उदयपुर 25 जुलाई 2024। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के लेखा एवं व्यावसायिक सांख्यिकी विभाग द्वारा प्रो. शूरवीर सिंह भाणावत की अध्यक्षता में वार्षिक बजट 2024-25 पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया।
प्रो. भाणावत ने बजट पर समीक्षा करते हुए बताया की यह वार्षिक बजट संतुलित नहीं होकर एक क्षेत्र विशेष की तरफ झुका हुआ है जो आर्थिक विषमता को बढ़ाएगा। बजट में की गयी विभिन्न घोषणाएं जैसे टॉप 500 कंपनियों में इंटर्नशिप के अवसर तथा सीएसआर फण्ड में से ₹5000 प्रति माह का भत्ता तथा विदेशी कंपनियों के कर में 5% की कटौती करना अप्रत्यक्ष रूप से कॉर्पोरेट क्षेत्र के हित में है परन्तु मध्यम वर्गीय करदाताओं को इस बजट से उम्मीद के विपरीत निराशा हाथ लगी। सरकार द्वारा करो की दरों में कोई विशेष राहत न देते हुए STCG पर कर की दर 15% से बढाकर 20% करना एवं दीर्घकलीन पूँजी लाभ पर कर की दर बिना इण्डेक्सेशन के 10% से बढ़ाकर 12.5% करना रिटेल निवेशकों पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा किंतु अन्य संपतियों पर सकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है । यह कैसी विडंबना है कि कॉर्पोरेट से ज़्यादा कर जनता चुका रही है। कर संग्रहण में व्यक्तिगत आयकर का हिस्सा 19% है जबकि कॉर्पोरेट का हिस्सा 17% ही है।
डॉ शिल्पा वर्डिया ने बताया कि यह बजट राजनितिक हितो को साधने हेतु कुछ राज्यों पर केंद्रित था जो की देश में आर्थिक असमानता में और वृद्धि करेगा। डॉ शिल्पा लोढ़ा ने पूंजीगत लाभ की करो की दर में परिवर्तन के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों की व्याख्या की तथा प्रतिभूति बाजार में निवेश के अवसर सुझाये। डॉ आशा शर्मा ने करो की दरों में हुए विभिन्न परिवर्तनो की समीक्षा की।
इस परिचर्चा में विभाग के समस्त शोधार्थीयो ने भी अपने विचार रखे। अंत में निष्कर्ष के रूप में निम्न बातें उभर कर आयी :
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