स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां होते ही बच्चें इन दिनो मौज मस्ती के साथ स्विमिंग का आनंद लेते हुए दिखाई दे रहे। शहर के 4 बड़े स्विमिंग पूलों में करीब 2000 से ज्यादा बच्चें तैराकी सीख रहे है। चित्रकूट नगर स्थित खेलगांव के 51 मीटर लंबा और 21 मीटर चौड़े स्विमिंग पूल में सुबह 6 से 9.30 और शाम को 4 से 7.30 तक करीब 550 बच्चें तैराकी सीखने आ रहे है। इन बच्चों के अलावा 20 नेशनल और स्टेट के तैराक रोजाना प्रेक्टिस कर रहे है। यहां पर बच्चों के 1500 और बड़ो के 1800 रूपए फीस रखी हुई है। इसके साथ शहर के बीएन कॉलेज , आरसीए और आरएनटी परिसर में बने स्वीमिंग पुलों में करीब 1300 के करीब बच्चें तैराकी सीखने आ रहे है।
लेकिन इनके अतिरिक्त इन गर्मियों की छुट्टियों में शहर की विश्व प्रसिद्ध फतह सागर झील का नजारा भी देखने वाला होता है, सूर्योदय के साथ ही फतह सागर झील की पाल पर चहल पहल बढ़ जाती है। शहर भर से बच्चे अपने अभिभावकों के साथ फतह सागर झील में स्विमिंग का आनंद लेने और स्विमिंग सिखने के लिए पहुँचते है। कहा जाए तो शायद ये देश भर में एक मात्र जगह होगी जहाँ बड़ी मात्रा में बच्चे स्विमिंग के लिए पहुँचते है और एक ही वक़्त पर इतने बच्चे स्विमिंग सीखते हैं।
यहाँ आने वालो 3 साल से लेकर 17 साल के बच्चे ही नहीं हर उम्र के लोग शामिल है जो अपने इस झील नुमा स्विमिंग पूल में स्विमिंग का आनंद लेते है। और इनके इस जज्बे को समझ कर रोज सुबह शहर के दो लोग अनिल कालरा और शंकर निमावत इन बच्चों को निःशुल्क स्विमिंग सीखने के लिए पाल पर पहुँचते है, जहाँ दोनों की निस्वार्थ भाव से पाल पर स्विमिंग सिखने की इच्छा रखने वाले हर बच्चे को अपना बच्चा मानकर स्विमिंग के गुर सिखाते है, तो वहीं अभिभावक भी निःसंकोच अपने बच्चे को दोनों ही ट्रेनर को सौंप देते है इसका ये सामंजस्य देखते ही बनता है।
उदयपुर टाइम्स की टीम से बात करते हुए 61 वर्षीय स्विमिंग ट्रेनर अनिल कालरा सर ने बताया की वह पेशे से एक व्यापारी हैं, उन्होंने भी स्विमिंग फतह सागर झील में ही सीखी थी, और करीब 30 सालों से वह बच्चों को रोज सुबह फतह सागर झील पर पहुँचकर निःशुल्क स्विमिंग की ट्रेनिंग दे रहें है और इन सालों में उन्होंने हजारों बच्चों को स्विमिंग सिखाई है।
वहीं इस कार्य में कालरा सर का साथ दे रहे शंकर निमावत सर का कहना है की उनके दिल में यह भाव है की कोई भी टेलेंटेड बच्चा सिर्फ उसकी आर्थिक स्थिति और स्विमिंग की फीस न दे पाने से स्विमिंग से वंचित नहीं रहना चाहिए। इसी जज्बे को दिल में लेकर वह रोज सुबह फतह सागर पाल पर पहुँचते है और बच्चों को ट्रैन करते हैं।
उनका कहना है की कालरा सर और उनकी टीम द्वारा पिछले सालों में ट्रैन किये गए बच्चों में से कई स्टेट और नेशनल लेवल पर स्विमिंग में उदयपुर का नाम रोशन कर चुके है, मैडल जीत चुके है, जब वो लोग उनसे मिलने आते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं तो उन्हें बड़ी ख़ुशी होती है।
उदयपुर के कई बच्चो ने स्विमिंग के क्षेत्र में शहर का न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी कई बार नाम रोशन किया है, इसी कड़ी में शहर की एक युवा स्विमर गौरवी सिंघवी का नाम भी शामिल है जिन्होंने लोंग डिस्टन्स स्विमिंग में अपना नाम बनाया।
गौरवी की माँ ने उदयपुर टाइम्स की टीम से बात करते हुए बतया की गौरववी की स्विमिंग में फतह सागर झील का महत्पूर्व योगदान रहा है, जब वह इंटरनेशनल लेवल के कॉम्पिटिशन के लिए तैयारी कर रही थी तो रोज दिन में दो बार 4-4 घंटों तक और कभी कभी तो सुबह 5 बजे से शाम की 5 बजे तक फतह सागर झील में ट्रेनिंग करती थी। दरअसल जब वह 13 साल की थी तब उदयपुर में होने वाले लेक फेस्टिवल के दौरान उसने स्विमिंग कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया और उस रेस में जीत हासिल की थी जिसके बाद ही उन्हें अपनी बेटी के लॉन्ग डिस्टेंस स्विमिंग करने की प्रतिभा का पहली बार पता चला था। उसके बाद समय समय पर कई बार उसने फतह सागर झील में ट्रेनिंग की है।
गौरवी की माँ का कहना था की ठण्ड में भी सुबह 5 बजे उठकर ट्रेनिंग करने फतह सागर झील पर जाते थे और अंधेरे में सूर्योदय से पहले ट्रेनिंग किया करते थे। उनका कहना है की लॉन्ग डिस्टेंस ट्रेनिंग में तो फतह सागर का बहुत महत्त्व है क्यों की घंटों की ट्रेनिंग में बच्चा स्विमिंग पूल में कितने राऊंड्स कर सकता है ऐसे में फतह सागर झील में उसे ट्रेनिंग करने में बहुत मदद मिलती है।
सीनियर प्रोफेसर आरएनटी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. लाखन पोसवाल का कहना है की बच्चों के सेहत के लिए स्विमिंग बहुत फायदेमंद है, उन्होंने कहा की न सिर्फ ये बच्चों के लिए एक लाइफ सेविंग आर्ट है बल्कि इस से बच्चो में स्टेमिना बढ़ता है, बच्चे का बॉडी वेट कंट्रोल में रहता है, मसल भी डेवलप होती है (मांसपेशियों का भी विकास होता है), लंग्स की वाइटल केपेसिटी बढ़ती है,इस से स्किन हाइड्रेट होती है।
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