छत्तीसगढ़ में कोयला खनन दूर कर सकता है राजस्थान कि विद्युत आपूर्ति की परेशानी - कोंग्रेस नेताओं को आवेदन

छत्तीसगढ़ में कोयला खनन दूर कर सकता है राजस्थान कि विद्युत आपूर्ति की परेशानी - कोंग्रेस नेताओं को आवेदन

छत्तीसगढ़ के सरगुजा और सूरजपुर ज़िले के ग्रामीणों ने कांग्रेस नेता राहुल गाँधी को पत्र लिख कर क्षेत्र में जल्द से जल्द कोयला खनन कार्य शुरू करवाने के लिए आवेदन किया है
 
Coal mining in chhatisgarh will solve rajasthan coal and power crisis
  • पत्र में 1000 से भी ज्यादा ग्रामीणों ने खनन कार्य शुरू करवाने के लिए दस्तखत किये हैं
  • खनन परियोजना शुरू होने से क्षेत्रवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार सहित और भी कई प्रकार के मूलभूत सुविधाओं कर लाभ मिलेगा

राजस्थान की सुरगुजा स्थित दो खदान के आसपास के लोगो चाहते है की अब यह प्रोजेक्ट शुरू हो जाने चाहिए ताकि उनको अपना मुआवजा जल्द ही मिल सके। नवम्बर के मध्य में, प्रभावित गांवों के स्थानीय लोगों ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके के समक्ष अभ्यावेदन रखा कि कुछ तत्व विकास परियोजनाओं को खतरे में डालने के लिए अपने हितों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने राज्यपाल उइके से राजस्थान को भूमि अधिग्रहण की अनुमति देने का अनुरोध किया ताकि उन्हें जल्द से जल्द मुआवजा मिल सके। 

2015 में केंद्र ने तीन कोयला ब्लॉक, परसा ईस्ट कांटा बसन (पीईकेबी) ब्लॉक, परसा ब्लॉक और केंटे एक्सटेंशन ब्लॉक के आवंटन के बारे में निर्णय लिया। इनमें से केवल पीईकेबी ब्लॉक चालू है और सालाना 1.5 करोड़ टन कोयले का उत्पादन होता है, जबकि अन्य दो ब्लॉकों का विकास छत्तीसगढ़ सरकार से आवश्यक मंजूरी में देरी के कारण लटका हुआ है। शेष दो ब्लॉकों के शुरू होने से छत्तीसगढ़ में इसके कैप्टिव ब्लॉकों से राजस्थान के लिए कोयला उत्पादन दोगुना हो सकता है, जिससे केंद्रीय पीएसयू कोल इंडिया पर निर्भरता कम हो सकती है, जो ईंधन की अनुबंधित मात्रा की आपूर्ति करने में असमर्थ है।

राजस्थान की यह जनोपयोगी सेवा राज्य की 14,000 मेगावाट बिजली की सबसे बड़ी मांग को किफायती दरों पर पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही है। पिछले महीने, राजस्थान को कोयले की उच्च लागत और एक्सचेंजों से बिजली की खरीद के कारण अगले तीन महीनों की अवधि के लिए बिजली दरें 33 पैसे प्रति यूनिट बढ़ानी पड़ी।

छत्तीसगढ़ भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक है जंहा सरकारी कंपनी कॉल इंडिया और कई अनेक निजी कम्पनिया खुद या तो कंट्राक्टरो से कोयला उत्खनन में दशकों से लगे हुए है।  हालाँकि सिर्फ राजस्थान को ही अपनी खदाने शुरू करने में छत्तीसगढ़ सरकार से बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

2020-21 में देश के कुल 700 मिलियन टन से अधिक के कुल उत्पादन में छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 158 मिलियन टन कोयला उत्पादन हुआ। इसके चलते लोगो में चर्चा है की गेहलोत और बघेल के बिच ऐसा क्या हुआ है की बघेल सरकार ऐसे अनुभवी नेता की सहायता कर नहीं रहे है।

छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल ने राजस्थान सरकार की कोयला खदान को मंजूरी देने में की हुई देरी के चलते उनकी ही पार्टी के सीएम अशोक गहलोत ने अब उलझे हुए मामले को जल्दी सुलझाने के लिए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी है। राजस्थान की सरकार काफी समय से कोयले की किल्लत और अन्य राज्योंसे खरीदनी पड़ रही महँगी बिजली से परेशान है तब लोगोकी आशा उनके छत्तीसगढ़ स्थित दो कोल ब्लॉक पर लगी है।

पिछले कुछ महिनों मे गहलोत ने बघेल को कम से कम दो पत्र लिखे है और अनेक बार फ़ोन पर बात की है।  राजस्थान के आला अधिकारीयों ने भी छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार के उच्च अधिकारियों से भी लंम्बे समय से अटकी पड़ी खदानों के विकास को लेकर लगातार बिनती की है।

दिसंबर एक को सोनिया गाँधी को पत्र लिखने के बाद, 9 दिसम्बर 2021 को गहलोत ने आर.के. शर्मा, चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक, राज्य की जनउपयोगी सेवाएं, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरवीयूएनएल) को संकट का समाधान निकालने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन और अन्य प्रमुख अधिकारियों से मुलाकात करने के लिए भेजा था। 

इसके बिच राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी का बांसवाड़ा से बयान आया है की छत्तीसगढ़ में हमारे लिए तो कोल माइंस आवंटित की गई है; वर्तमान में जो माइन चल रही है उसमें कोयला काफी कम बचा हुआ है और जो हमारे पास अन्य आवंटित की गई तो माइंस छत्तीसगढ़ में है उसको लेकर वहां की सरकार की प्रक्रिया जारी है और इस संदर्भ में राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत ने भी उनसे टेलिफोनिक बात करी है साथ ही पत्र भी लिखा है।  उन्होंने यह उम्मीद जताई है कि जल्द ही इस समस्या का निवारण कर लिया जाएगा।

अपने पत्र में गेहलोत ने सोनिया गाँधी को सूचित किया है की कोयले की दिक्कत के कारण महँगी बिजली के चलते पार्टी को राजस्थान में काफी नुकसान उठाना पड सकता है। चिट्ठी में लिखा है कि राजस्थान के 4,300 मेगावाट के पावर प्लांट्स के लिए दिसंबर अंत में कोयला संकट हो जाएगा। कोल माइंस की मंजूरी नहीं मिली तो प्रदेश को महंगे दामों पर कोयला खरीदना पड़ेगा, इससे लागत बढ़ेगी और उसका भार उपभोक्ता पर पड़ेगा। बिजली महंगी करना सियासी रूप से नुकसानदायक है। गेहलोत सरकार को बिजली के बढ़ाते दरों के चलते विपक्षने पिछले महीनों में घेरा हुआ है।  ऐसे में अगर उनको अपनी ही पार्टी की छत्तीसगढ़ सरकार से सहयोग कि बात की है।

कुछ लोगो की दलील है की बघेल अपने कुछ पुराने साथी मित्रों के दबाव में है। क्योंकि राजस्थान की सरकार ने अदाणी समूह को कोयला उत्खनन का ठेका दिया हुआ है, कुछ लोग देश के सबसे बड़े कोयला उतपादक राज्य में सिर्फ दो खदानों के विकास में बाधाएं डाल रहे हैं। वहीँ छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकारो के प्रतिनिधि और उच्च अधिकारि चाहते है अदाणी समूह ही खदानों का विकास करे क्यूंकि उनको पारदर्शी स्पर्धात्मक बोली के द्वारा चुना गया है और कोयले की मालिकी राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की ही रहेगी।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal