उदयपुर, 22 दिसम्बर 2022 । पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के दूसरे दिन दोपहर में जहां हाट बाजार की गतिविधियाँ प्रारम्भ हुई वही हाट बाजार में लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों को लोगों ने निहारा शाम को मुक्ताकाशी रंगमंच पर पुरूलिया छऊ, गोटीपुवा, बारदोई शिकला नृत्य ने पूर्व के देस की संस्कृति का रंग जमाया।
उत्सव में गुरूवार को मेला प्रारम्भ होते ही हाट बाजार की गतिविधियाँ प्रारम्भ हुई उत्कृष्ट, अलंकार, वस्त्र संसार, विविधा, मृण कुंज, जूट संसार आदि बाजार सजे संवरे नजर आये दोपहर में ही लोगों ने खरीददारी भी प्रारम्भ कर दी। शिल्पग्राम पहुंचने पर मुख्य द्वार के समीप चकरी कलाकारों, गुजरात के डांगी नर्तकों व कच्छी घोड़ी कलाकारों ने दर्शकों का अपनी कला से स्वागत किया। वहीं बंजारा रंगमंच पर कठपुतली कलाकारों, लंगा लोक गायकों आदि ने कला प्रस्तुतियाँ दी। हाट बाजार में ही बहुरूपिया कलाकारों ने वेश धारण कर दर्शकों का मनोेरंजन किया।
हाट बाजार में गर्म व ऊनी वस्त्रो की दुकानों पर लोग सामग्री देखते परखते नजर आये। हाट बाजार में ही लोगों ने खानपान का आनन्द उठाया।
शााम को पटवों की हवेली के प्रांगण में एक भारत श्रेष्ठ भारत थीम पर आयोजित कार्यक्रम की शुरूआत पश्चिम बंगाल के खोल वादन से हुई। रंगमंचीय प्रस्तुति में भारत के पूर्वांचल तथा उत्तर पूर्व की कलाओं ने अपने प्रदेश की संस्कृति का संसार दर्शाया। इनमें असम का बारदोई शिकला में नृत्यांगनाओं ने अपने ओजपूर्ण नृत्य से दर्शकों को मोहित सा कर दिया।
इस अवसर पर ही चमकीली पन्नियों से बने मास्क धारण कर झारखण्ड के कलाकारों ने देवी उपसना के प्रसंग को दर्शाया। कार्यक्रम में दर्शकों को सर्वाधिक आनन्द ऑडीशा के गोटीपुवा नृत्य को देख हुआ। ऑडीशा के मंदिर की समृद्ध परंपरा अनुसार छोटे बालको ‘गोटीपुवा’ ने अपने नृत्य में विभिन्न प्रकार की मुद्राएँ व संरचनाएँ बना कर दर्शकों की वाहवाही लूटी।
दूसरे दिन ही रंगमंच पर जम्मू कश्मीर का रौफ नृत्य लुभावनी पेशकश बन सकी तो गोवा का समई नृत्य दर्शकों को खूब भाया। जिसमें नर्तकों ने सिर पर दीप स्तम्भ रख कर मोहक संरचनाएँ बनाई। कार्यक्रम में पंजाब का भांग़ड़ा पर दर्शक झूम उठे तो राजस्थान का चरी नृत्य ने राजस्थानी की संस्कृति का रंग जमाया।
संत मावजी के चोपड़ों के चित्र कृतियाँ
यहां शिल्पग्राम में चल रहे शिल्पग्राम उत्सव के अंतर्गत संगम सभागार में वाग्वर अंचल के तीर्थ स्थल बेणेश्वर धाम के संत मावजी के चोपड़ों में मंडित चित्र लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हैं। केन्द्र द्वारा प्रलेखन योजना में साबला स्थित श्री हरि मंदिर तथा सलूम्बर के शेषपुर के चोपड़ों का छायांकन करवाया गया जो तकरीबन 300 वर्ष पुराने हैं और इनमें सृििजत चित्र व उनमें प्रयुक्त रंग आज भी यथावत है।
श्री हरि मंदिर साबला में विद्यमान दो गुना दो फीट आकार के चोपड़े में 333 पन्ने हैं तथा मूल ग्रगंथ में 70 चित्र विद्यमान हैं। इसमें देवनागरी लीपी में वागड़ी मिश्रित गुजराती, हिन्दी ब्रज, संस्कृत एवं अपभ्रंश संदेश मंडित हैं इनमें से 70 चित्र इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित किये गये हैं। इन चित्रों में भक्ति के साथ-साथ संत मावजी के जीवन के प्रति विचार तथा उनके जीवन दर्शन को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है। यह प्रदर्शनी 30 दिसम्बर तक चलेगी।
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