ड्रोन उड़ाने के लिए केंद्र सरकार की ओर नई गाइडलाइन जारी की गई है। इस पॉलिसी के मुताबिक ड्रोन उड़ाने को लेकर कई नियमों में बदलाव किया गया है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को नई ड्रोन पॉलिसी का ऐलान किया। इसके तहत सरकार ने ड्रोन के इस्तेमाल के नियमों में ढील दी है। नई पॉलिसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नए ड्रोन नियम स्टार्ट-अप और काम कर रहे हमारे युवाओं की काफी मदद करेंगे। यह नवाचार और व्यापार के लिए नई संभावनाएं खोलेगा। यह भारत को ड्रोन हब बनाने के लिए नवाचार, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग में भारत की ताकत का लाभ उठाने में मदद करेगा।
ड्रोन उड़ाने की परमिशन लेना था मुश्किल
– पहले ड्रोन को लेकर कई तरह के नियम थे और ड्रोन उड़ाने से पहले कई अप्रूवल लेने होते थे, जिन्हें अब रद्द कर दिया गया है. इन अप्रूवल में विशिष्ट प्राधिकार संख्या, विशिष्ट प्रोटोटाइप पहचान संख्या, मौजूदा ड्रोन की स्वीकृति, संचालन परमिट, स्टूडेंट रिमोट पायलट लाइसेंस, ड्रोन पोर्ट प्राधिकार आदि शामिल है.
– ड्रोन के कवरेज को 300 किलो से बढ़ाकर 500 किलो किया गया है.
– पहले परमिशन लेने के लिए करीब 25 फॉर्म भरने होते थे, जिसे अब 5 कर दिया गया है
– लाइसेंस से पहले कोई भी सिक्योरिटी क्लियरेंस की आवश्यकता नहीं है.
– शुल्क को न्यूनतम स्तर पर किया गया है.
– बुनियादी नियमों के उल्लंघन पर 1 लाख रुपए तक दंड रखा गया है. हालांकि, अन्य नियमों के उल्लंघन पर ऐसा नहीं है.
– बता दें कि ड्रोन उड़ाने के लिए कई जोन तय किए गए हैं. यह जोन ऊंचाई के हिसाब से तय किए गए हैं. यह एक तरीके से ड्रोन उड़ाने के दायरे हैं. इसमें अगर आप ग्रीन जोन में यानी 200 फीट तक एयरपोर्ट से 8 से 12 किलोमीटर दूर ड्रोन उड़ाते हैं तो आपको परमिशन की आवश्यकता नहीं है.
– डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के जरिए सभी ड्रोन के रजिस्ट्रेशन करवाए जा सकते हैं.
– ड्रोन को ट्रांसफर करने और डिरजिस्ट्रेशन के प्रोसेस को आसान कर दिया गया है.
– बता दें कि ड्रोन भी कई तरह के होते हैं. इसमें अगर आप नैनो ड्रोन उड़ाते हैं तो पायलट लाइसेंस की जरूरत नहीं है. नीचे आपको बताते हैं कि कितने तरह के ड्रोन होते हैं.
– ‘नो पर्मिशन–नो टेक-ऑफ’ (एनपीएनटी), वास्तविक समय में ट्रैकिंग, जियो-फेंसिंग जैसे सुरक्षा तत्वों को भविष्य में अधिसूचित किया जायेगा. इसके अनुपालन के लिये छह महीने का समय दिया जायेगा.
– ड्रोन ट्रेनिंग और परीक्षा ऑथोराइज्ड ड्रोन स्कूल के जरिए दी जाएगी. साथ ही डीजीसीए ऑनलाइन माध्यम से ही पायलट लाइसेंस उपलब्ध करवाएगा.
– साथ ही पायलट लाइसेंस की प्रक्रिया को भी काफी आसान कर दिया गया है.
– डीजीएफटी द्वारा ड्रोन और ड्रोन के पुर्जों के आयात को नियमित किया जायेगा.
– कार्गो ड्रोन के लिए ड्रोन कॉरिडोर्स बनाए जाएंगे.
