धरती पर बढ रहे प्रदुषण एवं ग्लोबल वार्मिंग से पर्यावरण संतुलन का खतरा उत्पन्न हो गया हैं। पृथ्वी पर पल रहे पेड पौधे व जीव जन्तुओं को बचाने तथा पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए गीतांजली इन्स्टिटियूट ऑफ टेक्नीकल स्टडीज डबोक उदयपुर (गिट्स), एन.एस.एस., एन.सी.सी. एवं ’’उदयपुर एनिमल फीड’’ के संयुक्त तत्वाधान में अन्तर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाया गया।
संस्थान के निदेशक डॉ. एन. एस. राठौड ने पृथ्वी को प्रदुषण मुक्त बनाने पर जोर देते हुए कहा कि हमनें विज्ञान एवं तकनीकी की मदद से काफी तरक्की कर ली हैं। लेकिन विज्ञान के राह पर चलते चलते जाने अनजाने में हमारा योगदान पृथ्वी पर असंतुलन पैदा करने में हो गया हैं। पृथ्वी हमारे अस्तित्व का आधार हैं। यह मानव जीवन के साथ-साथ असंख्य वनस्पतियों व जीव जन्तुओं का आश्रय स्थल हैं। सभी ग्रहों में पृथ्वी ही एक ऐसी ग्रह हैं जो जीवन जीने की सारी सुविधाएं प्रदान करती हैं। इस धरती को हम माँ मानते हैं जिससे और यह जरूरी हो जाता हैं। हम अपनी माँ की रक्षा का संकल्प ले। इसके लिए हमें जीवन जीने के लॉ को समझना होगा। यानि लेण्ड एयर एण्ड वाटर भगवान की दी हुई चीजे हैं इसका उपयोग समुचित और संतुलित रूप से करना होगा।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक असंतुलन से धरती पर रह रहे जीव जन्तुओं के साथ-साथ मानव भी विलुप्त होने के कगार पर खडा हैं। आये दिन आ रही बाढ, भूकम्प और सुनामी इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। बढती हुई जनसंख्या जीवन को जहरीला बनाने का प्रमुख कारण हैं। ग्रीन हाउस गैस उत्पन्न करने में अमेरिका का योगदान 27 प्रतिशत, चीन का 31 प्रतिशत जबकि भारत का 8 प्रतिशत हैं। फिर भी हमें इसके लिए उत्तरदायी मानते हैं क्योंकि हमारी जनसंख्या ज्यादा हैं। इसके लिए हमें अपने आस पास की हरियाली के साथ-साथ 5एफ (फूड, फीड, फाइबर, फ्यूल एवं फर्टिलाइजर) पर ध्यान देना होगा। इसमें से एक भी एफ कम हो जाता हैं तो पृथ्वी पर से हमारा अस्तित्व कम हो जायेगा। भविष्य वर्तमान में किये गये कार्यो पर निर्भर करता हैं इसलिए हमें आज से ही हमें 5जी (रिफ्यूज, रिड्यूज, रियूज, रिसाईकल और रिफाइन) पर काम करना होगा।
उदयपुर एनीमल फीड की श्रीमति डिम्पल नागदा ने कहा कि जीव जन्तु पर्यावरण संतुलन के प्रमुख घटक हैं इनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी हैं। हमें अपने साथ-साथ इन पर भी ध्यान देना होगा। पैड पौधे, जानवर और इन्सान इस पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत जरूरी हैं। यदि ये असंतुलित होते है तो हमें प्रकृति के कोपभाजन का शिकार होना पडेगा। जानवरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सब को लेने ही होगी। तभी आने वाला भविष्य में हम पर्यावरण संतुलन की बात कर सकेंगे।
एम.बी.ए. निदेशक डॉ. पी.के. जैन ने बढते हुए कचरे के समाधान पर विचार रखे। इस अवसर पर बेसिक साईंस विभागाध्यक्ष डॉ. विशाल जैन, डॉ. हिना ओझा सहित पुरा गीतांजली परिवार इस नैक काम में शामिल हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंजली धाबाई द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने गिट्स प्रांगण में पक्षियों के लिए पानी के परिंडे एवं पौधे लगाये।
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