खास मुलाकात सुपरिचित पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई के साथ

खास मुलाकात सुपरिचित पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई के साथ

सिंधिया राजघराने पर लिखी किताब पर चर्चा के दौरान रूबरू हुए रशीद किदवई  

 
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उदयपुर के रेडिसन ब्लू हॉटल में प्रभा खेतान फाउंडेशन के तहत 'कलम' अपनी भाषा अपने लोग सीरीज़ का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर सुपरिचित पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई शामिल हुए। इस आयोजन में रशीद किदवई ने अपनी नई किताब "द हाउस ऑफ सिंधियाज़-ए सागा ऑफ़ पावर", "पॉलिटिक्स एंड एन्ट्रीग' और सिंधिया परिवार से जुड़ी कई दिलचस्प जानकारियां साझा की। 

मॉडरेटर रिद्धिमा दोशी ने सुपरिचित पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कई सवाल और जवाब दिए। उन्होंने अपनी पुस्तक - "दि हाउस ऑफ सिंधियाज़ - ए सागा ऑफ पावर, पॉलिटिक्स एंड इंट्रीग्यू" के बारे में बात करते हुए कहा की। पुस्तक में सिंधिया वंश के मूल संस्थापक रानोजी राव सिंधिया से लेकर वर्तमान पीढ़ी तक के इतिहास का एक समूह शामिल है। 

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मजे की बात यह है कि भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षणों में सिंधिया परिवार का कबीला मुखर होने में कामयाब रहा। विशेष रूप से यह तथ्य बताता है कि स्वतंत्रता के समय ग्वालियर के महाराजा स्वर्गीय जीवाजीराव सिंधिया, भारत में प्रवेश करने वाली पहली रियासतों में से एक थे। जबकि अन्य राजघरानो ने विरोध किया उनके अनुसरण के लिए इस परिवार ने एक रोल मॉडल प्रदान किया था।

उन्होंने कांग्रेस के नेहरू गाँधी परिवार पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बारे में भी चर्चा की। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के बारे में वार्तालाप करते हुए बताया कि वह सफर के दौरान सबसे ज्यादा अपने कार ड्राइवर का ख्याल रखती थी क्योंकि उनको किसी मंज़िल तक पहुंचाने के लिए उनका ड्राइवर ही उनको पहुंचाता था और भी कई किस्सों को वहां मौजूद लोगों के साथ साझा किया।  

कार्यक्रम के दौरान प्रश्नोत्तर सत्र में जहां मेहमान उनकी भविष्य की परियोजनाओं के बारे में जानने के इच्छुक थे। वहीँ इस संबद्ध में भी जानने के इच्छुक थे और क्या उनकी अगली किताब हर्षद मेहता और नीरव मोदी द्वारा किए गए घोटालों के बारे में होगी।

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जहां रशीद जी ने उल्लेख किया कि वह अमिताभ बच्चन और जया बच्चन के बॉलीवुड और राजनीतिक दृष्टिकोण के बारे में लिखना पसंद करेंगे। उन्होंने बताया कि कैसे प्रसिद्ध बॉलीवुड सितारों ने राजनीति में कदम रखा है और अपने जीवन को बदल दिया है। अतिथियों ने किदवई से भविष्य की राजनीति और डिजिटल पत्रकारिता के बदलते चेहरे के बारे में बातचीत की। 

राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा पर उन्होंने कहा की सभी राजनीतिज्ञों को भारत के बारे में जानने के लिए ऐसी यात्रा करनी चाहिए क्यूंकि भारत एक विशाल देश है जहाँ विभिन्न प्रकार की अलग अलग संस्कृतियों के मिश्रण को जानना ज़रूरी है। एक सवाल के जवाब में उन्होने बताया कि मीडिया में कई तरह के बदलाव हो रहे है। पहले प्रिंट मीडिया, फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, उसके बाद डिजिटल मीडिया और अब सोशल मीडिया तेज़ी से उभर रहा है। कोई रविश कुमार को सुनना चाहता है तो कोई अर्नब को सुनना चाहता है।  लोग अपनी पसंद का मीडिया चुनकर उन्हें फॉलो कर रहे है। 

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बता दे कि रशीद किदवई ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में विजिटिंग फेलो हैं। किदवई भारत सरकार, राजनीतिक दलों, सामुदायिक मामलों और हिंदी सिनेमा को ट्रैक करते है। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर भी अपनी रिपोर्ट लिखते हैं। 

किदवई दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक हैं। उन्होंने लीसेस्टर विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन रिसर्च में मास्टर किया, जहां ब्रिटिश और कॉमनवेल्थ ऑफिस, यूके द्वारा दी गई फेलोशिप पर गए थे। रशीद पहले द टेलीग्राफ, कलकत्ता में एसोसिएट एडिटर थे। इससे पूर्व उन्होंने द एशियन एज, एशियन न्यूज इंटरनेशनल (एएनआई) और नेशनल हेराल्ड के साथ भी काम किया।

एक राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने चार किताबें लिखी हैं। नेता अभिनेता-स्टार पावर इन इंडियन पॉलिटिक्स, बैलट: टेन एपिसोड्स दैट हैव शेप्ड इंडियाज़ डेमोक्रेसी, 24 अकबर रोड और सोनिया-ए बायोग्राफी, दि हाउस ऑफ सिंधियाज़ - ए सागा ऑफ पावर, पॉलिटिक्स एंड इंट्रीग्यू, "भारत के प्रधानमंत्री देश, दशा दिशा" रशीद किदवई की हिंदी में पहली किताब हैं। वह वर्तमान में दो पुस्तकों पर काम कर रहे हैं: स्वतंत्रता के बाद के 14 भारतीय प्रधानमंत्रियों के जीवन और योगदान पर पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक; और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान युद्ध के इतालवी कैदियों पर।


 

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