उदयपुर। उदयपुर वमून चेम्बर ऑफ़ काॅमर्स एण्ड इन्डस्ट्रीज की ओर से आज जूम पर स्वतंत्रता-पुनः परिभाषित विषयक वेबिनार आयोजित की गई। जिसके मुख्य वक्ता इसकोन के मदनगोविन्द दास थे।
इस अवसर पर उन्होंने भागवत गीता के महत्व के बारें में जानकारी देते हुए उसके महत्व के बारें में बताया। गीता हमारे जीवन जीने का आधार है। वह हमें गाइड करती रहती है और हम उसी अनुरूप अपने जीवन को जीते चले जाते है। गीता धरती पर रहने वाले हर मनुष्य के लिये उपयोगी है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार मशीन का सही उपयोग करने के लिये उसके मेन्युअल को फोलो किया जाता है।
उन्होंने बताया कि गीता का यह ज्ञान 5 हजार वर्ष पूर्व दिया गया था और यह दुनिया सर्वाधिक प्रकाशित होने वाला ग्रन्थ है, जो लगभग सभी भाषाओं में उपलब्ध है। उन्होंने चार युगों के बारें में जानकारी देते हुए बताया कि किस प्रकार मानव का युग दर युग पतन हो रहा है। आज इस कलियुग में सभी स्वतंत्र हो कर जीना चाहते है। वह कहीं भी जानें की, कुछ भी खानें की एवं किसी भी प्रकार से जीनें की स्वतंत्रता चाहता है, लेकिन क्या हम सही मायनों में स्वतंत्र है। हम आज भी अपनी पाँचो इन्द्रियों के अधीन है। इन्द्रियों पर हमारा कोई वश नहीं है। इस भौतिक जगत में उलझते ही जा रहे है। उन्होंने कहा कि वास्तविक स्वतंत्रता वहीं है जब हम अपनी इन्द्रियों पर संयम रखें।
प्रारम्भ में उदयपुर वमून चेम्बर ऑफ़ काॅमर्स एण्ड इन्डस्ट्रीज की अध्यक्ष रीटा महाजन ने सभी का स्वागत किया एवं नीता मेहता ने अंत में आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक डाॅ. चित्रा लढ़ा ने भी संबोधित किया।
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