पारस जेके अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेंगे पूर्व डिप्टी मेयर

पारस जेके अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेंगे पूर्व डिप्टी मेयर 

अपनी बहु के इलाज में लापरवाही का लगाया था आरोप

 
mahendra singh shekhawat

उदयपुर के पारस जेके हॉस्पिटल में पूर्व डिप्टी मेयर की बहु के उपचार में की गई लापरवाही वाले मामले ने गंभीर मोड़ ले लिया। गुरुवार को प्रेस वार्ता करते हुए पूर्व डिप्टी मेयर महेंद्र सिंह शेखावत ने हॉस्पिटल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए और उनके खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही करने की बात कही। 

सिंह ने बताया की उनकी बहु श्वेता को 20 अक्टूबर को हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था जिसका इलाज डॉ. शीतल कौशिक दौरा किया जा रहा था। उन्होंने बताया की एडमिशन के वक्त उन्हने डिलीवरी का पूरा पैकेज 40 से 45 हज़ार रूपए का बताया गया था। अगले दिन 21 अक्टूबर को उनकी बहु ने नॉर्मल डिलीवरी से एक बेटी को जन्म दिया। डॉक्टर ने  दोनों की स्थिति सामान्य बताई, लेकिन कुछ ही देर बाद ब्लडिंग शुरू हो गई जिसको देखते हुए अचानक से डॉक्टर्स से सर्जरी करने की बात कह दी। सर्जरी करने के दौरान ब्लड लाने को कहा, हालातों को देखते हुए 35 यूनिट ब्लड अरेंज करवाया गया।  

सिंह ने बताया की एडमिशन के वक्त से ही उन्होंने कॉटेज वार्ड ले लिया था लेकिन, जैसे ही उनकी बहु को आईसीयु में शिफ्ट किया गया तो कर्मचारियों ने उन्हें कॉटेज खली करने को कहा और मन करने पर बाद सलूकी की। इस हॉस्पिटल कर्मचारियों और वहां के हालातों को देखते हुए उन्होंने 27 अक्टूबर को संभागीय आयुक्त को एक लेटर लिखा। इसको लेकर संभागीय आयुक्त ने सीएमएचओ को हॉस्पिटल का निरिक्षण करने और मामले की जाँच करने को कहा। 

इस बीच 1 नवंबर को उनकी बहु को डिस्चार्ज मिल गया। लेकिंग हॉस्पिटल में एडमिट रहने के दौरान उन्होंने कई सारी अनियमताओं को देखा।

संभागीय आयुक्त से निर्देश अनुसार सीएमएचओ बुधवार को हॉस्पिटल प्रशासन से मीटिंग करने हॉप्स्टिकल पहुंचे, उनके साथ सिंह खुद और साथ में अन्य कई संगठनो के पदाधिकारी, वरिठ अधिवक्ता, कार्यकर्ता, छात्रनेता और समाज सेवी भी पहुंचे। सिंह का कहना था की हॉस्पिटल के बेसमेन्ट में बने एक भवन में मीटिंग चल रही थी तभी हॉस्पिटल के आला अधिकारियो ,सीएमएचओ की मौजूदगी में एक बाउंसर आया जिसने उन्हें बाहर निकलने को कहा। 

इसके अलावा सिंह ने बताया की हॉस्पिटल में न कोई साइन बोर्ड लगाए गए है, न ही मरीजों के अटेंडेंट्स के बैठने और ठहरने की कोई व्यवस्था है, उन्होंने कहा की न बाहर से कोई दवाई लाने  दी जाती है, न ही दवाइयों का कोई बिल दिया जाता है और मरीज की कोई सुनवाई नहीं की जाती।

सिंह ने यहाँ तक कहा की हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा अख़बारों को विज्ञापन देने की बात कहते हुए कहा की चाहे कुछ भी कर लों कोई एक लाइन भी उनके खिलाफ नहीं लिखेगा। इन अब बातों को देखते हुए उनका कहना है की उनके पूर्व में डिप्टी मेयर रहे होने के बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन ने उनके साथ इस तरह का दुर्व्यवहार किया है तो आम आदमी के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता होगा। उन्होंने कहा की हॉस्पिटल में मरीज की मौत हो जाने के बाद दवाइयां लौटने पर मना कर देना, बाउंसर द्वारा मरीजों के अटेंडेंट को डराना जैसी कई घटनाएं आम है। 

अंत में उन्होंने कुछ सवाल उठाते  हुए कहा की हॉस्पिटल जैसी जगह में बाउंसर की क्या जरुरत है, हॉस्पिटल परिसर में साइन बोर्ड क्यों नहीं लगे हुए है, दवाइयों के बिल क्यों नहीं दिए जाते है, मरीजों की सर्जरी एक ही सर्जन से बात करके क्यों करदी जाती है। ऐसी कई सारी अव्यवस्था सामने आयी है जिस पर सिंह द्वारा जल्द ही मामला दर्ज करवाया जाकर इन सवालों का जवाब तलब किया जाएगा जिसकी शुरुआत सिंह द्वारा कर दी गई है।

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