमहानिदेशक (कृषि विस्तार), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली करेंगे। संगोष्ठी के समापन समारोह का आयोजन दिनांक 26 अक्टूबर 2018 को प्रातः 11.30 बजे आरसीए के नूतन सभागार में किया जाएगा।

डाॅं. वाईएस शिवाय, सचिव, आईएसए, नई दिल्ली ने बताया कि आज साॅंयकाल 04.00 बजे इण्डियन सोसायटी आॅफ एग्रोनोमी की सामान्य सभा का आयोजन आरसीए के नूतन सभागार में किया गया, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई।

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