उदयपुर, 18 फरवरी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संवेदनशील निर्णय करते हुए प्रदेश के जाने-माने तीरंदाज लिम्बाराम को उपचार के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष से दस लाख रुपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की है। मूल रूप से उदयपुर की झाड़ोल तहसील के सरादीत गांव निवासी लिम्बाराम पिछले कुछ समय से गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। ब्रेन स्ट्रोक के कारण वर्तमान में गाजियाबाद के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।
इस संबंध में जानकारी मिलते ही गहलोत ने मुख्यमंत्री सहायता कोष नियमों में शिथिलता प्रदान करते हुए 10 लाख रुपए की तत्काल आर्थिक सहायता स्वीकृत की और दिल्ली में प्रमुख आवासीय आयुक्त श्रीमती शुभ्रा सिंह को उनकी हरसंभव सहायता करने के निर्देश दिए। गहलोत के निर्देश पर प्रमुख आवासीय आयुक्त ने शुक्रवार को ही दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम स्पोर्ट्स हॉस्टल स्थित लिम्बाराम के आवास पर पहुंचकर उन्हें सहायता राशि का चैक सौंपा तथा उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश का नाम रोशन करने वाले पदमश्री तथा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित इस ओलम्पियन तीरंदाज के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।
गंभीर बीमारी से जूझ रहे है लिंबाराम
पिछले कई सालों से वह दिमाग की गंभीर बीमारी से परेशान है फिलहाल लिंबाराम गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में भर्ती है। न्यूरोडीजेनेरेटिव और सिजोफ्रेनिया नामक बीमारी से जूझ रहे लिंबाराम को नेहरू स्टेडियम स्थित निवास में ब्रेन स्टोक्स के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।
उदयपुर के झाड़ोल तहसील के निवासी है लिंबाराम
लिंबाराम का जन्म 30 जनवरी 1972 को उदयपुर के झाड़ोल तहसील के सरदीत गाँव में हुआ। उनका परिवार अहारी जनजाति से है। उन्हें बचपन से ही स्वदेशी बांस धनुष और ईख के तीरों चलाने का शौक था। 1987 में उनके एक चाचा ने खबर दी कि सरकार अच्छे तीरंदाजों को प्रशिक्षित करने के लिए पास के गांव में परीक्षण करेगी। इस परीक्षण में भारतीय खेल प्राधिकरण के चयनकर्ताओं ने 15 वर्षीय लिंबाराम को देखा औ उन्हें आरएस सोढ़ी की कोचिंग में चार महीने के प्रशिक्षण शिविर स्पेशल एरिया गेम्स प्रोग्राम के लिए नई दिल्ली भेजा गया।
लिंबाराम की उपलब्धियां
लिंबाराम को 1987 में भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा देखा गया और प्रशिक्षित किया गया। उसी वर्ष वह बैंगलोर में आयोजित राष्ट्रीय जूनियर स्तर की तीरंदाजी टूर्नामेंट में समग्र चैंपियन बने। ठीक एक साल बाद 1988 में लिंबाराम नेशनल सीनियर लेवल टूर्नामेंट में विजयी हुए। 1989 में वह स्विट्जरलैंड के लुसाने में आयोजित विश्व तीरंदाजी चौंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचे। उसी वर्ष वह व्यक्तियों में एशियाई कप में दूसरे स्थान पर रहे और भारत को गोल्ड मिला।
उन्होंने तीन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 1992 में उन्होंने 30 मीटर स्पर्धा में बीजिंग एशियाई तीरंदाजी चैंपियनशिप में ताकायोशी मत्सुशिता के विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की। 1996 में वे एशियाई रिकॉर्ड के साथ राष्ट्रीय चैंपियन बने। उन्हें 1991 में अर्जुन पुरस्कार और 2012 में पद्मश्री से सम्मानित किया। उन्होंने भारत को कई पदक दिलाए।
लिंबाराम ने जताया आभार
इधर लिंबाराम ने मिली इस त्वरित राहत के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया है। उन्होंने चिकित्सा सुविधा के लिए मिली त्वरित राहत में सहयोगी बने केबिनेट मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया, संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट व जिला कलक्टर ताराचंद मीणा का भी धन्यवाद ज्ञापित किया है।
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