सिकल सेल बीमारी के उपचार के लिए लगाया जाएगा 1 लाख रूपए का निशुल्क टीका


सिकल सेल बीमारी के उपचार के लिए लगाया जाएगा 1 लाख रूपए का निशुल्क टीका

196 बच्चों को उदयपुर में सिकल सेल बीमारी

 
MBGH

जनजाति अंचल के बच्चों में होने वाली सिकल सेल बीमारी के उपचार के लिए अब तक एक लाख रूपए का टीका `क्रिजन लिजुमेब' यहां बाल चिकित्सालय में नि:शुल्क लगाया जाएगा। हाल ही में सरकार की ओर से उदयपुर में सिकल सेल बीमारी को लेकर एक्सीलेंस सेंटर की घोषणा की गयी थी, इसी को लेकर यह नयी तैयारी है । यह टीका तब लगाया जाता है, जब हाईड्रोक्सी यूरिया व एलग्लुटामेट ओरल दवाई देने व मेनिंगो कोकस (पांच हजार का एक टीका), न्यूमोकोकस (पांच हजार का एक टीका) व हिप टीका लगाने के बाद भी बच्चे को राहत नही मिल रही है ।

196 बच्चों को उदयपुर में सिकल सेल बीमारी 

एमडीआरयू नोडल ऑफिसर डॉ सुचि गोयल ने बताया कि उदयपुर जिले में संस्थागत प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं के 11218 नवजात शिशुओं की जांच की गई, जिनमें से 196 बच्चों में सिकल सेल बीमारी पाई गई है। इसमें दो केटेगरी होती है। पहली एफएएस में- माता पिता दोनों में से एक को यह रोग होता है। इसे हेट्रो जायगस कहा जाता है। दूसरी केटेगरी एफएस होती है, जिसमें माता-पिता दोनों को यह रोग है तो बच्चा भी बीमारी ग्रस्त होता है, इसे होमोजायगस कहते हैं। 

सिकल सेल नवजात से लेकर किसी भी उम्र तक के व्यक्ति में सामने आ सकता है। ये बीमारी पूरी तरह से समाप्त नहीं होती, लेकिन उपचार से राहत दी जा सकती है।- एक्सीलेंस सेंटर की घोषणा के बाद अब जल्द ही पांच हजार स्क्वायर फीट में नया एक्सीलेंस सेंटर ब्लड बैंक के समीप बनाया जाएगा। सरकार ने इसकी स्थापना के लिए दस करोड़ रुपए की राशि जारी की है ।

केसे होती है जांच? 

एक्सीलेंस सेंटर से राजस्थान में सर्वे व ट्रीटमेंट पॉलिसी तय होगी। इसे लेकर एनएचएम वित्तीय सहयोग देगा। अभी तक यूनिवर्सल न्यू बोर्न स्क्रीनिंग में इसकी जांच की जा रही है। उदयपुर में महाराणा भूपाल अस्पताल एकमात्र केन्द्र है, जहां प्रत्येक जन्म लेने वाले बच्चे में इस बीमारी को लेकर जांच की जा रही है। सभी जिलों के टेक्नीशियन को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसमें नवजात शिशु की एडी से एक विशेष सुई से एक बूंद खून का नमूना फिल्टर पेपर पर लेते हैं, इसे ड्राइ ब्लड स्पॉट कहा जाता है। इससे बच्चे को दर्द नहीं होता। फिल्टर पेपर को सुखाकर एचपीएलसी मशीन से जांच होती है। इसकी रिपोर्ट एक घंटे में आ जाती है। आरएनटी में एमडीआरयू यानी मल्टी डिस्प्लिनरी रिसर्च लैब में इसकी जांच चल रही है। एक्सीलेंस सेंटर की मंजूरी के बाद यहां हमने तैयारी शुरू कर दी है। दो वाहन मांगे गए हैं, लोगों को जागरूक करने के लिए चार काउंसलर्स लगाए जाएंगे। जल्द ही नए भवन की नींव डाली जाएगी।

क्या है सिकल सेल ?

सिकल सेल विकारों का समूह है, जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाएं विकृत और टूट जाती हैं। यह एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में जाने वाली बीमारी है। इसमें लाल रक्त कोशिकाएं हंसिया के आकार में बन जाती हैं, जिससे कोशिका जल्दी नष्ट हो जाती हैं। स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती हैं। इससे नसों में खून का बहाव भी रुकता है, जिससे दर्द होता है। संक्रमण, दर्द और थकान सिकल सेल रोग के लक्षण हैं। उपचार में दवाएं, खून चढाने और बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी इसके उपचार में शामिल है। 

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