महाराष्ट्र की लोक और जनजाति संस्कृति से महका शिल्पग्राम

महाराष्ट्र की लोक और जनजाति संस्कृति से महका शिल्पग्राम

दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव 2022 में गुजरात दिवस कल

 
shilpgram Utsav 2022

उदयपुर 23 दिसंबर 2022। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के तीसरे दिन शाम मुख्य रंगमंच पर महाराष्ट्र दिवस में महाराष्ट्र की लोक और जनजाति कला की महक महसूस की जिसमें जनजाति नृत्य सौंगी मुखवटे, लावणी, शेतकारी नृत्य व कोली नृत्य की धूम रही। उत्सव में ही ‘मुक्ताकाशी चित्रण कार्यशाला प्रारम्भ हुई। उत्सव के चौथे दिन शनिवार को ‘क्ले मॉडलिंग प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जायेगा।

Shilpgram Utsav 2022

उत्सव में शुक्रवार को हाट बाजार में लोगों ने खरीददारी की। हाट बाजार में दोपहर में ही लोगों की आवाजाही प्ररम्भ हो गई शाम को शिल्पग्राम के हाट बाजार में कई लोग खरीददारी करते व मेले का आनन्द उठाते नजर आये। उत्सव में केन्द्र द्वारा आयोजित ‘मुक्ताकाशी चित्रण कार्यशाला’ शुरू हुई जिसमें एक दर्जन कलाकारों द्वारा उत्सव की गतिविधियों को कैनवास पर उतारने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। हाट बाजार में तथा झोंपडियों के बाहर चित्रकार चित्रण करते नजर आये इनमें कुछ ने लोक कलाकारों के पोर्ट्रेट तो कुछ ने शिल्पग्राम के प्राकृतिक सौन्दर्य का चित्रण किया।

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रंगमंचीय कार्यक्रम की शुरूआत मराठी परंपरा अनुसार स्वस्ति वाचन और गणपति वंदन से हुई। इस अवसर पर महाराष्ट्र के ग्राम्यांचल में प्रभाती गायन परंपरा वासुदेव अभंग (भजन) देखने को मिली पारंपरिक परिधन पहने कलाकारों ने अभंग प्रस्तुत किये जिसमें विट्ठल के अभंग उल्लेखनीय हैं। महाराष्ट्र पर ही महाराष्ट्र की कोंकणा जनजाति द्वारा देवी उपासना में किया जाने वाला ‘सौंगी मुखौटे’ नृत्य की प्रस्तुति श्रेष्ठ बन सकी। प्रस्तुति में मुखौटे पहने कलाकारों ने अपने नर्तन से अनूठी जनजाति संस्कृति से साक्षात करवाया।  प्रस्तुति में शेर बन कर आये कलाकारों ने जैसे ही मंच पर प्रवेश किया तो दर्शक आल्हादित हो उठे।

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महाराष्ट्र में एक बड़ा वर्ग शेतकारी अर्थात किसान वर्ग का है जो त्यौहारों के अवसर पर नर्तन गायन से मनोरंजन करते हैं। कार्यक्रम में ही महाराष्ट्र का लावणी नृत्य मन मोहिनी पेशकश रही। लावणी महराष्ट्र की समृद्ध नृत्य परंपरा है जिसमें लोक और शास्त्रीय नृत्य के तत्व विद्यमान हैं।

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प्रस्तुति में मुजरा व शुद्ध नर्तन पर नृत्यांगनाओं की थिरकन श्रेष्ठ बन सकी तथा दर्शकों ने नृत्य और लावण्य का लुत्फ उठाया। कार्यक्रम में इसके अलावा वाग्या मुरली, गोंधळ, खातन रंगवाल होली च्या में होली के रंग देखने को मिले साथ ही गवलन रास लीला, ठाकर जनजाति नृत्य, लावणी, घड़ा, जोगवा, शिवादी पे, कोली, विट्ठल परंपरा पखावज व मांदल वादन की प्रस्तुति उल्लेखनीय हैं।

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उत्सव में शनिवार को ‘क्ले मॉडलिंग प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जायेगा। इसके लिये 10 से 17 वर्ष की आयु के किशोर उम्र के बच्चे भाग लेंगे।प्रतियोगिता में विजेताओं को पुरस्कृत किया जायेगा। शनिवार को ही उत्सव में ‘गुजरात दिवस’ मनाया जायेगा।

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