उस्ताद बहाउद्दीन डागर ने छेडे़ रुद्र वीणा से राग

उस्ताद बहाउद्दीन डागर ने छेडे़ रुद्र वीणा से राग

उदयपुर 9 मार्च। महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन वार्षिक सम्मान-2019 की पूर्व संध्या पर आयोजित ‘हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत समारोह’ में सिटी पेलेस के ऐतिहासिक माणक चौक में उस्ताद मोही बहाउद्दीन डागर ने छेड़े रुद्र वीणा संग मारवा राग हिन्दुस्तान के प्रख्यात रुद्र वीणा वादक उस्ताद मोही बहाउद्दीन डागर साहब ने रुद्र वीणा पर मारवा राग की प्रस्तुतियां प्रदान की, जिसमें उस्ताद ने प्रसिद्ध ध्रुपद पद्धति के आलाप-जोड़-जाला को रुद्रवीणा के तारों से मधुर कर बिखेरा। रुद्र वीणा से चली इन मोहक धुनों की बहार से श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये। वीणा के तारों से छिड़ी यह बहार कभी धीमी, कभी मध्यम तो कभी रुद्र की तरह तीव्रता लिए थी।

 

उस्ताद बहाउद्दीन डागर ने छेडे़ रुद्र वीणा से राग

उदयपुर 9 मार्च। महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन वार्षिक सम्मान-2019 की पूर्व संध्या पर आयोजित ‘हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत समारोह’ में सिटी पेलेस के ऐतिहासिक माणक चौक में उस्ताद मोही बहाउद्दीन डागर ने छेड़े रुद्र वीणा संग मारवा राग। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत समारोह का शुभारम्भ भार्गवी कुमारी मेवाड़ एवं पंकजा कुमारी परमार ने दीप प्रज्जवलन की रस्म के साथ किया।

हिन्दुस्तान के प्रख्यात रुद्र वीणा वादक उस्ताद मोही बहाउद्दीन डागर साहब ने रुद्र वीणा पर मारवा राग की प्रस्तुतियां प्रदान की, जिसमें उस्ताद ने प्रसिद्ध ध्रुपद पद्धति के आलाप-जोड़-जाला को रुद्रवीणा के तारों से मधुर कर बिखेरा। रुद्र वीणा से चली इन मोहक धुनों की बहार से श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये। वीणा के तारों से छिड़ी यह बहार कभी धीमी, कभी मध्यम तो कभी रुद्र की तरह तीव्रता लिए थी।

देश के संगीत प्रेमियों संग विदेशी मेहमान भी इस जीवंत कला विरासत से अभिभूत हुए बिना न रह सके। उस्ताद द्वारा प्रस्तुत ध्रुपद शैली भारत की सबसे पुरानी जीवित मुखर परम्परा का हिस्सा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में ध्रुपद एवं गायकी अपना मौलिक व सम्मानजनक स्थान रखती है।

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रूईदास डागर मुगल बादशाओं के प्रख्यात दरबारी गायक थे। जिनका परिवार पहले दिल्ली से जयपुर आया तथा बाद में महाराणा सज्जनसिंह के समय गुणियों एवं कलावंतों की आश्रय भूमि मेवाड़ को समर्पित हो गया। रूईदास डागर के उदयपुर आने पर महाराणा ने डागर परिवार को यथोचित आदर सत्कार दिया। पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही इन परम्पराओं और शिक्षाओं को उस्ताद मोही बहाउद्दीन डागर ने सुर बहार के विख्यात कलाकार एवं उनके पिताश्री उस्ताद जिया मोहिउद्दीन डागर से ली तथा पौराणिक रूद्र वीणा का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया।

आज उस्ताद मोही बहाउद्दीन डागर पौराणिक रूद्र वीणा वादन को जीवंत रखने वाले कलाकार है। डागर साहब द्वारा आज छेड़ी रूद्र वीणा वादन की शैली मेवाड़ के महान महाराणाओं को समर्पित रही। अंत में उस्ताद ने पखावज के संग गत की प्रस्तुत दी। समारोह में पखावज़ पर इंदौर के संजय आगले तथा तानपुरे पर उदयपुर के यशोनंदन ने साथ दिया।

उस्ताद बहाउद्दीन डागर ने छेडे़ रुद्र वीणा से राग

समारोह के अंत में महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी अरविन्द सिंह मेवाड़ ने उन्हें सरोपाव प्रदान कर इस कला और कलाकारों का आदर-सम्मान किया। सम्मान समारोह के संयोजक डाॅ. मयंक गुप्ता ने बताया कि 10 मार्च रविवार सायं 4.30 बजे सिटी पेलेस के माणक चौक में विद्यार्थियों से लेकर राज्यस्तर, राष्ट्र स्तर एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर के सम्मान प्रदान किये जाएगे।

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