उदयपुर 5 मार्च 2024 । महाराणा भूपाल सिंह की 140वीं जन्म जयंती पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विवि एवं लोकजन सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय समारोह के पांचवे दिन मंगलवार को प्रतानगर स्थित आईटी सभागार में शिक्षा, चिकित्सा, साहित्य, खेल, संगीत, मनोरंजन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 30 विभूतियों का मुख्य अतिथि माण्डल विधायक उदयलाल भड़ाणा, कुलपति प्रो. शिवसिंह सांरगदेवोत, पैसिफिक विवि के अध्यक्ष प्रो. के.के. दवे, कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर , पूर्व विधायक धर्मनारायण जोशी, उदयपुर के सांसद पद के प्रत्याक्षी डॉ. मन्नालाल रावत, महाराज गजराज सिंह राणावत, समाजसेवी डॉ. जिनेन्द्र शास्त्री, लाखाराम गुर्जर, जयकिशन चौबे, प्रो. विमल शर्मा ने माला, उपरणा, स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया ।
समारोह में वरिष्ठ वक्ताओं ने महाराणा भूपाल सिंह को याद करते हुए कहा कि मेवाड़ त्याग, तपस्या, बलिदान की भूमि रही है जहॉ स्वामी भक्त घोडे़ की पूजा की जाती है तो हाथी के रूप में रामप्रसाद की पूजा की जाती है। यहॉ के कण कण में स्वामी भक्त की गुंज सुनाई देती है। ऐसे पवित्र स्थल पर जन्म लेना ही गौरव की बात है।
मेवाड़ के महाराज प्रमुख महाराणा भूपाल सिंह ने स्वाधीन भारत में रियासतों के विलय में अपनी अहम भूमिका का निर्वहन करते हुए मेवाड़ की रियासत का भारत में विलय करना स्वीकार किया। राजशाही शासन से लोक शासन की नींव रखने का पहला प्रयास महाराणा ने किया। महाराणा भूपाल सिंह ने आगामी 100 वर्षों को ध्याम रखते हुए अनेक जनहितकारी कार्यों को किया जिन्हें पूरा मेवाड़ आज भी याद करता है।
मेवाड़ में झीलों के विकास एवं निर्माण में अपना अतुलनीय योगदान दिया। लोकजन हिताय के लिए बाहर से आने वाले श्रमिको के लिए फतेह मेमोरियल बनवाया, मारवाड़ से मावली तक रेल्वे लाईन का निर्माण, महाराणा भूपाल चिकित्सालय, बीएन संस्थान, महिला मंडल, विद्याभवन, आयुर्वेद हास्पीटल हेतु भूमि का दान के साथ भोपाल सागर शूगर मिल की स्थापना आदि।
प्रारंभ में प्रो. विमल शर्मा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि मेवाड़ के ख्यातनाम महापुरूषों के नाम से उत्कृष्ट व्यक्तियों का सम्मान किया गया, जो हमारे लिए गौरव की बात है। डॉ. जयराज आचार्य ने लोकजन सेवा संस्थान का संस्था परिचय दिया तो दूसरी ओर संस्थापक महासचिव जयकिशन चोबे ने आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी।
संचालन डॉ. प्रमिला शरद व्यास, डॉ. कुलशेखर व्यास ने किया जबकि आभार सहायक आचार्य डॉ. मनीष श्रीामाली ने जताया।
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