कँहा कँहा बचा है बरसाती नालों, तालाबों का अस्तित्व, बता दिया इस बरसात ने

कँहा कँहा बचा है बरसाती नालों, तालाबों का अस्तित्व, बता दिया इस बरसात ने

झील प्रेमियों ने उदयपुर सहित प्रदेश के समस्त छोटे तालाबो के संरक्षण का आग्रह दोहराया है। रविवार को आयोजित झील श्रमदान संवाद में झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि इस वर्ष की बरसात ने समस्त छोटे तालाबों, पोखरों के जल भराव क्षेत्र, जल आवक जावक नालों की मौजूदा स्थिति, अस्तित्व को दर्शा दिया है। इसका दस्तावेजीकरण कर आगामी एक वर्ष में सभी जल सरंचनाओं के मूल स्वरूप को कायम कर लेना चाहिए।

 

कँहा कँहा बचा है बरसाती नालों, तालाबों का अस्तित्व, बता दिया इस बरसात ने

उदयपुर, झील प्रेमियों ने उदयपुर सहित प्रदेश के समस्त छोटे तालाबो के संरक्षण का आग्रह दोहराया है। रविवार को आयोजित झील श्रमदान संवाद में झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि इस वर्ष की बरसात ने समस्त छोटे तालाबों, पोखरों के जल भराव क्षेत्र, जल आवक जावक नालों की मौजूदा स्थिति, अस्तित्व को दर्शा दिया है। इसका दस्तावेजीकरण कर आगामी एक वर्ष में सभी जल सरंचनाओं के मूल स्वरूप को कायम कर लेना चाहिए।

झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि प्राधिकरण के उद्देश्यों में पहला प्रमुख कार्य झीलों, तालाबो का सीमांकन है। लेकिन भूमाफिया के दबाव में यह हो नही पा रहा है। यदि सुधार के उपाय नही हुए तो आगामी कुछ वर्षों में इन महत्वपूर्ण जल सरंचनाओं का अस्तित्व ही नही बचेगा।

गांधी मानव कल्याण सोसायटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि छोटे तालाबो के समीप के रहवासी इस मुहिम में आगे आएं। वे जल प्रवाह व जल संचय, अतिक्रमण इत्यादि के फोटो, वीडियो बना प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथियों को भेजे, प्रशासन के संज्ञान में लाएं तथा सोशल मीडिया पर भी पोस्ट करें।

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दिगंम्बर सिंह व कुशल रावल ने कहा कि छोटे तालाब, बरसाती पानी प्रवाह के नाले जल शक्ति के केंद्र हैं। इन्ही से भूमिगत जल का पुनर्भरण होता है। ये नही बचे तो भूमिगत जल भी नही भर पायेगा। द्रुपद सिंह व कृष्णा कोष्ठी ने कहा कि प्रशासन व संबंधित सरकारी एजेंसियों को छोटे तालाबो व उनके जल मार्गों की सीमाओं को दर्शाने वाले पक्के मुटाम लगाने चाहिए व सीमाओं का डिजिटल मेप मय जीपीएस रिकॉर्ड सार्वजनिक करना चाहिए।

संवाद से पूर्व झील प्रेमियों ने श्रमदान कर झील सतह पर तैरती प्लास्टिक थैलियों, बोतलों को हटाया। श्रमदान में कुशल, धारित्र, दिगम्बर सिंह, कृष्णा, द्रुपद सिंह, तेज शंकर, नंदकिशोर, डॉ अनिल व स्थानीय रहवासियों ने भाग लिया।

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