उदयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस विजय विश्नोई व जस्टिस योगेन्द्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ ने उदयपुर में राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित पहाड़ी उपनियमों के तहत किसी भी प्रकार की इमारतों, रिसॉर्ट और मोटल आदि के निर्माण की अनुमति नहीं देने के आदेश दिए हैं। वहीँ स्वरूपसागर झील पर नगर निगम द्वारा बनाए जा रहे फ़ूड कोर्ट पर भी रोक लगाते हुए यथास्थिति के आदेश दिए हैं। हालांकि कोर्ट ने सरकार को मौजूदा पहाड़ी उपनियमों को री-फ्रेम करने या संशोधन करने की स्वतंत्रता दी है। लेकिन उनको अधिसूचित करने से पहले हाईकोर्ट से अनुमति लेनी होगी।
याचिकाकर्ता उदयपुर झील संरक्षण समिति के डॉ. तेज राजदान की ओर से अधिवक्ता शरद कोठारी ने शहरी विकास एवं आवास विभाग की तरफ से पहाड़ियों के रूपांतरण पर उपनियमों की अधिसूचना को चुनौती दी। साथ ही हाईकोर्ट के पूर्व के आदेशों को लागू करने व स्वरूप सागर झील पर बन रहे फूड कोर्ट को चुनौती दी।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सरकार के एएजी सुनील बेनीवाल को आवश्यक निर्देश भी दिए। कोर्ट ने उदयपुर में पहाड़ियों के लिए बने उपनियमों को गलत माना और कहा कि इनके तहत किसी भी इमारत, रिसॉर्ट व मोटल को निर्माण की अनुमति न दी जाए। हाईकोर्ट ने 7 मई 2018 को बने उपनियमों को गलत मानते हुए री-फ्रेम करने या फिर संशोधन करने की स्वतंत्रता दी है।
श्रेणी ए के पहाड़ का ढलान 11 डिग्री से कम। ढलान को निकटतम जल निकासी लाइन से मापा जाना चाहिए।
श्रेणी बी में पहाड़ियों का ढलान 11 डिग्री से ज्यादा निर्धारित किया।
बेसमेंट की अनुमति प्रतिबंधित रहेगी।
श्रेणी बी में सिर्फ रिसॉर्ट्स की अनुमति का उल्लेख था। न्यूनतम अनुमति 2 हैक्टेयर भूमि से कम पर।
रिसॉर्ट्स के लिए अधिकतम निर्मित/आच्छादित (आच्छादित क्षेत्र) क्षेत्र 5 प्रतिशत तक सीमित।
45 डिग्री से अधिक ढलान वाली पहाड़ियों के लिए कटाई और निर्माण प्रतिबंधित रहेंगे।
श्रेणी ए में पहाड़ी की ढलान 15 डिग्री से कम कर दी। पहाड़ियों के वर्गीकरण को सतह के मापा जाना चाहिए।
श्रेणी बी में ढलान 15 डिग्री से ज्यादा निर्धारित की।
बेसमेंट की अनुमति दे दी।
रिसोर्ट्स को पूरी तरह छूट, कोई प्रतिबंध नहीं।
रिसोर्ट्स एवं मोटल को 20 प्रतिशत एरिया के साथ अनुमति।
45 डिग्री से ज्यादा ढलान की पहाड़ियों पर कटाई-निर्माण की अनुमति।
Source: Dainik Bhaskar
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