उदयपुर 2 मार्च 2023 । रंगो का त्यौहार होली आने को है और उदयपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य उपखंड में आदिवासी महिलाएं आर्गेनिक हर्बल गुलाल बनाने में जुटी है। हर्बल गुलाल वन सुरक्षा प्रबंधन समिति चोकडिया दूवारा बनाई जाती है जो उदयपुर के पश्चिम में आती है। 13 सालो से वन सुरक्षा प्रबंधन समिति हर्बल गुलाल तैयार करती आ रही है। यह हर्बल गुलाल चार रंगों में बनाए जाते है जिनमे नीले, गुलाबी, हरे और केसरिया रंग शामिल है।
आइये जानते है इनके बनाने की विधि
केसरिया रंग की गुलाल ढाक के फूलो से बनाई जाती है, हरे रंग की गुलाल जंगल में जो हरी पतिया मिलती है उससे बनाई जाती है, नीले रंग की गुलाल मलदास के फूलों से बनाई जाती है, जबकि गुलाबी रंग की गुलाल फूलो से बनाई जाती है। यह पूरी तरह से हर्बल होती है इसमें किसी भी प्रकार के केमिकल की कोई भी मिलावट नही होती है जिससे स्किन को भी कोई नुकसान नही होता है।
इन फूलों की पतियों को सबसे से पहले पानी में उबाला जाता है ताकि उसका एसेंस पानी में मिलाया जाता है। फिर उस पानी को छानने के बाद अरारोठ मिलाया जाता है। अरारोट मिलाने के बाद सुखाया जाता है फिर उसे ग्राइंड कर दिया जाता है। उसके बाद इसका पाउडर बन जाता है, और इसकी पैकेजिंग की जाती है।
चेतक सर्किल पर स्थित वन विभाग के कार्यालय के बाहर स्टाल लगायी गयी है और एक करणीमाता रोपवे के टिकट विंडो के बाहर लगई गयी है।इस हर्बल गुलाल को दो डिवीज़न मिल के बनाते है। अभी इस वर्ष 3 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया जा चूका है। वन विभाग ही इन संस्थान समिति को गुलाल बनाने की तकनीक उपलब्ध कराता है। हर्बल गुलाल की बिक्री से होने वाला मुनाफा समिति के लोगो में बाँट दिया जाता है।
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