उदयपुर 30 दिसंबर 2022। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव लोक कलाओं की मनोहारी प्रस्तुतियों शुक्रवार को सम्पन्न हुआ। समापन पर ‘झंकार’ जहां मुख्य आकर्षण रहा वहीं गुजरात के सिद्दि धमाल नृत्य ने दर्शकों आल्हादित कर दिया। उत्सव के आखिरी दिन उत्सव की झलक देखने के लिये लोगों का सैलाब सा उमड़ पड़ा। हाट बाजार में कलात्मक उत्वादों की बिक्री देर रात तक चलती रही।
उत्सव के दसवें और अंतिम दिन शिल्पग्राम में दिन भर लोगों का आवागमन चलता रहा। दोपहर में ही बड़ी संख्या में लोग शिल्पग्राम पहुंचे तथा हाट बाजार में जम कर खरीददारी की। शिल्पग्राम के हाट बाजार का कोना कोना लोगों की चहल कदमी और मटर गश्ती से गुलजार रहा। दिन में सर्वाधिक भीड़ वस्त्र संसार, दर्पण बाजार, जूट शिल्प के इर्द गिर्द देखने में आई।
उत्सव में न केवल उदयपुर शहर के वासी बल्कि आस-पास के गांवों व शहरों से भी बड़ी संख्या में लोग शिल्पग्राम पहुंचे। खरीददारी के अंतिम चांस का लाभ शिल्पग्राम आने वाले हर शख्स ने लिया।दोपहर से शाम तक शिल्पग्राम से वापस घर लौटने वाले प्रत्येक जन के हाथों में कोई न कोई शिल्प उत्पाद अवश्य नजर आया। इनमें ज्यादातर वूलन कारपेट, बेडशीट, बेड कवर, पंजा दाियां, कश्मीरी शॉल, कच्छी शॉल, पट्टू, नमदा के गलीचे, जूट की कलात्मक वस्तुएं, लकड़ी का फर्नीचर, मिट्टी के कलात्मक नमूने, बच्चों के हाथ में पिपाड़ी, विभिन्न किस्म की टोपियां, चर्म शिल्प के नमूने, लैदर जैकेट, वूलन जैकेट, कॉटन बंडी आदि उल्लेखनीय हैं। दिन में ही बंजारा रंगमंच पर लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां देखने के लिये लोगों का हूजूम सा एकत्र हो गया।
शाम को लोगों के शिल्पग्राम आने का सिलसिला यथावत रहा तथा देर शाम तक शिल्पकार कलात्मक वस्तुओं के बेचान में व्यस्त रहे। मुक्ताकाशी रंगमंच पर कार्यक्रम की शुरूआत गुजरात के डांडिया से हुई इसके छपेली नृत्य की प्रस्तुति को दर्शकों ने सराहा। इस अवसर पर किशनगढ़ का चरी नृत्य दर्शकों को खूब भाया वहीं पुंग ढोल चोलम में मणिपुर के ढोल वादकों ने अपने नर्तन व चक्करदार से दर्शकों को अचम्भित सा कर दिया।
समापन अवसर पर असम की बालाओं का बिहू नृत्य पर दर्शकों ने विसलिंग कर अभिवादन किया। समापन सांझ में गुजरात के सिद्दि कलाकारों की धमाल दर्शकों को खूब रास आई। मुगरवान ढोल, माइसाब और ताशा की लय पर अनूठे अंदाज में थिरकते कलाकारों ने हवा में नारियल उछाल कर सिर से फोड़ने के करतब दिखा कर अपने बाबा गौर की उपासना का अनपम दृश्य चित्र प्रस्तुत किया। वहीं पश्चिम बंगाल के नटुवा में कलाकारों ने ढोल की थाप पर करिश्माई नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों की दाद बटोरी।
समापन सांझ का मुख्य आकर्ष रहा ‘झंकार’ जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के तीन दर्जन से ज्यादा लोक वाद्यों की टंकार और गूंज से अरावली की वादियाँ गुंजायमान हो उठी। कार्यक्रम अधिकारी तनेराज सिंह सोढ़ा द्वारा परिकल्पित इस प्रस्तुति में पहले गान के साथ धीमी लयकारी पर एक एक कर वाद्य जुड़ते गये और तीव्र लयकारी पर एक साथ वाद्य वादन करने के साथ ही लोक नर्तक व नर्तकियां इसमें जुड़ने लगे जिससे प्रस्तुति में लोक संस्कृति के समवेत रंग उभर कर आये।
स्मापन अवसर पर सांसद अर्जुन लाल मीणा मुख्य अतिथि थे वहीं इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद सरभाई तथा बड़ी सरपंच मदन पंडित भी उपस्थित रहे। समापन अवसर पर केन्द्र निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किये तथा दस दिवसीय उत्सव को सफल बनाने में सहयोग करने के लिये जिला प्रशासन, जिला पुलिस विभाग, होमगार्ड्स, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम उदयपुर, नगर विकास प्रन्यास, अजमेर विद्यतु वितरण निगम, परिवहन विभाग, बड़ी पंचायत, ए यू बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया आदि के प्रति आभार व्यक्त किया। साथ ही केन्द्र निदेशक ने उत्सव समाप्ति के बाद भी इच्छुक शिल्पकारों को शिल्पग्राम में स्टॉल लगाने की बात कही।
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