नए लाइसेंस नहीं मिलने और पुराने नवीनीकरण न होने से हथियार विक्रेता में रोष


नए लाइसेंस नहीं मिलने और पुराने नवीनीकरण न होने से हथियार विक्रेता में रोष

ऑल गन डीलर्स एण्ड मेन्युफ्रेक्चरर्स ऑफ राजस्थान ने कलेक्टर को दिया ज्ञापन 

 
weapon traders

उदयपुर संभाग में हथियारों के नए लाइसेंस नहीं मिलने व पुराने हथियार लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करने की वजह से हथियार विक्रेता में रोष व्याप्त है। इसी वजह से सभी बंदूक विक्रेताओं ने आज जिला कलेक्ट्री पहुंचकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

ऑल गन डीलर्स एण्ड मेन्युफ्रेक्चरर्स ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष अब्दुल रशीद खान ने बताया की उदयपुर संभाग के भौगोलिक मानचित्र अनुसार यह आदिवासी अंचल है और इसके आस-पास के छ जिलों उदयपुर सहित चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, बाँसवाडा, प्रतापगढ़, राजसमन्द में गरीब आदिवसी जनता गांवों में निवास करती है। इन आदिवासियों की दिनचर्या व आजीविका सिर्फ पशुपालन/खेती ही है। इसके अलावा और कोई रोजगार इन आदिवासियों के पास नहीं है और यह सभी बी.पी.एल. धारक है, मेहनत करके यह लोग खेती बाड़ी करते हैं और सदियों से इनका रहन-सहन गरीबी रेखा से निचले स्तर पर है।  

फसल रक्षार्थ इनके पास आजादी से पूर्व ही "बारूदी बंदुक" है जो कि वर्तमान समय में चलन के बाहर मानी जाती है परन्तु इस बारूदी बंदुक से ये किसान लोग अपनी फसल की सुरक्षा और जगली जानवरों जैसे रोजड़ा, भालू, तेंदुआ, सूअर झरख जैसे आदमखोर जानवरों से खेतों में हवाई फायर करके अपने जान-माल की हिफाजत करना ही उद्देश्य रहा है। 

परन्तु 2006 में फर्जी हथियार लाईसेन्स कांड की वजह से एवं 2016 के आस रूल्स में संशोधन होने से इस प्रकार की बन्दूकों के नवीन अनुज्ञापत्र व नवीनीकरण एवं उत्तराधिकारी नीति अनुसार टोपीदार बन्दुकों का हस्तान्तरण समय पर नहीं हो रहा है, जिसकी वजह से पुलिस प्रशासन द्वारा किसान /आदिवासियों पर कार्यवाही कर जिले के लाईसेन्सधारकों पर आर्म्स एक्ट की धारा अनुसार मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जा चुका हैं।  

इसकी मूल वजह शस्त्र अनुज्ञा पत्र का नवीनीकरण शुल्क रूपये 60/- तीन वर्ष की जगह रूपये 2500/- पांच वर्ष का होना व पेनाल्टी रूपये 2000/- जो पहले नहीं थी का अधिक होना है। एक शस्त्र अनुज्ञा-पत्र को नवीनीकरण कराने में तकरीबन रूपये . 5000/- खर्च हो जाते हैं, जो गरीबों बी.पी.एल धारकों के लिए बहुत ही ज्यादा होकर न्याय संगत नहीं है। 

जबकि 1995 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे स्व. भैरोंसिंह शेखावत द्वारा एक अध्यादेश गृह विभाग द्वारा समस्त राजस्थान के जिला कलेक्टर के माध्यम से आदिवासी अंचल में शस्त्रों (टोपीदार बंदुक) के नवीनीकरण, हस्तान्तरण व नये अनुज्ञा पत्र केम्प लगाकर बनाने हेतु और आदिवासियों के ऊपर जितने भी आर्म्स एक्ट के मुकदमों को तुरन्त निस्तारण नीति के तहत मामले निष्पादित करने के आदेश प्रदान किये गये थे। 

उन्होंने मांग राखी कि उदयपुर की जितने भी उपखण्ड कार्यालय है, उन अधिकारियों निर्देशित करें कि नवीन अनुज्ञा पत्र जारी करने उत्तराधिकारी नीति के तहत शस्त्रों का हस्तान्तरण करने व नवीनीकरण सरलीकरण की नीति अपनाई जाए।

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