जमीन अधिग्रहण के 17 साल बाद भी मुआवजा नहीं मिला तो युवक मोबाइल टावर पर चढ़ा


जमीन अधिग्रहण के 17 साल बाद भी मुआवजा नहीं मिला तो युवक मोबाइल टावर पर चढ़ा 
 

मामला चित्तौड़गढ़ ज़िले के भदेसर क्षेत्र के पंचदेवला का है
 
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चित्तौड़गढ़ 8 अप्रैल 2024। जमीन अधिग्रहण के 17 साल बाद भी मुआवजा नहीं मिलने पर एक युवक का गुस्सा फूट पड़ा। अपनी मांग को लेकर युवक मोबाइल टावर पर चढ़ गया। इससे इलाके में सनसनी फैल गई। 

मुआवजे की मांग को लेकर एक युवक मोबाइल टावर पर चढ़ गया। युवक की जमीन अधिग्रहण की हुई थी। बदले में 17 साल बीत जाने के बावजूद भी मुआवजा नहीं मिला। कई बार प्रशासन से इसकी शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे परेशान होकर युवक ने यह कदम उठाया। मोबाइल टावर पर चढ़ने की सूचना पर प्रशासन, पुलिस और मेडिकल टीम मौके पर पहुंची। मामला भदेसर क्षेत्र के पंचदेवला का है।

अधिग्रहण के बाद भी नहीं दिया मुआवजा

चित्तौड़गढ़-उदयपुर हाईवे पर स्थित मरुधर ढाबे के पास एक मोबाइल टावर पर युवक नगजीराम (35) पुत्र शंकर लाल कुमावत चढ़ गया। ढाबे पर कार्यरत कर्मचारियों की नजर जब टावर पर पड़ी तो उन्होंने युवक को देखा। कर्मचारियों ने तुरंत इसकी जानकारी प्रशासन और पुलिस को दी। मौके पर एसडीएम विजयेश कुमार पांड्या, तहसीलदार, डिप्टी अनिल शर्मा, भदेसर थानाधिकारी रविन्द्र सेन, होड़ा पटवारी नारायण लाल पहुंचे। 

सभी ने युवक से बातचीत की तो युवक ने बताया कि साल 2007 में हिंदुस्तान जिंक द्वारा घोसुंडा बांध की ऊंचाई 422.5 से 424 एमएसएल तक बढ़ाने के लिए डूब क्षेत्र में आने वाले जमीनों को अधिकग्रहण किया गया था। कुल 277.83 हेक्टर निजी खातेदारों की जमीन को लिया गया था। तब से अब तक मुआवजा नहीं दिया। किसान नगजीराम के परिवार को जमीन के बदले 65 लाख रुपए दिए जाने की बात हुई थी। पिछले 17 सालों से जिंक की ओर से मुआवजा नहीं दिया गया, कई बार प्रशासन और हिंदुस्तान जिंक प्रबंधन से बातचीत की गई। लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।

पटवारी बोले- चेक हुआ था जारी लेकिन लिया नहीं

इससे अलग हटकर होड़ा पटवारी नारायण लाल का कुछ और ही कहना है। उन्होंने बताया कि नगजीराम की जमीन साल 2007 में ली गई थी। उस दौरान साल 2009 में 34 लाख 37 हजार 325 रुपए का एग्रीमेंट भी हुआ था। टीडीएस काटने के बाद 33 लाख 4 हजार 547 रुपयों का चेक जारी किया था। लेकिन परिवार ने यह चेक नहीं लिया। उनकी डिमांड ज्यादा थी। ऐसे में सहमति नहीं बनी थी। पिछले साल भी घोसुंडा बांध के पास ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन किया था। इसके बाद जिंक प्रबंधन के साथ मीटिंग हुई थी। मीटिंग में 4 शर्त रखी गई थी। उसमें से 2 शर्त तो पूरे किए गए, लेकिन मुआवजा अभी तक सिर्फ 25 प्रतिशत किसानों को ही दिया गया है।
 

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