कहानियों, शेरों शायरियों व हंसी ठिठोलियों के साथ हुआ तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय स्टोरी टेलिंग फस्टिवल का समापन

कहानियों, शेरों शायरियों व हंसी ठिठोलियों के साथ हुआ तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय स्टोरी टेलिंग फस्टिवल का समापन

मिडिल क्लास कभी खास नहीं होता लेकिन कभी कभी वह अपने नाम से खास बन जाता

 
udaipur tales

उदयपुर। जिस कौए से डरती हो तुम, जब मैं उसे उड़ाता हूं। अपनी शर्ट के बाजूओ से जब मैं, खुद ही दाग छुड़ाता हूं। अपनी मौसी चाची से जब, अपने शेर बोलता हूं। सच मानो जब कसी हुई, अचार की बरनी खोलता हूं। तब दिल जो दिल को देता है, उन खबरों में हीरो होता हूं। तेरी मेरी दोनों ही, नजरों में हीरो होता हूं।

इसी तरह फिर से दूसरी कहानी के साथ ऐसा शायराना अंदाज कि- इस तनख्वाह से ज्यादा उम्मीदें, मैं बांध नहीं सकता। चांद को कैसे मांगू मैं क्यूंकि, किश्तों में चांद नहीं आता। कहानियों के साथ इस तरह की शेरो शायरीयो को सुनकर मदमस्त अंदाज में डूब कर श्रोता तालियों की गड़गड़ाहट के साथ बोल उठे वाह वाह क्या बात है।

यह मौका था मां माय एंकर फाउण्डेशन की ओर से उदयपुर टेल्स तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय स्टोरी टेलिंग फेस्टिवल के समापन का। मुंबई से आए कहानीकार टीवी सेलिब्रिटी दिव्य शर्मा ने जब दर्शकों के सामनें मिडिल क्लास के ऊपर आधारित स्लाइस आफ लाइफ कहानी के साथ शेरो शायरियो का ऐसा मिश्रण घोला कि वहां उपस्थित हर श्रोता मस्ती में तर होकर हंसी ठिठोली के साथ झूमने लगा। अपनी कहानी के माध्यम से उन्होंने मिडिल क्लास वर्ग की पीड़ा को उजागर करते हुए कहा कि मिडिल क्लास कभी खास नहीं होता कभी-कभी वह अपने नाम से ही खास बन जाता है।

उन्होंने कहा जिस दिन उनके माता-पिता ने उनका नाम अमोल रख दिया उसी दिन से वह आम से खास हो गए। उन्होंने मिडिल क्लास के साथ घटने वाली हर घटनाओं के पहलुओं की दिल छूने वाली प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि होटल में गार्डन में या चलते-चलते तो लड़कियां धर्मेंद्र और जितेंद्र को मिलती है लेकिन मिडिल क्लास वालों को तो लड़की तभी मिलती है जब मां-बाप कहीं जाकर लड़की देख कर आते हैं और कहते हैं कि बेटा हमनें तेरे लिए लड़की देख ली है। ऐसा होने के बाद ही लड़की मिलती है।

मिडिल क्लास के आर्थिक पक्ष को मजाकियां एवं व्यंग के आधार पर प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा इस तनख्वाह से ज्यादा उम्मीदें नहीं बांध सकता। चांद को कैसे मांगू मैं कि, चांद किश्तों में नहीं आ सकता। वह  कहानियों के साथ बीच-बीच में श्रोताओं को गुदगुदाते भी रहे। उन्होंने कहा यहां आने से पहले सब कुछ याद था मुझे। सब कुछ याद आ जाएगा मुझे यहां से जाने के बाद। मिडिल क्लास की जिंदगी एक जैसी होती है। हर एक बेटा हर एक पिता एक जैसा होता है। सब के रंग एक जैसे होते हैं। हम सभी एक हैं। एक जैसे हमारे ख्वाब हैं। तेरी मेरी जिंदगी एक है। बस फर्क है सिर्फ नाम का। उन्होंने प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अमोल पालेकर को मिडिल क्लास का मॉडल बताते हुए कहा कि सबसे पहले उन्होंने ही मिडिल क्लास के चरित्र को पर्दे पर जीवंत किया। वह भी अपने जीवन में अमोल पालेकर से खूब प्रभावित हैं। अमोल पालेकर मिडिल क्लास के होने के बावजूद उन्होंने देश दुनिया के लोगों में अपनी खास जगह बनाई।

