आत्म निर्भर जगदीश मंदिर के साथ कर रहा देवस्थान विभाग अन्याय

आत्म निर्भर जगदीश मंदिर के साथ कर रहा देवस्थान विभाग अन्याय

देवस्थान विभाग के अंतर्गत आने वाले श्री जगदीश मंदिर मेवाड़ कि नहीं अपितु उत्तर भारत का सबसे बड़ा विष्णु मंदिर है

 
jagadish mandir

उदयपुर 11 मई 2023 । मंदिर के बारे बात की जाए तो यह मंदिर लगभग 371 वर्ष पुराना है और मंदिर का निर्माण महाराणा सज्जन सिंह जी के द्वारा करवाया गया था मंदिर की सेवा के लिए पुजारी दरबार के समय से ही नियुक्त किए गए थे।आजादी के बाद सभी मंदिरों का विलय देवस्थान विभाग में कर दिया गया।

उस समय श्री जगदीश मंदिर में लगभग 25 सेवादार पुजारी परिवार के अलावा अलग से हुआ करते थे जिसमें छड़ी वाला, प्रहरी, सेवादार,घंटे वाला, सफाई वाला इत्यादि हुआ करते थे।

श्री जगदीश मंदिर में ठाकुर जी श्री जगन्नाथ स्वामी के स्वयं के इतने आभूषण थे कि हर एक पूजा के प्रहर में उनको अलग आभूषण धारण करवाए जाते थे। परंतु आज की अव्यवस्थाओं की वजह से सभी धर्म संगठनों के साथ पुजारी परिषद ने मंदिर में एक महासभा का आयोजन किया।

पुजारी परिषद के हेमेंद्र पुजारी ने बताया कि मंदिर जब से देवस्थान विभाग के अंतर्गत आया है तब से मंदिर की हालत बड़ी ही मुश्किल हो गई। साल भर में लगभग प्रतिमाह 2 या 3 बड़े आयोजन मंदिर में होते हैं।

उन्होंने कहा कि जगदीश मंदिर में मुख्य आयोजन कृष्ण जन्माष्टमी, निर्जला एकादशी, मंदिर का पाटोत्सव, रथ यात्रा तथा प्रत्येक माह की दोनो एकादशी पर मंदिर में काफी बड़े और भव्य आयोजन होते हैं। वर्तमान में अगर मंदिर की स्थिति देखी जाए तो पिछले 40 से 50 वर्षों से मंदिर की सुध देवस्थान विभाग ने किसी भी तरह से नहीं ली है।

उन्होंने यह भी बताया कि देवस्थान विभाग प्रति वर्ष सिर्फ एक बार मंदिर आता है वह भी वहां रखी तिजोरी को खोलने। तिजोरी खोलने के बाद जो भी पैसा आता है वह देवस्थान सीधा अपनी जेब में रख लेता है। बात करें अगर सेवादारों की तो वर्तमान में मंदिर में कोई भी सेवादार मौजूद नहीं है । ठाकुर जी की सेवा में लिए जाने वाले सभी तरह के आभूषण पूरी तरह से टूट चुके हैं साथ में घंटी मांदल आरती भी पूरी तरह से टूट गई है।

 पुजारी परिषद के साथ-साथ इन समस्याओं को भक्तों ने व सभी धर्म संगठन संगठनों ने भी बार-बार लिखित में देवस्थान विभाग को दी है। लेकिन पिछले 40 वर्षों से अभी तक देवस्थान विभाग ने एक बार भी किसी भी प्रकार के आभूषण की ना तो मरम्मत करवाई है ना ही उन्हें बदला गया है जबकि आत्मनिर्भर श्रेणी में आने वाला यह मंदिर खुद अपना खर्च उठा रहा है फिर भी देवस्थान विभाग द्वारा अभी तक किसी भी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं की गई है।

जगदीश मंदिर के सभी जेवर 2 तालों में रखे गए हैं जिन के लिए पुजारी परिषद द्वारा हर एक आयोजन पर पूर्व में लिखित में सूचना देनी पड़ती है फिर देवस्थान विभाग आकर वह टूटे हुए जेवर निकालता है। इसमें भी काफी मिन्नतें करने के बाद देवस्थान से अधिकारी आते हैं। मंदिर के बाहरी स्वरूप की अगर बात करें तो मंदिर पर गुंबद से लेकर चारों तरफ बड़े-बड़े पीपल बरगद के पेड़ निकले हुए हैं जिनको काफी समय से काटा नहीं गया। यहां तक कि मंदिर के ऊपर लगने वाले पेड़ों की जड़ें मंदिर के नीचे तक आ चुकी है और बारिश होने पर पूरा पानी ठाकुर जी के गर्भ ग्रह तक जाकर गिरता है। पेड़ों की कटाई छटाई के लिए अभी देवस्थान ने कुछ समय पूर्व निविदा तो कर ली है परंतु उस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मंदिरों के बाहर लगी मूर्तियां भी रखरखाव के अभाव में टूट चुकी है।

पुजारी परिषद की यह मांग है कि समय-समय पर ठाकुर जी की व्यवस्था बराबर की जाए क्योंकि जगन्नाथ स्वामी के भोग के बारे में जब भी देवस्थान को कहा जाता है तो देवस्थान भोग के नाम पर सिर्फ मिश्री भेज देता है। अगर अब भी देवस्थान विभाग नहीं चेता तो उग्र आंदोलन किया जाएगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी विभाग की होगी।

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