हीमोफिलिया सोसायटी के उदयपुर चैप्टर द्वारा वर्ल्ड हीमोफिलिया दिवस मनाया गया
उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज के गेस्ट हाउस में हीमोफिलिया सोसायटी के उदयपुर चैप्टर द्वारा वर्ल्ड हीमोफिलिया दिवस मनाया गया। हालाँकि वर्ल्ड हीमोफिलिया दिवस प्रतिवर्ष 17 अप्रैल को मनाया जाता है। लेकिन हीमोफिलिया सोसायटी के उदयपुर चैप्टर के कोषाध्यक्ष ज़ुल्फ़िकार अमर ने बताया की सोसायटी के अधिकांश सदस्य 17 अप्रैल को दिल्ली में होने की वजह से उदयपुर में आयोजन नहीं कर पाए।
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उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज के गेस्ट हाउस में हीमोफिलिया सोसायटी के उदयपुर चैप्टर द्वारा वर्ल्ड हीमोफिलिया दिवस मनाया गया। हालाँकि वर्ल्ड हीमोफिलिया दिवस प्रतिवर्ष 17 अप्रैल को मनाया जाता है। लेकिन हीमोफिलिया सोसायटी के उदयपुर चैप्टर के कोषाध्यक्ष ज़ुल्फ़िकार अमर ने बताया की सोसायटी के अधिकांश सदस्य 17 अप्रैल को दिल्ली में होने की वजह से उदयपुर में आयोजन नहीं कर पाए।
हीमोफिलिया सोसायटी के सचिव बाबूलाल पुरोहित ने बताया की इस अवसर पर हीमोफिलिया पीड़ित बच्चो और उनके अभिभावकों ने इस बीमारी के प्रति जनजागरण हेतु एक रैली का भी आयोजन किया और केक काटकर पीड़ित बच्चो के साथ वर्ल्ड हीमोफिलिया दिवस मनाया।
इस अवसर पर सोसायटी द्वारा पीड़ित बच्चो को स्कॉलरशिप के चेक भी दिये गए। इस कार्यक्रम में आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ डी पी सिंह, डॉ सुरेश गोयल, डॉ लाखन पोसवाल और अस्पताल अधीक्षक विनय जोशी ने भी शिरकत की।
हीमोफिलिया (Haemophilia) एक आनुवांशिक (hereditary) बीमारी है जो आमतौर पर पुरुषों को होती है और औरतों द्वारा फैलती है (transmit होती है)। हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ खून जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि खून का बहना शीघ्र बंद नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे ‘क्लॉटिंग फैक्टर’ कहा जाता है। इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है।
इस रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या भारत में कम है। इस रोग में रोगी के शरीर के किसी भाग में जरा सी चोट लग जाने पर बहुत अधिक मात्रा में खून का निकलना आरंभ हो जाता है। इससे रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
पीड़ित रोगियों से पूछताछ करने पर पता चलता है कि इस प्रकार की बीमारी घर के अन्य पुरुषों को भी होती है। इस प्रकार यह बीमारी पीढ़ियों तक चलती रहती है। यह बीमारी रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन (Thromboplastin) नामक पदार्थ की कमी से होती है। थ्राम्बोप्लास्टिन में खून को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है। खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है।
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