दुबई से आए गगन मुद्गल ने अपनी कहानी इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर के माध्यम से श्रोताओं से खूब वाहवाही लूटी। उन्होंने हरिशंकर परसाई के व्यंग्य पर आधारित अपनी कहानी इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर के माध्यम से वर्तमान सिस्टम पर करारे व्यंग किए। उन्होंने अपनी कहानी के माध्यम से बताया कि किस तरह एक इंसान को अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए कितने और कैसे-कैसे पापड़ बेलने पड़ते हैं। उन्होंने अपनी कहानी के माध्यम से वर्तमान सिस्टम पर कटाक्ष करते हुए कहा की चश्मदीद गवाह वह नहीं जो देखे बल्कि चश्मदीद गवाह वो माना जाता है जो यह कहे कि हां मैंने देखा है। उन्होंने कहानी के माध्यम से बताया कि सिस्टम सबके लिए होना चाहिए, सबको न्याय मिलना चाहिए। कहानियों का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि हम चाहे कितने ही आधुनिक बन जाए कहीं भी चले जाएं लेकिन बिना कहानियों के जीवन अधूरा लगता है।

पश्चिम बंगाल से आए पृथ्वीराज चौधरी ने अपनी कहानी कोन्टेम्पोरेरी के माध्यम से अपने जीवन के कई अनुभव साझा करते हुए सीख दी कि पग पग पर परेशानी आती है। चाहे जीवन का कोई भी क्षेत्र हो बिना मेहनत के कुछ भी हासिल नहीं होता।

कार्यक्रम के अंत में कृष्णेन्दू साह ने ओडीसी नृत्य दशावतार को जब जय जगदीश हरे के साथ पेश किया तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उनके नृत्य की एक एक मुद्रा इतनी अद्भुत और अलौकिक थी देखने वालों की नजरें कृष्णेन्दु साह पर टिकट गई। दर्शक इतने रोमांचित हो गए कि उनमें उत्सुकता इतनी बढ़ गई अब आगे कौन सी मुद्रा होगी। वहां उपस्थित सभी दर्शकों ने उनके नृत्य का तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कुर्सियों पर खड़े होकर भावभीना अभिनंदन किया।
इस तरह उदयपुर टेल्स की ओर से अंतरराष्ट्रीय स्टोरी टेलिंग फेस्टिवल का रविवार को हंसी ठहाकों एवं फिर मिलेंगे जैसे खुशनुमा अंदाज के साथ समापन हुआ। समापन अवसर पर को निवृत्ति कुमारी मेवाड़ भी उपस्थित हुई। उन्होंने इस कार्यक्रम को बड़ी ही तन्मयता से सुना और देखा।वह दिव्य शर्मा और कृष्णेन्दु साह की प्रस्तुतियों से खूब प्रभावित हुई।

प्रातः 11 बजे गुड मॉर्निंग के साथ शुरू हुए कहानी के आयोजन में दुबई से आए गगन मुद्गल, पश्चिम बंगाल के पृथ्वीराज चौधरी, मुंबई के दिव्य शर्मा ने जहां अपनी कहानियों के माध्यम से उपस्थित लोगों में रहस्य रोमांच घोला वहीं मस्ती में डूबे श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा पंडाल गुंजा दिया।

समापन अवसर पर फाउण्डेशन की को-फाउंडर सुष्मिता सिंघा व सलिल भण्डारी  ने फेस्टिवल में आए हुए सभी मेहमानों का आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि इतना भव्य और सुंदर आयोजन उदयपुर में होना हम सभी के लिए गर्व की बात है। 

उन्होंने आयोजन की सफलता का श्रेय सभी मेहमानों को देते हुए कहा कि उनके प्रस्तुतीकरण ने जहां कहानियों को कहने का नया अंदाज पेश किया है वहीं बच्चों एवं बड़ों में कहानियों के माध्यम से कई सामाजिक एवं राष्ट्रहित एवं राष्ट्रप्रेम के संदेश पहुंचे हैं। आयोजन में यहां कहीं गई कहानियों से और हर कोई प्रभावित हुआ है। जो कहानियां सीधे और सामने से कहीं जाती है वह सुनने वाले के दिल में उतर जाती है और उसका असर और प्रेरणा जीवन भर उन्हें मिलती निवृत्ति कॉमेडी रहती है। उन्होंने इस अवसर पर इस फेस्टिवल को आने वाले समय में और भी ऊंचाइयां प्रदान करने के लिए सभी से सुझाव पर आमंत्रित किए।

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