मीडिया ब्रेकिंग न्यूज़ और सनसनी फ़ैलाने के लिए हौवा खड़ा न करे - छलका कोरोना की जांच करवाने आई महिला का दर्द


मीडिया ब्रेकिंग न्यूज़ और सनसनी फ़ैलाने के लिए हौवा खड़ा न करे - छलका कोरोना की जांच करवाने आई महिला का दर्द 

मीडिया ने जिसे संदिग्ध बताया था, रिपोर्ट नेगेटिव आई 
 
मीडिया ब्रेकिंग न्यूज़ और सनसनी फ़ैलाने के लिए हौवा खड़ा न करे - छलका कोरोना की जांच करवाने आई महिला का दर्द
दुनिया भर में हाहाकार मचाने वाले कोरोना वाइरस के चलते आज उदयपुर शहर में एक जागरूक महिला ने गले में खराश के चलते कोरोना टेस्ट करवाया हालाँकि राहत की बात है की जयपुर लेब से महिला की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। लेकिन जिस तरह न्यूज़ चैनल ने ब्रेकिंग न्यूज़ चलाई उसको लेकर कहीं ना कहीं सवाल उठता है की क्या मीडिया ब्रेकिंग न्यूज़ और सनसनी फ़ैलाने के चक्कर में लोगो को जागरूक करने की बजाय कहीं लोगो को डरा तो नहीं रहा।

उदयपुर 16 मार्च 2020। दुनिया भर में हाहाकार मचाने वाले कोरोना वाइरस के चलते आज उदयपुर शहर में एक जागरूक महिला ने गले में खराश के चलते कोरोना टेस्ट करवाया हालाँकि राहत की बात है की जयपुर लेब से महिला की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। लेकिन जिस तरह न्यूज़ चैनल ने ब्रेकिंग न्यूज़ चलाई उसको लेकर कहीं ना कहीं सवाल उठता है की क्या मीडिया ब्रेकिंग न्यूज़ और सनसनी फ़ैलाने के चक्कर में लोगो को जागरूक करने की बजाय कहीं लोगो को डरा तो नहीं रहा। 

हालाँकि सवालों के घेरे में कहीं न कहीं अस्पताल प्रशासन की ज़िम्मेदारी भी बनती है की महिला का नाम पता गोपनीय रखने की बजाय मरीज की सूचना बाहर कैसे लीक हुई ? जाँच करवाने आये मरीज की डिटेल स्थानीय न्यूज़ चैनल को अस्पताल के सीएमएचओ ऑफिस ने स्वयं उपलब्ध करवाई। क्या यह लापरवाही एवं गैर ज़िम्मेदाराना व्यवहार नहीं ? जाँच करवाने प्रत्येक व्यक्ति संदिग्ध नहीं हो सकता है जबकि जांच रिपोर्ट आई ही न हो। यदि ऐसा ही चलता रहा तो संभव है लोग आगे चलकर अपनी जांच ही न करवाए।   

उदयपुर टाइम्स से बातचीत के दौरान डॉ लाखन पोसवाल ने बताया की रिपोर्ट जांच के सीएमएचओ के पास जाती है। वहां से जोनल ऑफिस भेजी जाती है अगर इसके बीच में रिपॉर्ट लीक होती है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी जांच करवाई जाएगी। सभी स्टाफ को संवेदनशील रहने की सलाह दी गई है और आवश्यक ट्रेनिंग भी दी जाएगी।  

उदयपुर टाइम्स से बातचीत के दौरान पीड़ित महिला इस बात से काफी आहत नज़र आई की उसने तो एक ज़िम्मेदार शहरी के नाते स्वयं आगे चलकर अपनी जांच करवाई लेकिन जिस प्रकार कतिपय न्यूज़ चैंनलो ने ब्रेकिंग न्यूज़ के चक्कर में उसको संदिग्ध बनाकर पेश किया गया वह न केवल दिल दुखाने वाला और किसी के साथ खिलवाड़ करने जैसा है, बल्कि लोगो में डर फैलाकर हौव्वा खड़ा करना ही मिडिया का मकसद लगता है। 

अब बात करते है उदयपुर के एमबी अस्पताल की जहाँ जांच के लिए महिला गई थी बकौल महिला एमबी अस्पताल के प्राचार्य डॉ लाखन पोसवाल और डॉ बलदेव मीणा और डॉ ओपी मीणा ने दो दिन तक उनका हौंसला बढ़ाते रहे (जब तक जांच नेगेटिव नहीं आई, तब तक महिला को आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था)। 

महिला हाल ही 10 दिन पर्व कुवैत से लौटी है। एयरपोर्ट पर सभी जांच होने के बावजूद भी गले में खराश के चलते एक जागरूक नागरिक का फ़र्ज़ निभाते हुए पुनः जांच करवाने के लिए गई थी। 

आइसोलेशन वार्ड का हाल 

एमबी अस्पताल में वर्तमान में 30 बेड का वार्ड बनाया गया है लेकिन वार्ड में जहाँ मरीज़ो का क्वैरेन्टाइन के लिए रखा जाता है, बकौल महिला वहां का स्टाफ खुद ही ख़ौफ़ज़दा है। न कोई आहार की वयवस्था है न खाने की व्यवस्था है। जबकि इस मर्ज़ की कोई दवा नहीं है ऐसे में खानपान का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी हो जाता है। 

उक्त महिला तो स्थानीय ही थी तो घर से खाना मंगवा लिया लेकिन अगर कोई बाहर से आता है तो कोई व्यवस्था नहीं। इसके अतिरिक्त स्टाफ द्वारा इस्तेमाल किये हुए सेफ्टी किट्स भी वहीँ वार्ड में रखे कचरे की बाल्टी में फ़ेंक दिए जाते है जिसकी बाद में कोई सार संभाल नहीं है। जो की बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। 

उदयपुर टाइम्स अस्पताल पर सवाल तो नहीं उठा रहा है लेकिन अस्पताल प्रशासन से बेहतरी की उम्मीद ज़रूर कर सकता है। और हां एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है की वार्ड के सभी बेड्स एक निश्चित दूरी (लगभग 3 मीटर की दूरी पर होने चाहिए). क्यूंकि जांच करवाने आये लोगो को उसी वार्ड में रखा जाना है और यह पता नहीं की कौन संदिग्ध है अथवा कौन नहीं ? जब तक रिपोर्ट न आ जाये कहना मुश्किल होता है। ऐसे में यदि कोई एक भी पॉजिटिव पाया जाता है तो वहां जांच के लिए आये हुए सभी लोगो के लिए स्थिति भयावह हो सकती है।     

कोरोना एक महामारी ज़रूर है लेकिन इन पर विजय पाई जा सकती है। बशर्ते सभी अपनी ज़िम्मेदारी को समझे, जब तक कोई वैक्सीन या दवा ईजाद नहीं होती तब तक जागरूकता रहकर या बचाव के उपाय जैसे साफ़ सफाई, नियमित जांच (बेख़ौफ़ होकर) आदि से इस जंग को जीता जा सकता है। 

 
 

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