ड्रोन उड़ाने के लिए केंद्र सरकार की ओर नई गाइडलाइन जारी की गई है। इस पॉलिसी के मुताबिक ड्रोन उड़ाने को लेकर कई नियमों में बदलाव किया गया है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को नई ड्रोन पॉलिसी का ऐलान किया। इसके तहत सरकार ने ड्रोन के इस्तेमाल के नियमों में ढील दी है।
नई पॉलिसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नए ड्रोन नियम स्टार्ट-अप और काम कर रहे हमारे युवाओं की काफी मदद करेंगे। यह नवाचार और व्यापार के लिए नई संभावनाएं खोलेगा। यह भारत को ड्रोन हब बनाने के लिए नवाचार, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग में भारत की ताकत का लाभ उठाने में मदद करेगा।
पहले ड्रोन उड़ाने की परमिशन लेना था मुश्किल
– पहले ड्रोन को लेकर कई तरह के नियम थे और ड्रोन उड़ाने से पहले कई अप्रूवल लेने होते थे, जिन्हें अब रद्द कर दिया गया है. इन अप्रूवल में विशिष्ट प्राधिकार संख्या, विशिष्ट प्रोटोटाइप पहचान संख्या, मौजूदा ड्रोन की स्वीकृति, संचालन परमिट, स्टूडेंट रिमोट पायलट लाइसेंस, ड्रोन पोर्ट प्राधिकार आदि शामिल है.
– ड्रोन के कवरेज को 300 किलो से बढ़ाकर 500 किलो किया गया है.
– पहले परमिशन लेने के लिए करीब 25 फॉर्म भरने होते थे, जिसे अब 5 कर दिया गया है.
– लाइसेंस से पहले कोई भी सिक्योरिटी क्लियरेंस की आवश्यकता नहीं है.
– शुल्क को न्यूनतम स्तर पर किया गया है.
– बुनियादी नियमों के उल्लंघन पर 1 लाख रुपए तक दंड रखा गया है. हालांकि, अन्य नियमों के उल्लंघन पर ऐसा नहीं है.
– बता दें कि ड्रोन उड़ाने के लिए कई जोन तय किए गए हैं. यह जोन ऊंचाई के हिसाब से तय किए गए हैं. यह एक तरीके से ड्रोन उड़ाने के दायरे हैं. इसमें अगर आप ग्रीन जोन में यानी 200 फीट तक एयरपोर्ट से 8 से 12 किलोमीटर दूर ड्रोन उड़ाते हैं तो आपको परमिशन की आवश्यकता नहीं है.
– डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के जरिए सभी ड्रोन के रजिस्ट्रेशन करवाए जा सकते हैं.
– ड्रोन को ट्रांसफर करने और डिरजिस्ट्रेशन के प्रोसेस को आसान कर दिया गया है.
– बता दें कि ड्रोन भी कई तरह के होते हैं. इसमें अगर आप नैनो ड्रोन उड़ाते हैं तो पायलट लाइसेंस की जरूरत नहीं है. नीचे आपको बताते हैं कि कितने तरह के ड्रोन होते हैं.
– ‘नो पर्मिशन–नो टेक-ऑफ’ (एनपीएनटी), वास्तविक समय में ट्रैकिंग, जियो-फेंसिंग जैसे सुरक्षा तत्वों को भविष्य में अधिसूचित किया जायेगा. इसके अनुपालन के लिये छह महीने का समय दिया जायेगा.
– ड्रोन ट्रेनिंग और परीक्षा ऑथोराइज्ड ड्रोन स्कूल के जरिए दी जाएगी. साथ ही डीजीसीए ऑनलाइन माध्यम से ही पायलट लाइसेंस उपलब्ध करवाएगा.
– साथ ही पायलट लाइसेंस की प्रक्रिया को भी काफी आसान कर दिया गया है.
– डीजीएफटी द्वारा ड्रोन और ड्रोन के पुर्जों के आयात को नियमित किया जायेगा.
– कार्गो ड्रोन के लिए ड्रोन कॉरिडोर्स बनाए जाएंगे.
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