विज्ञान और नवीनतम टेक्नोलॉजी के संयोजन ने कैंसर से जूझ रही पीड़िता को दिया स्वस्थ जीवन

विज्ञान और नवीनतम टेक्नोलॉजी के संयोजन ने कैंसर से जूझ रही पीड़िता को दिया स्वस्थ जीवन

दक्षिण राजस्थान में पहली बार स्टर्नम बोन का 3 डी टाइटेनियम इम्प्लांट बना स्थापित किया कीर्तिमान

 
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गीतांजली हॉस्पिटल सर्व सुविधाओं से युक्त हॉस्पिटल है। यहाँ आने वाले रोगियों को अत्याधुनिक तकनीकों द्वारा इलाज किया जाता है। अभी हाल ही में राजस्थान गवर्मेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) लाभार्थी, पाली की रहने वाली 30 वर्षीय रोगी का काफी चुनौतियों के बाद गीतांजली कैंसर सेंटर में सफल 3 डी इम्प्लांट करके रोगी को स्वस्थ्य जीवन प्रदान किया गया। इस हाई रिस्क ऑपरेशन को कैंसर सर्जन डॉ. आशीष जाखेटिया, डॉ. अजय यादव एवं एनेस्थिस्ट डॉ . नवीन पाटीदार, ओर्थोपेडिक सर्जन डॉ रामावतार सैनी तथा उनकी टीम के अथक प्रयासों से सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया। 

रोगी ने बताया कि पिछले 5-6 वर्षों से छाती के बीचो बीच एक गाँठ सी उभर रही थी। रोगी को बहुत से हड्डी के डॉक्टर्स को दिखाया, दवा भी ली परन्तु कोई लाभ नहीं मिला। धीरे- धीरे समस्या बढने लगी और रोगी का दिनचर्या निर्वहन मुश्किल होने लगा| रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया। यहाँ आने पर रोगी को ओर्थोपेडिक सर्जन डॉ रामावतार सैनी को दिखाया गया, उनके कहने पर रोगी का 3.0 टेस्ला एम.आर.आई. किया गया। डॉ सैनी ने रोगी की रिपोर्ट्स देखते ही उसके परिवार वालों को गीतांजली कैंसर सेंटर के सर्जन डॉ आशीष जाखेटिया से मिलने की सलाह दी। 

विस्तृत जानकारी

डॉ आशीष ने बताया कि छाती के बीच एक लंबी स्टेरनम या ब्रेस्टबोन होती है, जो गले से छाती तक होती है। चेस्ट की रिब्स आगे से ब्रेस्टबोन से जुड़ी होती हैं और पीछे से स्पाइनल कोर्ड बैकबोन से जुड़ी होती है। रोगी के स्टेरनम बोन (पसलियों को जोड़ने वाली अस्थि) में 4 सेंटीमीटर का ट्यूमर था। रोगी पिछले कई सालों से निजी अस्पतालों में से भी सलाह ली परन्तु बीमारी का पता नही लगने व सही इलाज ना मिलने से रोगी की तकलीफ बढ़ रही थी। धीरे-धीरे छाती के बीच गांठ बड़ी होती जा रही थी। 

डॉ आशीष ने रोगी की बायोप्सी करवाई जिसके अन्दर कैंसर के ट्यूमर की पुष्टि हुई|रोगी की सभी आवश्यक जाचें की गयी जैसे कि पेट सी.टी स्कैन, 3.0 टेसला एम.आर.आई इत्यादि। रोगी की सभी जांचें सामान्य थी, कैंसर स्टेरनम में था। डॉक्टर्स की टीम ने रोगी के लिए अनुकूल योजना बनायी क्यूंकि स्टेरनम से दोनों तरफ के क्लेविकल, स्टेरनम के बीच का भाग, पसलियाँ शामिल रहते हैं और यह मुख्य वाहिकाओं की मुख्य रक्षक है, ऊपरी वायुमार्ग, फेफड़े, हृदय, हड्डियाँ हर चीज़ की यह रक्षा करती हैं और छाती की दीवार को अच्छी मजबूती देती हैं ताकि रोगी सामान्य रूप से सांस ले सके। 

