उदयपुर शहर के तीन छात्रों ने मिलकर बनाया स्मार्ट डस्टबिन


उदयपुर शहर के तीन छात्रों ने मिलकर बनाया स्मार्ट डस्टबिन

इस प्रोजेक्ट को पेटेंट के लिए भी भेजा जा चुका है

 
Smart Dustbin in Udaipur

उदयपुर 9 मार्च 2023 । शहर के तीन छात्रों ने मिलकर स्मार्ट डस्टबिन बनाया है, इस प्रोजेक्ट को पेटेंट के लिए भी भेजा जा चुका है। जो कचरे की भराव क्षमता को भी दर्शाता है और जब यह भर जाता है तो इससे एक मैसेज जनरेट होता है । मेसेज से यह पता चल जाता है कि किस जगह का डस्टबिन भर गया है उसे खाली करने की जरूरत है। 

उदयपुर स्मार्ट सिटी के लिए यहां के छात्रों ने इन्वेंशन के तहत स्मार्ट डस्टबिन बनाया है। जो कचरे के भरते ही ऑथराइज्ड अथॉरिटी को मैसेज करके यह बताएगा कि इस जगह पर यह कचरा पात्र फुल हो चुका है और इसे खाली करने की जरूरत है।

 यह शहरवासियों के किये एक बड़ी रहत साबित हो सकता है और इससे स्मार्ट सिटी को बढ़ते कचरे से निजात मिल सकेगी। 

उदयपुर शहर के प्रौद्योगिकी एंव अभियांत्रिकी महाविद्यालय,उदयपुर (CTAE) में संचालित राष्ट्रीय कार्यक्रम न्यू जेन आई.ई.डी.सी. महाविद्यालय के छात्रों को इनोवेशन के तहत महाविद्यालय के इलेक्ट्रोनिक एंव संचार अभियांत्रिकी के छात्रों प्रियंका पाण्डेय, आदित्य कुमावत और सूर्य प्रताप सिंह भाटी ने विभागाध्यक्ष डॉ. नवनीत अग्रवाल के निर्देशन मे “स्वस्थम-स्मार्ट अपषिष्ट प्रबंधन प्रणाली” नामक उपकरण का निर्माण किया है।

ऐसे काम करेगा स्मार्ट डस्टबिन -

यह तकनिक इन्टरनेट आफ थिग्ंस (आई.ओ.टी.) का प्रयोग करते हुए, कचरा पात्र में एकत्रित हुए कचरे के उच्चतम भरने पर सन्देश के माध्यम से नगर निगम अथवा जो भी इसके लिए आदेशित हैं, उन्हें तत्काल कचरा पात्र को खाली करने के लिए सन्देश देगा। 

सिस्टम के बिन लेवल को 0 परसेंट से 100 परसेंट पर कही भी सेट किया जा सकता है इससे जगह-जगह भरे हुए कचरा पात्र को न केवल यथा समय खाली किया जा सकेगा। कचरा फैलने की समस्या का समाधान और स्वचछ भारत मिशन की ओर एक अहम् कदम होगा। 

डॉ. नवनीत अग्रवाल ने बताया कि इस नवाचार का इंडियन पेटेंट के लिये भी आवेदन कर दिया गया है। इसके साथ ही इसका विकास उदयपुर स्मार्ट सिटी को ध्यान में रखते हुए किया गया है। छात्रों द्वारा विकसित किया गया यह उपकरण उदयपुर शहर को एक स्मार्ट सिटी बनाने में मददगार भी साबित होगा।

सीटीएई महाविद्यालय के अधिष्ठाता एवं न्यू जेन आईईडीसी चेयरमेन डा.पी.के.सिंह ने बताया कि इस नवाचार के माध्यम से न केवल महाविद्यालय प्राणगंण अपितु उदयपुर शहर में भी कचरा फैलने की समस्या की रोकथाम में महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। इस नवाचार से ग्रामीण व शहरी क्षेत्रो में होने वाली गदंगी से मौसमी बीमारीयों से भी आमजन को राहत मिलेगी।

इस प्रोजेक्ट की टेस्टिंग महाविद्यालय के तीन अलग-अलग लोकेशन पर बिन्स(नोड्स) को एक किलोमीटर कि रेंज मे इनस्टॉल करके किया गया है जो एक सेंट्रल नोड कि सहायता से कंट्रोल हो रहा है । इसे एक्सटेंड करके नंबर ऑफ़ नोड्स बढ़ाये जा सकते है। 

सेंट्रल कंट्रोल यूनिट को लैपटॉप कि सहायता से जोड़ कर विभिन्न डस्ट बिन्स की जी पी एस लोकेशन और उनका फिल लेवल की मोनिटरिंग की जाती है ये सारी ऑब्जरवेशन यूजर के मोबाइल पर भी ट्रैक होती है । 

न्यू जेन आई.ई.डी.सी. कार्यक्रम के मुख्य संयोजक व सह. आचार्य डॉ. नवनीत अग्रवाल ने बताया कि सी.टी.ए.ई. में संचालित न्यू जेन आई. ई.डी.सी. के तहत महाविद्यालय के छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है जिस से छात्र अपने विचारों को मूर्त रूप दे सके।

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