उदयपुर 2 अगस्त 2024। सैकड़ो किसान बारिश के बीच छाता लेकर कलेक्ट्रेट के बाहर जमा हुए उन्होंने अपनी मांगों को लेकर जिला कलेक्टर से बात को लेकर कई घंटे तक प्रदर्शन किया और आखिरकार जिला कलेक्टर के कलेक्ट्री पर पहुंचने पर उन्होंने अपनी मांगों से जुड़े ज्ञापन देकर कलेक्टर से उनकी मांगे पूरी करवाने की मांग की।
जिला कलेक्ट्रेट के बाहर जमा हुए किसानों ने भारतीय किसान संघ राजस्थान प्रदेश के बैनर तले प्रदर्शन करते हुए जिला कलेक्टर को मुख्य मंत्री के नाम पर ज्ञापन सौंपा ।
इस मौके पर अफीम किसान संघ के अध्यक्ष दुर्गेश जोशी ने कहा की राजस्थान व अन्य राज्यो में अफीम उत्पादक किसानों को भारत सरकार अफीम उत्पादन हेतु लाइसेंस जारी किया जाता हैं। अफीम तो भारत सरकार जीवन रक्षक दवाइया बनाने के लिए निर्धारित मापदंड के अनुसार खरीद लेती है पर उससे बचा हुआ डोडा चूरा 2016 से पूर्व राज्य सरकार द्वारा निर्धारित ठेका पद्धति पर ₹125 प्रति किलो खरीदा जाता था जिसे राज्य सरकार ने बंद कर दिया व किसानों का डोडा चुरा नष्टीकरण का आदेश दिया हुआ है। व इस डोडा को जमींदोज किया जाता हैं जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है।
राज्य सरकार से अफीम उत्पादक संघर्ष समिति राजस्थान प्रदेश की यह मांग है की अफीम किसानों को 2000/ प्रति किलो के हिसाब से डोडा चुरा का मुआवज़ा वजन के अनुसार दिया जाए या किसानों को यह अधिकार दिया जाए की वह अपने खेत में ही इसको डिस्प्ले /हकाई से नष्ट कर दे व किसान स्व घोषित प्रमाण पत्र दे दे व किसानों के ऊपर इसका विश्वास किया जाए जिससे भूमि की उर्वरता भी बढ़ेगी वह किसान का शोषण मुक्त भी होगा।
जोशी ने कहा की जब तक किसानों को राज्य सरकार डोडा चूरा का मुआवजा 2000/ प्रति किलो के हिसाब से ना दे तब तक नष्ट करने के आदेश को स्थगित किया जाए या फिर अफीम किसानों पर विश्वास करके अपने ही खेत में जमीदोज करने की अनुमति प्रदान करें ताकि किसान का खेत भी उपजाऊ बनेगा, जैविक खेती का प्रसार भी बढ़ेगा व सभी किसान मुआवजा उपरांत नष्टीकरण के लिए तैयार हैं।
जोशी ने ये भी कहा की अफीम नीति 2024-25 में जो भारत सरकार जारी करती है इसमें अफीम किसानों को वर्षों से दो प्लॉट में खेती करने की अनुमति मिलती थी पिछले वर्ष ही उन्होंने एक प्लॉट का आर्डर किया पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष की दो प्लॉट में बुवाई का आदेश हो। एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/29 को खत्म किया जाए यह किसानों के शोषण का आधार बना हुआ है।
उनकी मांग हैं को अफीम का क्षेत्रफल बढ़कर 20 आरी किया जावे । जो किसान अपना अफीम लाइसेंस किसी दूसरे किसान को हस्तांतरण करवाना चाहता है तो उसको भी यह अधिकार दिया जाए । साथ ही अफ़ीम का मूल्य कई वर्षों से नहीं बढ़ा है भारत सरकार को इसका मूल्य बढ़ाया जाना चाहिए।
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