उदयपुर 26 फरवरी 2025। उदयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार फतेहसागर पाल पर स्थित जल कुंड और फव्वारे बदहाल स्थिति में हैं। यह इलाका रोज़ाना हजारों स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों की आवाजाही से गुलज़ार रहता है, लेकिन इसकी दयनीय हालत प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर रही है। भारी निवेश के बावजूद यह सुविधाएं खुलेआम बदहाली का शिकार हैं, और शहर के बौद्धिक वर्ग एवं प्रशासनिक अधिकारियों के रोज़ वहां से मॉर्निंग वाक व इवनिंग वाक के दौरान गुज़रने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
पर्यटन विशेषज्ञ होटल एसोसिएशन उदयपुर के उपाध्यक्ष, एवं एंटी करप्शन एंड क्राइम कमेटी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (इंटेलेक्चुअल सेल) यशवर्धन राणावत ने इस गंभीर मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि शहर के कई पार्क और स्मारक प्रशासनिक उदासीनता के कारण उपेक्षित पड़े हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि प्रशासन इनकी देखभाल नहीं कर पा रहा है, तो इन्हें कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत उद्योगपतियों को गोद देने की योजना बनाई जानी चाहिए।
राणावत ने फतेहसागर रोड पर मुंबई बाज़ार के पास स्थित सार्वजनिक शौचालय की दुर्दशा पर भी ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि यह शौचालय बाहर से चमकदार पेंट से सजा हुआ तो है, लेकिन अंदर की हालत अत्यंत खराब है। यदि अंतरराष्ट्रीय पर्यटक ऐसी स्थिति को देखेंगे, तो वे हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी और ‘विश्वगुरु’ बनने के दावों को केवल खोखला मानेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शहर के विकास कार्यों को विज़न 2047 के अनुरूप किया जाना चाहिए जो की वर्तमान में इस अनुरूप नहीं हैं।
इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स सिक्योरिटी ऑर्गनाइजेशन के संभागीय अध्यक्ष विकास गौड़ एवं युवा उपाध्यक्ष निखिल साहू ने भी इस लापरवाही पर गहरी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार और धरोहर स्थलों के साथ ऐसी उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। नगर निगम को चाहिए कि वह इन स्थानों को विश्व स्तरीय बनाने के लिए गंभीर कदम उठाए, वरना पहले से ही संघर्ष कर रहा शहर और अधिक बदहाल हो जाएगा।
एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमेटी के मीडिया सेल अध्यक्ष पवन जैन पदमावत ने भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जब शहर की बुनियादी सुविधाओं की यह स्थिति है, तो हम खुद को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल कैसे कह सकते हैं? उन्होंने सार्वजनिक कार्यों में व्याप्त भ्रष्टाचार और लगभग सभी पर्यटन स्थलों की दयनीय स्थिति को लेकर गहरी चिंता जताई।
शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों और बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी केवल प्रशासन की विफलता ही नहीं दर्शाती, बल्कि यह उदयपुर की प्रतिष्ठा पर भी सवालिया निशान लगाती है। अगर प्रशासन इन स्थानों की देखभाल करने में सक्षम नहीं है, तो निजी क्षेत्र को आगे लाने की दिशा में ठोस नीति बनानी होगी, ताकि उदयपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरें अपनी गरिमा बनाए रख सकें। पर्यटन पटल पर प्रमुख स्थान पर आने वाले ऐतिहासिक उदयपुर शहर के वर्तमान हाल चिंतनीय हैं ।
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