विक्टोरिया एन्ड अब्दुल की लेखिका शरबनी बसु से रूबरू
प्रभा खेतान फाउंडेशन और एहसास 'वीमेन ऑफ़ उदयपुर के संयक्त तत्वावधान में द राइट सर्किल कार्यक्रम होटल रेडिसन ब्लू में आयोजित किया गया जहाँ पत्रकार और लेखिका शरबनी बसु की लिखी किताब 'विक्टोरिया एन्ड अब्दुल' की रहस्य्मयी कहानी पर लिखी गई किताब की लेखिका के साथ रूबरू चर्चा की गई। किताब में वर्णित प्रसंगो पर किये गए सवालों के जवाब लेखिका द्वारा बेबाक शब्दों में दिए गए।
प्रभा खेतान फाउंडेशन और एहसास ‘वीमेन ऑफ़ उदयपुर के संयक्त तत्वावधान में द राइट सर्किल कार्यक्रम होटल रेडिसन ब्लू में आयोजित किया गया जहाँ पत्रकार और लेखिका शरबनी बसु की लिखी किताब ‘विक्टोरिया एन्ड अब्दुल’ की रहस्य्मयी कहानी पर लिखी गई किताब की लेखिका के साथ रूबरू चर्चा की गई। किताब में वर्णित प्रसंगो पर किये गए सवालों के जवाब लेखिका द्वारा बेबाक शब्दों में दिए गए।
मूलतः कोलकाता निवासी शरबानी बसु ने अपना कॅरियर 1983 से मुंबई से बड़े अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया से शुरू किया था। दिल्ली से सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास के विषय में स्नातक की उपाधि हासिल करने वाली बसु 1987 इंग्लैंड जाकर कोलकाता की प्रसिद्ध ‘आनंद बाजार पत्रिका’ के लिए इंग्लैंड से अपनी सेवाए दी इतिहास के पन्नो से प्यार मुहब्बत और दोस्ती की कहानी पर लिखने में इनकी ख़ास रूचि है।
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बसु ने अपनी पहली नावेल भारतीय खानो पर आधारित “Curry: The Story of the Nation’s Favorite Dish,” पर लिखी थी। “Victoria & Abdul: The True Story of the Queen’s Closet Confidant.” के अलावा सेकंड वर्ल्ड वॉर की नायिका नूर इनायत खान पर “Spy Princess: The Life of Noor Inayat Khan,” पर किताबे लिखी है उनकी लिखी विक्टोरिया एन्ड अब्दुल पर हॉलीवुड में फिल्म भी बन चुकी है।
शरबनी बसु ने अपनी किताब ‘विक्टोरिया एन्ड अब्दुल’ पर विचार साझा करते हुए बताया की इंग्लैंड की महारानी क्वीन विक्टोरिया को एक भारतीय मुलाजिमान (सेवक) अब्दुल करीम की दोस्ती में इतनी ख़ुशी मिलती है की वह अब्दुल के लिए उर्दू सीखती है वहीँ अब्दुल उनके प्रति सम्मान, समर्पण और वफ़ादारी निभाने के लिए अंग्रेजी सीखता है। अब्दुल का एक मुलाजिमान के पद से ‘मुंशी’ बनना और महारानी क्वीन विक्टोरिया के नज़दीकियों के चलते राजमहल और अन्य लोगो का काफी नागवार गुज़रता है। लेखिका ने बताया की उनकी यह किताब ऐसी दोस्ती पर आधारित है जिसमे एक दूसरे के प्रति सम्मान और निष्ठा (वफ़ादारी) का भाव होता है।
एक अन्य सवाल के जवाब में शरबनी बसु ने दूसरे विश्व युद्ध में भारतीय मूल की ब्रिटिश जासूस नूर इनायत खान की निष्ठां पर लिखी किताब के बारे में बताया की कैसे नूर इनायत खान जर्मन सेना के हत्थे चढ़ने के बाद जर्मन सेना की हाथो टॉर्चर होने के बाद भी अपनी जान दे दी लेकिन कोई जानकारी लीक नहीं की।
पहली बार उदयपुर आई शरबनी बसु ने बताया की वह उदयपुर के इतिहास पर लिखने का विचार करेंगी। कार्यक्रम में स्वाति अग्रवाल, श्रद्धा मुर्डिया, मूमल भंडारी, रिद्धिमा दोशी, कनिका अग्रवाल और शुभ सिंघवी सहित शहर के कई गणमान्य महिलाये उपस्थित थी।
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