कहते है अगर महिला पढ़ी-लिखी होगी तो न केवल अपने अधिकारों से परिचित होगी बल्कि आने वाली पीढ़ी का निर्माण भी शिक्षा की नींव पर होगा। वहीं यह भी कहा जाता है कि एक लड़का पढ़ता है तो एक मनुष्य शिक्षित होता है, परंतु जब एक लड़की पढ़ती है तो न केवल दो परिवार बल्कि आने वाली भी पीढ़ी शिक्षित होती है। महिलाएं शिक्षित हो तो वे एक अच्छे समाज के निर्माण में मदद करती है। वास्तव में शिक्षा महिला को जहां सही और गलत की पहचान कराती है, वहीं आत्मविश्वास का जज्बा भी पैदा करती है। बात करे उदयपुर की तत्कालीन आईजी बिनीता ठाकुर, कलेक्टर आनंदी की कोशिश रंग लाई है।
कलेक्टर-आईजी ने विधवा, परित्यकता, गरीब तबके कि मुस्लिम-आदिवासी समाज की 18 युवतियां-महिलाएं कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में सफल रही है। पुलिस उपअधीक्षक चेतना भाटी अब इन्हें फिजिकल ट्रेनिंग करवा रही है। फिजिकल टेस्ट पास करते ही ये सभी पुलिस कांस्टेबल बन जाएंगी। वहीं आईपीएस बिनीता ठाकुर का कहना है कि पुलिस और प्रशासन ने युवतियों – महिलाओं के लिए कोचिंग के साथ रहने- खाने की व्यवस्था भी की। कोरोना के बाद लॉकडाउन लगने के इनकी कोचिंग थोड़ी प्रभावित हुई।
हालांकि उस दौरान भी इन्हें ऑनलाइन कोचिंग करवाई गई। लेकिन शहर में मौजूद रहकर कोचिंग करती तो और ज्यादा महिलाएं परीक्षा में सफल हो सकती थी। वहीं इनमें ऐसी युवती-महिलाएं भी शामिल हैं, जो सामाजिक बुराइयों से जूझ रही है और घर छूटने के बाद खुद के पैरों पर खड़ा होने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
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