खादी मेले की बिक्री पंहुची 99.84 लाख, उदयपुर में बन सकती है पहली आयुर्वेदिक लेबोरेट्री

खादी मेले की बिक्री पंहुची 99.84 लाख, उदयपुर में बन सकती है पहली आयुर्वेदिक लेबोरेट्री

आयुष मंत्रालय से सर्टिफिकेट मिलते ही उदयपुर में बनेगी पहली आयुर्वेदिक लेबोरेट्री
 

 
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मेले की कुल बिक्री का लक्ष्य सवा करोड़ का

नगर निगम के टाउन हॉल प्रांगण में चल रही 17 दिवसीय राज्य स्तरीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी के 13 वें दिन आयोजित पत्रकार वार्ता में संयोजक गुलाब सिंह गरासिया ने बताया कि अब तक खादी की कुल बिक्री 99.84 लाख रूपयें हो चुकी है जिसमें 51.26 लाख खादी और 48.58 लाख रुपए के ग्रामोद्योग की बिक्री शामिल है। मेले की कुल बिक्री का लक्ष्य सवा करोड़ का रखा गया है जो 13 दिन की कुल बिक्री उस लक्ष्य के करीब पहुंचती नजर आ रही है।
 

गरासिया ने बताया कि खादी एवं ग्रामोद्योग उत्पादों पर 50 प्रतिशत की छूट का लाभ लेने शहरवासी लगातार मेले में पहुंच रहे हैं। उदयपुर का खादी ग्राम उद्योग मेला राजस्थान में बिक्री के लिहाज से दूसरे स्थान पर आता है। मेले में राज्य और राज्य से बाहर के भी कई खादी के व्यापारी बंधु यहां पहुंचे हैं जिनका पूरी तरह से सहयोग मिला है और मिल रहा है।

इस अवसर पर श्री औषध प्रतिष्ठान उदयपुर एकलिंगपुरा के ज्योति प्रकाश जैन एवं दिलीप परमार ने बताया कि जागृति ब्रांड हर्बल खादी ग्रामोद्योग पोयनियर प्रोडक्ट्स की शुरुआत 1964 में हुई थी। धीरे धीरे इसमें प्रगति हुई और शुरुआती दौर में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड वित्त पोषित इकाई के रूप में स्थापित हुई। इसके तहत शुरुआत में 10 लाख का लोन लेकर इसकी शुरुआत की गई। लोगों के विश्वास और इसकी गुणवत्ता की वजह से आज इसका डेढ़ करोड़ रुपए का सालाना टर्नओवर है।

उन्होंने बताया कि अभी उन्होंने आयुर्वेदिक लेबोरेट्री प्रयोगशाला की शुरुआत भी की है। जिसे आयुष मंत्रालय से सर्टिफिकेट मिलना बाकी है। इस कड़ी में पहला प्रोसेस पूरा हो चुका है। इसमें करीब एक करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया गया है। जो भी गुणी जन कोई औषधि ले करके आते हैं उसकी  गुणवत्ता जांच कर उसे प्रमाणित करने का उदयपुर में कोई भी आधार नहीं था। अब इस लेबोरेटरी की स्थापना के बाद यह समस्या लगभग खत्म हो गई है अब प्रमाणीकरण के बाद यहां की बनी औषधि देश के साथ विदेशों में भी निर्यात की जा सकेगी। अब यही प्रयास है कि इस यूनिट को और भी बड़ा बनाया जाएगा।
 

इस अवसर पर लक्ष्मीनारायण पंड्या ने राज्य सरकार के घर घर औषधि योजना का जिक्र करते हुए आयुर्वेद क्षेत्र में होने वाले इसके लाभ के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पूर्व में हमारी जानकारियों के अभाव में कई ऐसे औषधि युक्त पौधे थे जो आज लुप्त हो गए। जबकि वह पौधे कई गंभीर शारीरिक व्याधियों में लाभप्रद हुआ करते थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ऐसे विलुप्त औषधीय पौधों को फिर से बढ़ाने का भी लक्ष्य है।
 

प्रकाश चंद्र गौड़  ने बताया कि खादी एवं ग्रामोद्योग में भी समय-समय पर काफी परिवर्तन हुए हैं। आज से 25 साल पहले भी यहां खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी लगती थी लेकिन उनके उत्पादों में और आज के उत्पादों में जमीन आसमान का अंतर है। आज के खादी ग्रामोद्योग के उत्पाद आधुनिक तरीके से बनाए जाते हैं। खादी के लिए यह बड़ी उपलब्धि है कि युवाओं का रुझान खादी की तरफ लगातार बढ़ता जा रहा है।

मंत्री मालवीय ने 1 लाख की खादी कर जनता को खादी के प्रति आकर्षित किया- 17 दिवसीय खादी एवं ग्रामोद्योग मेले में गुरुवार को सरकार के कैबिनेट मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय भी पहुंचे। उन्होंने पूरी प्रदर्शनी का घूमकर अवलोकन किया एवं बाहर से आए व्यापारियों से चर्चा की। इस अवसर पर मालवीय प्रदर्शनी की तारीफ करते हुए कहा कि यहां पर राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से और राज्य के बाहर से कई लोग आए हैं जो अच्छे से अच्छे उत्पादों की बिक्री कर रहे हैं। हमारे वागड़ की भी कई संस्थाएं उदयपुर मेले में पहुंची है जो बहुत अच्छी बात है।

 

मालवीय ने मेले में विभिन्न स्टॅालों पर जाकर लगभग 1 लाख रूपयें की खरीदी जो उन्हें राज्य सरकार द्वारा खादी पर दी जा रही छूट के बाद लगभग 51 हजार रूपयें में पड़ी। प्रदर्शनी संयोजक गुलाब सिंह गरासिया ने बताया कि मालवीय ने व्यापारियों से उनके बारे में और अब तक हुई बिक्री की जानकारी ली।

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