उदयपुर 1 अप्रैल 2025। शहर से 56 किलोमीटर दूर झाड़ोल स्थित जनजाति क्षेत्र के ढीमडी स्कूल में एक अनूठी पहल की गई। डॉ. संगीता शर्मा निम्बार्क मेमोरियल फाउंडेशन ने 26 मार्च को एक दिवसीय चित्रकला कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य जनजाति क्षेत्र के बच्चों में छिपी कला प्रतिभा को निखारना और भारतीय सांस्कृतिक विरासत से उन्हें परिचित कराना था। कार्यक्रम में 100 से अधिक बच्चों ने भाग लिया।
कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर सुशील निम्बार्क ने बच्चों के साथ बैठकर बालसुलभ मनोविश्लेषण तरीके को अपनाकर उन्हें कला की बारीकियां समझाईं। उन्होंने सरल और सहज तरीके से भारत के समृद्ध कला इतिहास, संस्कृति की जानकारी दी गई।
कार्यशाला में बच्चों को पाठ्यक्रम की सीमाओं से बाहर निकलकर स्वतंत्र रूप से अपनी कला अभिव्यक्त करने का अवसर दिया गया। इस तरह की पहल से दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच मिला। साथ ही उन्हें भारतीय कला और संस्कृति से रूबरू होकर भविष्य में संस्कृति संवर्धन में योगदान कर सकने का अवसर भी प्राप्त हुआ। बच्चों को इस मौके पर कला सामग्री किट बाटे गए।
इससे पहले स्कूल से प्रिंसिपल महेश जावरिया ने अतिथियों का स्वागत किया। इस दौरान मोहन मेघवाल, देवी लाल, मनीष पंडोर, विजयदीप, रमेश सालवी, भूरी लाल ,शकुंतला देवी, दिनेश पुर्बिया, रामलाल गाडरी, उप सरपंच नारायण, गमेर लाल, शांतिलाल लोहार, बसंती लाल, केशु लाल खराड़ी, रमेश खराड़ी वर्दी चंद लोहार सहित मौजूद रहे। संचालन शारीरिक शिक्षक कैरियर काउंसलर चुन्नीलाल चंदेरिया ने किया।
जल्द होगी और कार्यशाला, राष्ट्रीय स्तर पर दिए जाऐंगे अवार्ड
सुशील निंबार्क ने बताया कि फाउंडेशन की ओर से कई प्रोग्राम जल्दी किए जाएंगे जिसके तहत कला संस्कृ़ति साहित्य और समाज सेवा में उल्लेखनीय योगदान देने वालों को जल्द राष्ट़्ीय स्तर पर नकद पुरुस्कारों को प्रारंभ करने की घोषणा शीघ्र की जाएगी ।
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