डॉ. आशीष ने बताया रोगी के इलाज की योजना के तहत 3 डी इम्प्रिंटिंग के लिए इंजीनियर की मदद ली गई, उसे रोगी की सारी फोटोग्राफ्स दी गयी। यह विज्ञान और टेक्नोलॉजी का संयोजन है। डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार इंजीनियर द्वारा कंप्यूटर पर विभाजित होने वाला मॉडल तैयार किया गया। रोगी की स्टेरनम की तरह हुबहू टाइटेनियम का इम्प्लांट तैयार किया गया। जहां-जहां हड्डी को विभाजित करना था उसी के हिसाब से इम्प्लांट की योजना बनाई गयी। टाइटेनियम इम्प्लांट मिलने के बाद रोगी की सर्जरी की गयी। सर्जरी के दौरान हड्डी को मार्जिन के साथ हटा दिया गया। इसके पश्चात इस टाइटेनियम इम्प्लांट को लगाया गया। 

डॉ अजय ने बताया कि इसके पहले मेश के साथ बोन सीमेंट का इस्तेमाल किया जाता था, उससे एक ठोस ढांचा तो बन जाता था परन्तु इतना सटीक आकर नहीं आ पाता था। इस नयी तकनीक के माध्यम से अब सर्जरी में कठोर हड्डी को विभाजित करने में टाइटेनियम इम्प्लांट के माध्यम से किये जा रहे हैं।  टाइटेनियम से शरीर पर किसी तरह का दुष्प्रभाव नहीं होता, इम्प्लांट के बाद भी सी.टी. स्कैन, एम.आर.आई इत्यादि जांचें भी की जा सकती हैं। इसके द्वारा रोगी की जीवन स्तर भी अच्छा रहता है। इस इम्प्लांट की खासियत है ये किसी तरह से टूटता नहीं हैं| यह एक कौशलपूर्ण प्रोसीजर है। आमतौर पर इस तरह की सर्जरी करना बहुत मुश्किल होता है और इस तरह के प्रोसीजर राजस्थान के हाई सेन्टर पर ही संभव है, गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भी इनमे से एक है। इस रोगी को एक सप्ताह में ही बहुत अच्छे परिणाम मिले और उसे हॉस्पिटल द्वारा छुट्टी दे दी गयी है। 

डॉ आशीष ने बताया कि हड्डी के ट्यूमर, जॉ बोन जबड़े की हड्डी या कोई और हड्डी में आधुनिक तकनीक के माध्यम से कंप्यूटर के माध्यम से हड्डी वाला भाग हुबहू बनाया जा सकता है। 

गीतांजली हॉस्पिटल के सी.ई.ओ प्रतीम तम्बोली ने कहा कि गीतांजली हॉस्पिटल में अनुभवी टीम,मल्टीडीसीप्लिनरी अप्प्रोच और अत्याधुनिक तकनीकों के साथ यहाँ  वाले रोगियों के जटिल ऑपरेशन किये जा रहे हैं, जिससे रिस्क और भी कम हो जाता है। गीतांजली हॉस्पिटल में इस तरह के हाई-एंड ऑपरेशन स्टेट ऑफ़ आर्ट के दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस ऑपरेशन को सफल बनाने वाली टीम को श्री तम्बोली द्वारा बधाई दी गयी। 

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल पिछले सतत् 15वर्षों से एक ही छत के नीचे सभी विश्व स्तरीय सेवाएं दे रहा है और चिकित्सा क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करता आया है, गीतांजली हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर्स व स्टाफ गीतांजली हॉस्पिटल में आने प्रत्येक रोगी के इलाज हेतु सदैव तत्पर है। 

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