बौद्धिक सम्पदा निर्माण, विकास और प्रबन्धन पर कार्यशाला

बौद्धिक सम्पदा निर्माण, विकास और प्रबन्धन पर कार्यशाला

उदयपुर 03 मई, 2019 अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में संस्थागत विकास योजना, उच्च कृषि शिक्षा परियोजना के तहत बौद्धिक सम्पदा निर्माण, विकास और प्रबन्धन पर दो दिवसीय कार्यशाला शुक्रवार, 3 मई, 2019 को सं

 

बौद्धिक सम्पदा निर्माण, विकास और प्रबन्धन पर कार्यशाला

उदयपुर 03 मई, 2019 अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में संस्थागत विकास योजना, उच्च कृषि शिक्षा परियोजना के तहत बौद्धिक सम्पदा निर्माण, विकास और प्रबन्धन पर दो दिवसीय कार्यशाला शुक्रवार, 3 मई, 2019 को संगोष्ठी कक्ष, अनुसंधान निदेशालय मे प्रातः 10.00 बजे शुभारम्भ किया गया।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि श्रीमती विनिता बोहरा, आईएएस, प्रबन्ध निदेशक, ग्रामीण जनजातीय क्षेत्रीय विकास सहयोग महासंघ समिति, उदयपुर ने बौद्धिक सम्पदा की महत्ता को विश्वविद्यालय के लिए ही नहीं, अपितु देश के प्रगति के लिए बहुत आवश्यक बताया।

डाॅ. अभय कुमार मेहता, निदेशक अनुसंधान ने वैज्ञानिकों को उनके बहुमूल्य अनुसंधान को पेटेन्ट करवा कर वैश्विक स्तर पर राष्ट्र की बौद्धिक सम्पदा बढ़ाने को प्रेरित किया जिससे विश्वविद्यालय एवं वैज्ञानिकों की पहचान स्थापित हो। उन्होंने बताया कि विश्वस्तर पर कुल पेटेन्ट फाइलिंग में भारत का सांतवा स्थान और राजस्थान काफी पीछे है। इस हेतु विश्वविद्यालयों द्वारा वैज्ञानिकों को वित्तिय सहायता देने की आवश्यकता हैं।

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डाॅ. अजय कुमार शर्मा, अधिष्ठाता, अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय एवं समन्वयक, संस्थागत विकास योजना विश्वविद्यालय स्तर पर वैज्ञानिकों को पेटेन्ट में सहयोग करने के साथ साथ इसके लिए अलग से वित्तिय कोष स्थापित करने पर जोर दिया। डाॅ. अरूनाभ जोशी, अधिष्ठाता, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर ने विद्यार्थियों को संस्थागत विकास योजना के तहत इस तरह आयोजित होने वाले प्रशिक्षण कायक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए तथा वैज्ञानिकों को ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

डाॅं. शान्ति कुमार शर्मा, क्षेत्रीय अनुसन्धान निदेशक एवं प्रशिक्षण प्रभारी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 1972 में भारतीय पेटेन्ट कानून बनने के बाद पेटेन्ट सम्बन्धित नीतियों तथा कानूनों में राष्ट्रीय तथा अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर काफी बदलाव हुए हैं। भारत सरकार ने 2016 में राष्ट्रीय स्तर पर बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति लागू की है जिसके तहत एकल तथा संस्थागत पेटेन्ट करवाने हेतु कई प्रावधान किये गये है।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बौद्धिक सम्पदा अधिकार, इनके प्रकार, ई-पेटेन्ट फाईलिंग तथा पेटेन्ट पर होने वाले खर्चे के बारे में अध्यतन जानकारी वैज्ञानिकों को दी जायेगी। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के 80 वैज्ञानिकों सहित प्रशिक्षण के सह-प्रशिक्षण प्रभारी तथा महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष एवं वैज्ञानिकों ने भाग लिया। कार्यक्रम में प्रश्न एवं प्रशिक्षण पुस्तिकाओं का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅं.रोशन चौधरी, सहायक आचार्या एवं अतिथियों का आभार डाॅ. बी. जी. छीपा द्वारा किया गया।

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