नगर निगम में 17 दिवसीय सिल्क ऑफ इंडिया प्रदर्शनी शुरू

नगर निगम में 17 दिवसीय सिल्क ऑफ इंडिया प्रदर्शनी शुरू

हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहित करने के लिए लगाईं गई प्रदर्शनी

 
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उदयपुर। श्रीकृष्णा आर्ट्स एण्ड क्राफ्ट्स की ओर से नगरनिगम प्रांगण में आज से नगर निगम प्रांगण में 17 दिवसीय एनआरआई शॉपिंग फेस्टिवल प्रारम्भ हुआ। जिसमें देश के विभिन्न प्रान्तों के प्रसिद्ध आइटमों की 78 स्टॉल लगायी गई है।

श्रीकृष्णा आर्ट्स एण्ड क्राफ्ट्स योगेन्द्रसिंह पिन्टू ने बताया कि शहर में पहली बार आयोजित हो रही है प्रदर्शनी में भारत के दस राज्यों के उत्पादों को एक स्थान पर ला कर हेण्डलूम के अलावा अन्य विभिन्न प्रकार के उत्पाद को जनता को उपलब्ध होंगे। इस परिसर में आयोजित सिल्क ऑफ इंडिया प्रदर्शनी सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक चलेगी जिसमें देश के नामी हस्तशिल्पियों ने अपने अपने राज्यों के पारम्परिक हैंडलूम्स को आधुनिक समय की मांग को  दृष्टिगत रखते हुए डिजाईन किया है जो कि युवा वर्ग के पसंदीदा उत्पाद उपलब्ध होंगे।  

ये उत्पाद हैं खास- उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में कश्मीर, बिहार के भागलपुर, उत्तर प्रदेश के झाँसी, मेरठ, कोलकाता, खुर्जा, भदौही, सहारनपुर के उत्पाद शामिल है। जिसमें शॉल, साड़ी, सूट्स, फैशन ज्वेलरी, होम फर्निशिंग, ब्रास के आर्टिकल्स, कुर्ते, कुर्तियां, खादी के शर्ट, ड्रेस मैटिरियल, फर्नीचर और क्रॉकरी की नित नयी डिजाईनें देखने को मिलेगी।  

इसके अलावा प्रदर्शनी में कलकत्ती साड़ी और टॉप, बनारसी सिल्क साड़ी एंड ड्रेस मैटिरियल, मेरठ की खादी टॉप एंड शर्ट, कश्मीरी टॉप एंड कुर्ती, भदोई के प्रसिद्ध कारपेट्स,  दिल्ली के लांग स्कर्ट्स, लखनवी चिकन, बिहार, भागलपुरी और उत्तर प्रदेश के हैंड मेड फर्नीचर, क्रॉकरी, ब्रास मैटिरियल, पंजाब की फुलकारी, कांजीवरम की साड़ियां और तरह तरह के हैंड मेड पर्स सहित सैकड़ो उत्पाद ऐसे हैं जो शहर के लोगों की पहली पसन्द बनेंगे।  

उन्होंने बताया कि बजार में कश्मीर के पशमीना शॉल के नाम पर मशीन से बने शॉल ज्यादा बेचे जाते हैं, लेकिन यहां ठेठ काश्मीरी अंदाज में हाथ से बनाए गई पशमीना शॉल उपलब्ध है। ये इतने मुलायम होते हैं कि इन्हें हाथ की अंगूठी से भी निकाला जा सकता है। कश्मीर से आए दस्तकारों ने बताया कि एक शॉल में कम-से-कम तीन बकरों के ऊन का इस्तेमाल होता है। पशमीना के लिए इन ऊनों को चरखे के ज़रिए हाथों से ही काता जाता है। ये काम काफी मुश्किल और थकाने वाला होता है, इसीलिए ऊन कोई अनुभवी कारीगर ही काट सकता है। इसे काटने के आलावा डाइ करने में भी काफी मेहनत, समय लगता है। आज भारत से कहीं ज्यादा विदेशों में पशमीना की मांग है इसलिए इसे नए स्टाइल में तैयार किया जाता है। पशमीना से कुरतियां, जैकेट्स, भी तैयार किये जा रहे हैं।  

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