बाज़ार में चार तरह की इसी नशीली दवाए मिल रही है। जिसके सेवन से लोगों की हालत ख़राब हो रही है। तमाम प्रतिबंध के बाद भी नशीली दवाओं व इंजेक्शन का कारोबार बढ़ता ही जा रहा है और युवा वर्ग नशे के गिरफ्त में आकर अपना जीवन खराब कर रहे है।
चौकाने वाले तथ्य यह है कि इन युवाओं में आठवीं से लेकर बारहवीं तक के छात्र भी शामिल हैं जो की कई प्रतिष्ठित स्कूलों में पढ़ते हैं। नासमझी के कारण वे इसे स्टेट्स सिंबल की तरह ले लेते हैं जो बाद में एक लत में बदल जाती है।
ऐसे में नशीली दवाओं की अवैध बिक्री रोकने की कवायद पुलिस और नारकोटिक्स विभाग ने कार्य योजना बनाई है। इसी के तहत नशीली दवाओ की बिक्री पर निगरानी रखी जाएगी,वही तस्करों को सूचीबद्ध किया जाएगा। पुलिस मुख्यालयसे जारी निर्देशानुसार जिलेभर के थानाअधिकारियों को कार्ययोजना के अनुसार काम के लिए कहा गया है। मादक पदार्थोँ के मामले लगातार बढ़ रहे है,इसको लेकर कार्यवाही के निर्देश दिए गये है। नार्को कॉर्डीनेशन सेंटर की जिला स्तरीय कमेटी की और से एनसीबी के निर्देशों की जानकारी दी गई।
निर्देशों में बताया गया की मेडिकल स्टोर पर साईकोट्राफिक,मादक सिरप,ट्रामाडोल सिरप,अल्प्राजोलम टेबलेट आदि ड्रग्स के बारे में जानकारी जुटाकर कार्यवाही करनी होगी। किराणा की दुकानों पर भी एमडीएमए बेचीं जाने की संभावना है। ऐसे में संदिग्ध किराणा दुकानदारो को चिन्हित कर उन पर नकेल कसने के निर्देश दिए गये है।
मादक पदार्थ तस्करों की सूची एनसीबी से लेकर,उनकी गैंग का पता लगाने ,रूट और ठिकानो की छानबीन करते हुए कार्यवाही करने के निर्देश दिए गये है।
नशीली दवाओं के दुरुपयोग से व्यक्ति के जीवन पर गंभीर हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं। इसके अलावा, यह रोगी के मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है। ड्रग्स में अल्कोहल, निकोटीन और दर्द निवारक दवाएं शामिल हैं, न कि केवल हेरोइन मॉर्फिन या कोकीन जैसी अवैध दवाएं। मादक द्रव्यों का सेवन मस्तिष्क के तीन क्षेत्रों को प्रभावित करता है:
ब्रेनस्टेम : यह आपके मस्तिष्क को रीढ़ की हड्डी से जोड़ता है। यह आपके शरीर के सभी कार्यों के लिए जिम्मेदार है।
लिम्बिक सिस्टम : यह हमारी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करता है।
सेरेब्रल कॉर्टेक्स : सेरेब्रल कॉर्टेक्स हमारे सोच केंद्रों, निर्णय लेने और समस्या-समाधान सहित कई प्रकार के कार्यों को नियंत्रित करता है। यह हमारी पांच इंद्रियों द्वारा प्राप्त बाहरी प्रसंस्करण उत्तेजनाओं के लिए भी जिम्मेदार है।
एनडीपीएस के केस की संख्या में पिछले वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में 27.84 फीसदी और 2020 की तुलना में 39.30 फीसदीकी बढोतरी हुई। पिछले साल दर्ज केस में 22 मामलों में एफआर लगी, जबकि 2874 मामलों में चालान पेश किये गये। एनडीपीएस के 925 केस अब भी पेंडिंग चल रहे है।
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