नव वर्ष का करे स्वागत - परिंदों को नही पंहुचायें आघात
उदयपुर। तेज व रंग बिरंगी लाइटों, पटाखों के शोर व निकलने वाली गैसों, तीव्र ध्वनि का संगीत का यह प्रदूषण पक्षियों, जानवरो व इंसानों के लिए घातक है। नववर्ष समारोह आयोजनों में होटल व रिसोर्ट मालिकों को इस प्रदूषण पर नियंत्रण रखना चाहिए।
रविवार को आयोजित झील संवाद में झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि रात को तेज आवाज व रोशनी से पक्षी पीड़ित व भ्रमित होकर अपने ठिकानों को छोड़ इधर उधर भटक जाते है। कई पक्षी मर भी जाते है। हम नागरिक बर्ड फेस्टिवल जैसे आयोजन कर झीलो तालाबो पर पंहुचे देशी प्रवासी परिंदों का स्वागत कर रहे है। लेकिन, नव वर्ष स्वागत के शोर व प्रदूषण से उन पर होने वाले जानलेवा आघात को रोकने का संकल्प नही ले रहे।
झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पटाखों-आतिशबाजी से सल्फर व नाइट्रोजन की विषैली गैसें निकलती है। ये पक्षियों के लिए जहर है। पटाखों के कारण पक्षियों के पंख जल भी जाते हैं। पालीवाल ने कहा कि रात्रि को तेज रोशनी से पक्षियों का दैनिक चक्र डगमगा जाता है। प्रशासन को सख्ती से तेज शोर, रोशनी व पटाखों पर नियंत्रण लगाना चाहिए।
पर्यावरण प्रेमी कुशल रावल तथा द्रूपद सिंह चौहान ने कहा कि झीलो व तालाबो के समीप क्षेत्रो में जंहा पक्षी अपना डेरा जमाए हुए है, वँहा नव वर्ष आयोजनों पर निगरानी के लिए एक विशेष नियंत्रण समिति बनानी चाहिए।
रमेश चंद्र राजपूत व कुणाल कोष्ठी ने कहा कि देशी विदेशी पर्यटकों की खुशी के लिए देशी विदेशी पक्षियों की खुशी व जीवन को संकट में नही डालना चाहिए।
इस अवसर पर आयोजित श्रमदान मे मोहन सिंह चौहान, देवराज सिंह, कृष्णा कोष्ठी, द्रुपद सिंह, रमेश चन्द्र राजपुत, कुशल रावल, तेज शंकर पालीवाल इत्यादि ने झील से कचरे व खरपतवार को बाहर किया।
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