स्कूलों में विज़न जरूरी-संचालन कार्पोरेट स्ट्रक्चर पर आधारित होना चाहिए
हिन्दुस्तान जिंक के हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेशन पवन कौशिक ने सोमवार को दिल्ली पब्लिक स्कूल के प्राइमेरी से 12वीं कक्षा तक के 150 से अधिक अध्यापकों को मोटिवेशनल कार्यशाला में सम्बोधित करते हुए बताया कि स्कूलों में विज़न ज़रूरी-संचालन कार्पोरेट स्ट्रक्चर पर आधारित होना चाहिए। पवन कौशिक ने कार्यशाला में एक प्रजन्टेशन के माध्यम से गुरूक्षे़त्र एवं गुरूकुल के शिक्षकों, शिक्षा एवं शिष्यों के सम्बन्धों एवं जुड़ाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
हिन्दुस्तान जिंक के हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेशन पवन कौशिक ने सोमवार को दिल्ली पब्लिक स्कूल के प्राइमेरी से 12वीं कक्षा तक के 150 से अधिक अध्यापकों को मोटिवेशनल कार्यशाला में सम्बोधित करते हुए बताया कि स्कूलों में विज़न ज़रूरी-संचालन कार्पोरेट स्ट्रक्चर पर आधारित होना चाहिए। पवन कौशिक ने कार्यशाला में एक प्रजन्टेशन के माध्यम से गुरूक्षे़त्र एवं गुरूकुल के शिक्षकों, शिक्षा एवं शिष्यों के सम्बन्धों एवं जुड़ाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
पवन कौशिक ने बताया कि हर माता-पिता की बच्चों के प्रति कुछ अपेक्षाएं होती है जो स्कूल में दाखिले के साथ ही पूरी होने लगती है। जैसे-जैसे बच्चा स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहा होता हैं वैसे-वैसे माता-पिता को उसके भाविष्य की चिंता होने लगती है। स्कूल में माता-पिता, टीचर्स और स्टूटेन्डस को किसी भी बच्चों के भविष्य को बनाने में सांझा योगदान होता है। किसी एक भी कमी से बच्चे का भविष्य नहीं सुधर पाता।
पवन कौशिक ने अपने अनुभव की रूपरेखा से ना सिर्फ एक स्पीकर की भांति बल्कि एक पिता होने के नाते भी स्कूल में कार्पोरेट स्ट्रक्चर प्रणाली अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक कार्पोरेट में विभिन्न विभाग अपनी कार्यदक्ष्ता में निपुणता दिखाते है उसी प्रकार स्कूलों में भी विभिन्न विषयों में निपुणता आनी चाहिए। इस निपुणता का आकंलन भी करना आसान हो जाएगा और स्कूलों को अनेक नये विषयों को सम्मिलित करने का मौका भी मिलेगा।
पवन कौशिक ने अन्य विषय जैसे स्कूलों में स्टूडेन्टस की दिनचर्या, स्कूल टीचर्स का बच्चों के प्रति व्यवहार, टीचर्स के प्रति पेरेन्टस के विचार, स्कूल की रेप्यूटेशन, स्टूडेन्टस का टीचर्स के प्रति विश्वास, स्कूल से बच्चों को अपेक्षाएं, बच्चों से टीचर्स एवं स्कूल को अपेक्षाएं, अनुशासन, स्टूडेन्टस का प्रोफेशनल एवं कैरियर के प्रति रूचि, गलती एवं अपराध के लिए दण्ड, इमोशनल जुड़ाव, टीचर्स के साथ पेरेन्टस की मीटिंग, टीचर्स एवं स्टूडेन्टस की फिलिंग, स्टूडेन्टस में लीडरशिप, पर्सनल डवलपमेंट, पेरेन्टस एवं टीचर्स के प्रयासों से सोसियल गु्रमिंग, टीचर्स के लिए आॅरियन्टेशन कार्यक्रम, टीचर्स के साथ-साथ माता-पिता की भी शिक्षा के प्रति जिम्मेदारी, टीचर्स के साथ काउन्सलिंग, स्कूलों में एडवायजरी बोर्ड का गठन, गरीब बच्चों की सहायता, टाईम लाईन एजेन्डा तथा टीचर्स के लिए होम वर्क पर विस्तार से जानकारी दी।
अध्यापकों ने कार्यक्रम की बहतु सराहना की एवं उपयोगी तथा महत्वपूर्ण बताया। डीपीएस के अध्यापको ने कहा कि स्कूल में कार्य सुचारू रूप से चले उसके लिए इस तरह की कार्यशाला होती रहली चाहिए।
शिक्षकों ने विद्यार्थियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी पर जोर दिया तथा यह भी कहा कि अभिभावकों को भी सहभागीदार होना चाहिए एवं बच्चों को स्कूल समाप्त होने के पश्चात् व्यवहारिक बोध कराना चाहिए। अभिभावकों, शिक्षकों को शिक्षा प्रणाली को समझना होगा तथा समन्वय विकास के लिए कंधा से कंधा मिलाकर कार्य करना होगा।
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