रेलवे ओडा ब्रिज ब्लास्ट मामले घटना के 85 दिनों बाद एटीएस ने गुरुवार को उदयपुर कोर्ट में 1773 पन्नों की चार्जशीट पेश की। चार्जशीट में अहम बात ये है कि आरोपी बिहारी लाल और अंकुश ने सुरेश उपाध्याय से बिस्फोटक खरीदा था। सुरेश ने अवैध रूप से इसे बेचा। फिर बिहारी और अंकुश के जरिए बाकी आरोपियों को यह विस्फोटक सामग्री अवैध रूप से बेची गर्ई।
बिहारी और अंकुश ने पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन वेबसाइट पर बिस्फोटक सामग्री को माइंस में उपयोग लेना दर्शाया। जबकि जांच में पता लगा कि इन्होंने विस्फोटक सामग्री माइंस के काम में नहीं थी। इसे अवैध रूप से बेचा गया और यही सामग्री ओडा ब्रिज ब्लास्ट मामले में बेचे जाने से उपयोग ली गई।
12 आरोपियों में 6 आरोपी पिता और पुत्र दोनों हैं। इसमें आरोपी बिहारी लाल सुहालका और उसका बेटा अंकुश सुहालका, भरतराज सेन और उसका बेटा अक्षय सेन, लोकेश सोनी और उसका बेटा अमित सोनी शामिल है। मुख्य आरोपी धूलचंद मीणा और उसका भतीजा प्रकाश मीणा और बाल अपचारी है। इसके अलावा सुरेश उपाध्याय, अशोक मीणा व देवेन्द्र डांगी मामले में आरोपी बनाया हैं जिन्हें जेल भेजा गया है। इसमें धूलचंद और प्रकाश मीणा हाई सिक्योरिरटी जेल अजमेर में बंद थे, जहां से पेशी के लिए इन्हें उदयपुर लाया गया।
1173 पेज की चार्जशीट में 47 गवाह का जिक्र किया गया है, उनके बयान दर्ज हैं। इसके अलावा चार्जशीट के 260 पन्नों में सबूतों से जुड़े दस्तावेज हैं। 86 पन्नों में पूरे घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी है। चार्जशीट पेशी के दौरान सभी 12 आरोपियों की भी पेशी हुई। इनमें 11 आरोपियों की सेशन कोर्ट में और एक नाबालिग आरोपी की पेशी किशोर न्यायालय में हुई।
उदयपुर-अहमदाबार रेलवे लाइन पर बने ओड़ा रेलवे ब्रिज पर 12 नवंबर 2022 को बारूद से ब्लास्ट करने की घटना हुई थी। जिससे पटरी और पास लगी लोहे की चद्दर मुड गई और रेलवे लाइन क्रेक हो गई थी। घटना के बाद मामले की जांच में जुटी टीम को मौके से बारूद भी मिला था। आरोपियों की साजिश ट्रेक को उड़ाने और रेलवे ट्रेक को बर्बाद करने की थी। धमाके से कुछ घंटे पहले ही यहां से ट्रेन गुजरी थी। 31 अक्टूबर को 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस लाइन का लोकार्पण किया था।
जावर माइंस थाना क्षेत्र में ओड़ा रेलवे ब्रिज पर रेलवे एक्ट 1989 की धारा 150, 151, आईपीसी की धारा 285, 467, 468, 471, 420-बी, सार्वजनिक सम्पति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 की धारा 3, 4, 5, 6 और भारतीय विस्फोटक अधिनियम 1984 की धारा 9-बी और क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1967 की धारा 6 व 18 के तहत इन सातों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज है।
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