बांसवाड़ा-28 फ़रवरी 2024 की प्रमुख खबरे


बांसवाड़ा-28 फ़रवरी 2024 की प्रमुख खबरे

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News-छात्र-छात्राओं को भारतीय वायुसेना में कॅरियर से संबंधित जानकारी दी

बांसवाड़ा, 28 फरवरी 2024। नम्बर 5 वायुसैनिक चयन केंद्र जोधपुर से पधारे वारंट अधिकारी बीजू सी नायर, सार्जेंट तिलक राज, सिविल प्रशासन प्रभारी टी आर भील, कॉरपोरल हरी प्रसाद ने बुधवार 28 फरवरी 24 को बांसवाड़ा जिले के ग्रामीण क्षेत्र के महात्मा गांधी उच्च माध्यमिक विद्यालय खांदू कॉलोनी, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कुपड़ा, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तलवाड़ा,  राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय उमराई के छात्र छात्राओं को भारतीय वायुसेना में सुनहरा भविष्य बनाने के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। 

उन्होंने बताया कि अग्निवीर वायु भर्ती के लिए साढ़े 17  से 21 वर्ष आयु वाले अविवाहित पुरूष एवं महिला उम्मीदवार भर्ती के लिए पात्र होंगे। भर्ती प्रक्रिया हेतु उम्मीदवारों को 12वीं कक्षा या इसके समकक्ष परीक्षा विज्ञान संकाय में गणित, भौतिक और अंग्रेजी विषय के साथ एवं कला तथा वाणिज्य संकाय मे किसी भी विषय के साथ 50 फीसदी अंकों के साथ ,अंग्रेजी विषय में 50 फीसदी अंक होना जरूरी है या 03 वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक या 02 वर्षीय वोकेशनल कोर्स पास उम्मीदवार आवेदन के पात्र है इच्छुक अविवाहित पुरूष एवं महिला उम्मीदवार भर्ती से संबधित विस्तृत जानकारी भारतीय वायुसेना की आधिकारिक वेबसाइट indianairforce.nic.in और careerindianairforc-cdac-in पर भी इस संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। भर्ती के लिए इच्छुक अभ्यर्थी https://agnipathvayu.cdac.in पर लॉग इन कर विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं।

News-अमरथून विद्यालय में समारोहपूर्वक मनाया राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

बांसवाड़ा, 28 फरवरी। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अमरथुन में बुधवार को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस धूमधाम से समारोहपूर्वक मनाया गया। 678 बालक बालिकाओं की रैली अमरथुन के विभिन्न वार्ड में निकाल कर बांसिया चरपोटा चौराहे से होती हुई विद्यालय में आम सभा में परिवर्तित हो गई।

सभा में विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक और प्रौद्योगिकी पर बोलते हुए संस्थाप्रधान अरुण व्यास ने बताया कि भारत में सन् 1986 से प्रोफेसर सी.वी. रमन (चंद्रशेखर वेंकटरमन के जन्मदिन को प्रतिवर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (नेशनल साइंस डे) मनाया जाता है। व्यास ने प्रोफेसर सी.वी. रमन (चंद्रशेखर वेंकटरमन) ने सन् 1928 में कोलकाता में इस दिन एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज की थी, जो ‘रमन प्रभाव’ के रूप में प्रसिद्ध है।

सभा में वार्ताकार अनूप मेहता ने बताया कि रमण की यह खोज 28 फरवरी 1930 को प्रकाश में आई थी। इस कारण 28 फरवरी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस कार्य के लिए उनको 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

सभा में  दिलीप मीणा ने बताया कि इस दिवस का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित करना, विज्ञान के क्षेत्र में नए प्रयोगों के लिए प्रेरित करना तथा विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है। इस दिन, विज्ञान संस्थान, प्रयोगशाला, विज्ञान अकादमी, स्कूल, कॉलेज तथा प्रशिक्षण संस्थानों में वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित प्रोग्रामों का आयोजन किया जाता हैं। रसायनों की आणविक संरचना के अध्ययन में श्रमन प्रभावश् एक प्रभावी साधन है।

सभा में  मुकेश पटेल ने बताया कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस देश में विज्ञान के निरंतर उन्नति का आह्वान करता है, परमाणु ऊर्जा को लेकर लोगों के मन में कायम भ्रांतियों को दूर करना इसका मुख्य उद्देश्य है तथा इसके विकास के द्वारा ही हम समाज के लोगों का जीवन स्तर अधिक से अधिक खुशहाल बना सकते हैं। रमन प्रभाव में एकल तरंग-दैर्ध्य प्रकाश (मोनोक्रोमेटिक) किरणें, जब किसी पारदर्शक माध्यम ठोस, द्रव या गैस से गुजरती है तब इसकी छितराई किरणों का अध्ययन करने पर पता चला कि मूल प्रकाश की किरणों के अलावा स्थिर अंतर पर बहुत कमजोर तीव्रता की किरणें भी उपस्थित होती हैं इन्हीं किरणों को रमन-किरण भी कहते हैं।

सभा में बदन लाल डामोर ने कहा कि भौतिक शास्त्री सर सी.वी. रमन एक ऐसे महान आविष्कारक थे, जो न सिर्फ लाखों भारतीयों के लिए बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। यह किरणें माध्यम के कणों के कंपन एवं घूर्णन की वजह से मूल प्रकाश की किरणों में ऊर्जा में लाभ या हानि के होने से उत्पन्न होती हैं। इतना ही नहीं इसका अनुसंधान की अन्य शाखाओं, औषधि विज्ञान, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, खगोल विज्ञान तथा दूरसंचार के क्षेत्र में भी बहुत महत्व है।

सभा को वार्ताकार  अनूप मेहता के अलावा कचरू लाल चरपोटा, श्रीमति प्रज्ञा अधिकारी,मयूर पडियार, कपिल वर्मा, हितेष कुमार निनामा, पर्वत सिंह, हरिशंकर, मानसिंह,नारायण लाल ने सम्बोधित किया। सभा का संचालन श्रीमति प्रज्ञा अधिकारी ने किया जबकि आभार प्रदर्शन पर्वत सिंह ने माना।

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